परिचय
वैसे तो शरीर के हर एक अंग की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन लिवर उन सभी में विशेष स्थान रखता है। आज इस आर्टिकल में लिवर से जुड़ी परेशानी और लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? यह समझने की कोशिश करेंगे। आयुर्वेद में लिवर की बीमारी को यकृत विकार कहा जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार लिवर शरीर को फिट रखने के लिए इंजन की तरह काम करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जो भी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थों का सेवन किया जाता है, उसे अच्छी तरह डायजेस्ट करने में लिवर की भूमिका होती है। अगर लिवर में कोई परेशानी आती है, तो लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज करवाया जा सकता है। लिवर का आयुर्वेदिक इलाज के दौरान आयुर्वेदिक एक्सपर्ट आपको कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उपचार बताएंगे, जिससे लिवर में मौजूद विषाक्त को खत्म किया जा सकता है, जिससे मरीज की परेशानी दूर हो सकती है।
लिवर शरीर में होने वाली कई तरह के शारीरिक गतिविधि को कंट्रोल करने का काम करता है। लिवर की वजह से ही शरीर में पैदा होने वाले टॉक्सिन शरीर से बाहर निकाले जाते हैं। लिवर से जुड़ी परेशानी होने पर व्यक्ति को हेपेटाइटिस, जॉन्डिस, फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस, एल्कोहॉलिक लिवर डिजीज या लिवर कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
क्या है हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस, एल्कोहॉलिक लिवर डिजीज, लिवर में सूजन या लिवर कैंसर?
हेपेटाइटिस: हेपेटाइटिस वायरस के कारण यह परेशानी होती है।
फैटी लिवर: जब लिवर में फैट की मात्रा सामान्य से ज्यादा बढ़ने लगती है, तो ऐसी स्थिति में फैटी लिवर की परेशानी शुरू हो सकती है।
लिवर सिरोसिस: जब लिवर में हेल्दी सेल्स नष्ट होने लगते हैं और वह खराब होने की आखिरी स्टेज पर आ जाता है, तो लिवर सिरोसिस कहा जाता है।
नॉन एल्कोहॉलिक लिवर डिजीज: नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज बदलती जीवनशैली की वजह से होने वाली परेशानी है।
जॉन्डिस: शरीर में बिलिरुबिन लेवल बढ़ने के कारण जॉन्डिस होता है। नवजात बच्चों में लिवर पूरी तरह से विकसित नहीं होने के कारण जॉन्डिस होता है।
लिवर कैंसर: जब कैंसरस सेल्स का निर्माण लिवर में होने लगता है, तो ऐसी स्थिति को लिवर कैंसर कहते हैं।
लिवर में सूजन: यह परेशानी विशेषकर जंक फूड और अत्यधिक तेल मसाले के सेवन की वजह से होता है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज क्या है, यह समझने से पहले इसके लक्षण को जानना बेहद जरूरी है।
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लक्षण
क्या हैं लिवर रोग के लक्षण?
लिवर रोग के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- लिवर से संबंधित परेशानी होने पर व्यक्ति को कमजोरी महसूस होती है और यह सबसे शुरुआती लक्षणों में से एक है।
- अगर किसी व्यक्ति की आंखों का रंग पीला हो जाए और चेहरे का सफेद, तो यह परेशानी लिवर में शुरू हुई समस्या की शुरुआत हो सकती है।
- अगर किसी व्यक्ति को हमेशा पेट दर्द और पेट में सूजन की परेशानी रहती है, तो यह भी लिवर की बीमारी की ओर इशारा करता है।
- पैरों में सूजन होना भी लिवर डिजीज की ओर दर्शाता है।
- अगर बार-बार उल्टी होती है और खाद्य या पेय पदार्थों के डायजेशन में परेशानी आती है, तो यह भी लिवर की बीमारी के संकेत हो सकते हैं।
- कभी-कभी कुछ लोगों में लिवर में समस्या होने पर त्वचा पर खुजली की परेशानी भी शुरू हो जाती है।
इन लक्षणों के अलावा यकृत विकार के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए शरीर में होने वाले नकारात्मक बदलाव को समझें और महसूस होने पर जल्द से जल्द इलाज शुरू करवाएं। ध्यान रखें कि किसी भी बीमारी का इलाज अगर शुरूआती वक्त में किया जाए, तो उस बीमारी से लड़ना आसान होता है और बीमारी से बचा भी जा सकता है।
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कारण
लिवर रोग के कारण क्या हैं?
लिवर रोग के निम्नलिखित कारण हैं, जिनमें शामिल है:
- लिवर की बीमारी का सबसे पहला कारण इंफेक्शन माना जाता है।
- अगर ब्लड रिलेशन में लिवर संबंधी बीमारी से कोई पीड़ित है या पहले किसी को हो चुका है, तो ऐसी स्थिति में लिवर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जेनेटिकल कारणों से भी लिवर की बीमारी हो सकती है। अगर परिवार में ऐसी कोई मेडिकल हिस्ट्री रह चुकी है, तो विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
- अत्यधिक एल्कोहॉल के सेवन से भी लिवर खराब हो जाता है। क्योंकि एल्कोहॉल का नकारात्मक प्रभाव सबसे पहले लिवर पर ही पड़ता है। इसलिए एल्कोहॉल का सेवन न करें।
- डायबिटीज की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को भी लिवर संबंधित परेशानी हो सकती है। क्योंकि डायबिटीज की वजह से शरीर में इंसुलिन का निर्माण ठीक तरह से नहीं हो पाता है।
- कब्ज की परेशानी को कई बार लोग नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि स्वास्थ्य चिकित्षकों की मानें तो ऐसा बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसका असर डायजेशन पर पड़ता है, जिस कारण लिवर की परेशानी शुरू हो सकती है।
- शरीर का बढ़ता वजन कई बीमारियों को दस्तक देने में अहम भूमिका निभाता है। इन्हीं बीमारियों में से एक लिवर की बीमारी भी हो सकती है। इसलिए बॉडी वेट संतुलित बनाये रखें।
इन ऊपर बताये गए कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए इन बातों का ध्यान रखें और अपनी डेली लाइफ और डेली रूटीन में सकारात्मक बदलाव लाएं और शारीरिक परेशानियों से बचकर रहें। हालांकि कई बार सावधानी बरतने के बावजूद भी बीमारी शरीर में दस्तक दे देती है। इसलिए आज जानेंगे लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है।
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इलाज
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित है:
विरेचन कर्म
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज विशेषकर विरेचन कर्म द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत जड़ी-बूटियों और औषधियों का सेवन मरीज को करवाया जाता है। ऐसा करने से पेशेंट को दस्त होता है, जिससे शरीर में पैदा हुए विषाक्त को दूर किया जाता है। विरेचन कर्म से लिवर के साथ-साथ स्मॉल इंटेस्टाइन को भी क्लीन किया जाता है। लिवर के इलाज में उपयोगी विरेचन कर्म पेशेंट की शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद एक्सपर्ट एक बार से ज्यादा भी दोहरा सकते हैं।
हल्दी-दूध (Turmeric and Milk)
हल्दी और दूध इम्यून पवार को स्ट्रॉन्ग बनाने में मददगार होते हैं, क्योंकि हल्दी में विटामिन-सी (एस्कोर्बिक एसिड), कैल्शियम, फाइबर, पोटैशियम, जिंक के साथ-साथ अन्य पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। वहीं दूध में भी कैल्शियम, विटामिन-बी 2, विटामिन-बी 12 समेत अन्य न्यूट्रिशन मौजूद होते हैं। रोजाना दूध में हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से हेपेटाइटिस-बी को रोकने में मदद मिलती है। इसके साथ-साथ हल्दी-दूध शरीर का वजन संतुलित बनाये रखने में मददगार होता है। डायबिटीज की परेशानी भी टल सकती है, यहां तक कि आयुर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि इससे फैटी लिवर की समस्या से भी निजात मिल सकती है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज: आंवला (Gooseberry)
धड़कते दिल और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आंवले के फायदे के बारे में पढ़ा होगा। दरअसल आंवले में मौजूद विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और कैरोटीन जैसे महत्वपूर्ण तत्व मौजूद होते हैं। इसलिए कच्चा आंवला या आंवले के चूर्ण का नियमित सेवन करना चाहिए।
पपीता (Papaya)
पपीता में मौजूद बीटा कैरोटीन, कोलीन, फाइबर, फोलेट, पोटैशियम, विटामिन-ए, विटामिन-बी और विटामिन-सी शरीर के लिए एक नहीं बल्कि कई दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं। वहीं कच्चे पपीते में लेटेक्स (latex) और पपाइन (papain) की मौजूदगी इसे पौष्टिक बनाता है। इसलिए लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज पपीते से किया जाता है।
मुलेठी (Licorice)
मुलेठी का सेवन पेट संबंधित विकार को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक विज्ञान में मुलेठी का सेवन लिवर संबंधित बीमारी को दूर करने के लिए किया जाता है। दरअसल मुलेठी में एंटी-इंफ्लमेटरी प्रॉपर्टीज और ग्लिसराइजिक एसिड की प्रचुर मात्रा इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में मददगार होती है, जिसका लाभ लिवर के मरीज को मिलता है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज: पिप्पली (Long pepper)
पिप्पली में पिपरिन, स्टेरॉइड्स, ग्लूकोसाइड्स, पिपलार्टिन एवं पाईपरलोगुमिनिन जैसे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। इन्हीं औषधीय गुणों की वजह से पिप्पली को आयुर्वेदिक इलाज के विकल्प में रखा जाता है। अगर कोई व्यक्ति लिवर से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित है, तो उन्हें आयुर्वेदिक विशेषज्ञ इसके सेवन की सलाह देते हैं।
मकोय (Makoy)
मकोय में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन-सी की मौजूदगी इस छोटे से हर्बल खाद्य पदार्थ को अत्यधिक गुणकारी बनाता है। इसलिए इसका सेवन यकृत विकार को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके सेवन से लिवर से जुड़ी बीमारी ठीक होने के साथ-साथ बवासीर, शरीर में सूजन की परेशानी और दस्त की समस्या भी दूर होती है।
ग्रीन टी (Green Tea)
ग्रीन टी का सेवन हम में से कई लोग रोजाना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रीन टी लिवर को स्वस्थ रखने में मददगार है। रिसर्च के अनुसार ग्रीन टी में मौजूद एंटी ऑक्सिडेंट फैटी लिवर की परेशानी दूर करने में सक्षम है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज: टमाटर (Tamato)
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार लिवर डिजीज की समस्या झेल रहे लोगों के लिए टमाटर का सेवन लाभकारी होता है। वहीं आयुर्वेद में टमाटर को हर्बल खाद्य पदार्थों की श्रेणी में रखा गया है। दरअसल टमाटर में कैरोटीनॉयड लाइकोपीन (Carotenoid lycopene) मौजूद होता है, जो लिवर की गंभीर परेशानी को भी दूर करने में मददगार हो सकता है।
सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)
आयुर्वेद में सेब के सिरके के सेवन की सलाह दी जाती है। इसके सेवन से लिवर पर इकट्ठा होने वाले फैट को कम करने में मदद मिलती है। इसलिए इसका सेवन लाभकरी माना जाता है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज इन ऊपर बताये गए खाद्य पदार्थों से किया जाता है। ये खाने-पीने की चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन इनका सेवन इलाज के लिए खुद से या अपनी मर्जी अनुसार करना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज अपने आप शुरू न कर दें। क्योंकि इनकी आवश्यकता से ज्यादा सेवन करने पर नुकसान भी पहुंच सकता है। इसलिए आयुर्वेद एक्सपर्ट की पहले सलाह लें, उन्हें अपनी शारीरिक परेशानी बताएं। साथ ही अगर आप किसी भी दवा या हर्बल खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थों का सेवन कर रहें हैं, तो इसकी जानकारी देना न भूलें। ऐसा करने से इलाज बेहतर होगा और आपकी शारीरिक परेशानी भी जल्द दूर होगी।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज करवाने के साथ-साथ योगासन भी करना लाभकारी होता है। इसलिए रोजाना अनुलोम-विलोम प्राणायाम और भस्त्रिका प्राणायाम करने की आदत डालें। अगर आपने यह योग पहले नहीं किया है, तो पहले योग गुरु से इसकी जानकारी हासिल करें और करने का तरीका समझें और फिर योगासन करें। अगर इस दौरान कोई शारीरिक परेशानी होती है, तो एक्सपर्ट को बताएं और उनके द्वारा दी गई सलाह का सही तरह से पालन करें। योग के साथ-साथ टहलना भी शरीर को फिट रखने में अहम योगदान देता है।
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घरेलू उपाय
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज करवाने के साथ-साथ घरेलू उपाय और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करें
- रोजाना ताजे फल और हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
- ऐसे खाद्य पदार्थ, जिनमें फाइबर की मात्रा ज्यादा हो, जैसे फलियां और साबुत अनाज का सेवन करें।
- ज्यादा या ऊपर से नमक का सेवन न करें।
- ट्रांसफैट, रिफाइन्ड कार्बोहायड्रेट्स और सफेद चीनी के सेवन से भी परहेज करें।
- एल्कोहॉल का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें।
- डेली डायट में लहसुन अवश्य शामिल करें। आयुर्वेद में बताया गया है कि लहसुन के सेवन से फैट नहीं बनता है।
- तेल-मसाले, तले-भुने और जंक फूड से दूरी बना लें।
- नियमित रूप से पालक, ब्रोकली, करेला, लौकी, तोरी, गाजर, चुकंदर, प्याज, अदरक और अंकुरित अनाज का सेवन करें।
- अगर आप मक्खन, मेयोनीज, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई या चीनी के शौकीन हैं, तो इनका सेवन भी रोक दें।
- समय से सोने और जागने की आदत डालें और 7 से 8 घंटे की नींद रोजाना लें।
इन बदलावों को अपनाने से आप लिवर रोग से बचाव कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि इन्हें नियमित रूप से अपनी जीवनशैली में शामिल करना होता है। एक दिन या एक हफ्ते अपनाने से आपको कोई लाभ नहीं मिलेगा। दूसरी ओर, आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से पहले जान लें कि जड़ी-बूटियां व औषधियां काफी हद तक सुरक्षित होती हैं। लेकिन कुछ खास स्थिति, व्यक्ति या बीमारी में इसके दुष्प्रभाव दिखने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए इनका सेवन या इस्तेमाल करने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें और यह क्रॉनिक बीमारियों के शिकार लोगों के लिए काफी जरूरी है। एक्सपर्ट आपके पूरे स्वास्थ्य की जांच करके आपको उचित जानकारी उपलब्ध करवाएगा। हमें उम्मीद है कि आपको इस आर्टिकल में लिवर रोग के आयुर्वेदिक इलाज से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी।
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