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क्या किडनी सिस्ट बन सकती है किडनी कैंसर का कारण?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    क्या किडनी सिस्ट बन सकती है किडनी कैंसर का कारण?

    किडनी सिस्ट (Kidney cysts) फ्लूइड से भरे टिशू से बने गोल पाउच होते हैं जो किडनी के अंदर या इसके ऊपरी भाग पर बन जाते हैं। किडनी सिस्ट की वजह से गंभीर डिसऑर्डर हो सकते हें जो किडनी फंक्शन (Kidney function) को प्रभावित कर सकते हैं। ज्यादा नुकसान ना पहुंचाने वाली सिस्ट को सिम्पल किडनी सिस्ट ( Simple Kidney cysts) कहा जाता है। ये नॉनकैंसरस सिस्ट (non cancers cysts) बहुत कम मामलों में कॉम्प्लिकेशन का कारण बनती है।  सामान्यत: किडनी की ऊपरी भाग पर एक सिस्ट बनती है, लेकिन ज्यादा सिस्ट बनने की स्थिति में यह दोनों या किसी एक किडनी को प्रभावित कर सकती हैं। कुछ किडनी सिस्ट इतनी छोटी होती हैं कि उन्हें बिना माइक्रोस्कोप (microscope) की मदद से देखा नहीं जा सकता। वहीं कुछ का साइज टेनिस बॉल के जितना हो सकता है। अगर ये बड़ी हो जाती है तो दूसरे ऑर्गन्स को भी प्रभावित करने लगती है। हालांकि सिंपल किडनी सिस्ट पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज (Polycystic kidney disease) में बनने वाली सिस्ट से अलग होती है। पॉलिस्टिक किडनी डिजीज में पीड़ित की किडनी में कई सिस्ट बन जाती हैं। जिससे किडनी बड़ी हो जाती है और उसके टिशूज डैमेज हो जाते हैं। कई बार यह किडनी फैलियर (Kidney failure) का कारण भी बन जाती है। यह स्पष्ट नहीं है कि सिंपल किडनी सिस्ट का कारण क्या है। किडनी सिस्ट का पता इमेजिंग टेस्ट (Imaging test) के जरिए लग जाता है।  

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    कौन बनते हैं किडनी सिस्ट (kidney cyst) शिकार

    सिंपल किडनी सिस्ट की परेशानी उम्र बढ़ने के साथ शुरू होती है। 50 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों में एक किडनी सिस्ट होती है। ज्यादातर लोगों में एक ही किडनी में किडनी सिस्ट होती है, लेकिन उम्र के बढ़ने के साथ सिस्ट के दूसरी किडनी में होने की आशंका बढ़ जाती है।

    और पढ़ें: किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं ये 10 आदतें, तुरंत बदलें

     

    किडनी सिस्ट के लक्षण (kidney cysts symptoms)

    किडनी सिस्ट

    सिम्पल किडनी सिस्ट के सामान्यत: लक्षण दिखाई नहीं देते। ज्यादातर मामलों में सिस्ट के बारे में पता तभी चलता है जब डॉक्टर किसी दूसरी स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड और कम्प्युटराइज्ड टोमोग्राफी (सीटी) करवाते हैं। सिस्ट के ग्रो होने या इंफेक्टेड होने पर कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जो निम्न हैं।

  • फीवर
  • कमर में दर्द
  • रिब्स (ribs) और पेल्विस में दर्द (Pelvic Pain) (दर्द माइल्ड होता है, लेकिन सिस्ट के बढ़ने पर यह सीवियर हो सकता है)
  • अपर एब्डोमेन में दर्द (Upper abdominal pain)
  • एब्डोमेन में सूजन (Swelling in abdomen)
  • सामान्य से ज्यादा यूरिन पास होना
  • यूरिन से ब्लड आना
  • डार्क यूरिन (Dark urine)
  • सिर में दर्द (Headache)
  • और पढ़ें: किडनी स्टोन को नैचुरल तरीके से बाहर निकालने का राज छुपा है यूनानी इलाज में

    किडनी सिस्ट के कारण क्या हैं? (Kidney cysts causes)

    किडनी सिस्ट तब बनती हैं जब नेफ्रॉन (Nephron) की ट्यूब (tube) बढ़ी होने लगती हैं और फ्लूइड से भर जाती है। रिसर्चर्स अभी पता नहीं लगा पाए हैं कि ऐसा क्यों होता है?, लेकिन ये जरूर पता है कि यह विरासत में मिला रोग नहीं है। ऐसा माना जाता है कि किसी इंजरी या टयूबल्स (tubules ) में होने वाले माइक्रोस्कोपिक ब्लॉकेज (microscopic blockages)  के कारण सिंपल सिस्ट का निर्माण होता है।

     

    किडनी सिस्ट के बारे में पता कैसे लगाया जाता है? (Diagnosis of kidney cysts)

    किडनी सिस्ट का पता लगाने के लिए निम्न टेस्ट किए जाते हैं।

    अल्ट्रासांउड (Ultrasound)

    इसमें हाई फ्रिक्वेंसी साउंडवेव्स और इको (echoes) बॉडी के अंदर की इमेज को क्रिएट करते हैं।

    कम्प्युटेड टोमोग्राफी (Computed tomography)

    एक्स-रे और कंप्यूटर शरीर के एक क्रॉस-सेक्शन की इमेज का निर्माण करते हैं। स्कैन में तरल द्रव्य से भरे सिस्ट को अलग करने के लिए आयोडीन युक्त कंट्रास्ट (iodinated contrast) एन ऑर्डर के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।

    मैग्नेटिक रेजनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging) (MRI)

    मेग्नेंट, रेडियो वेव्स और कंप्यूटर बॉडी के अंदर की इमेज को क्रिएट करते हैं। इस टेस्ट के द्वारा ये भी पता चल जाता है कि सिस्ट फ्लूइड से भरी हुई या सॉलिड मास से क्योंकि उन्हें आयोडीन युक्त कंट्रास्ट की आवश्यकता नहीं होती है। एमआरआई का उपयोग आयोडीन एलर्जी वाले रोगियों के लिए किया जाता है।

    और पढ़ें: डायबिटिक किडनी डिजीज (Diabetic Kidney Disease): जानें क्या है इसका कारण, बचाव और इलाज 

    किडनी सिस्ट के साथ क्या कॉम्प्लिकेशन दिखाई देते हैं? (Complication of kidney cyst)

    कई बार किडनी सिस्ट किसी प्रकार के कॉम्प्लिकेशन का कारण नहीं बनती, लेकिन इससे कुछ जोखिम हो सकते हैं। जो निम्न हैं।

    • सिस्ट में इंफेक्शन (infection in the cyst)- किडनी सिस्ट इंफेक्टेड हो सकती है। इसकी वजह से बुखार और दर्द होता है।
    • सिस्ट का फूटना (Cyst burst)- किडनी सिस्ट के फूटने से बैक साइड में सीवियर पेन होता है।
    • किडनी में यूरिन का ब्लॉकेज होना। इसके साथ ही यूरिन सिस्ट नॉर्मल फ्लो को प्रभावित करती है जिससे किडनी में सूजन आ जाती है।
    • हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)

     

    क्या सिंपल किडनी सिस्ट को मॉनिटर करना जरूरी है?

    यह बहुत महत्वपूर्ण है कि एक्सपर्ट के द्वारा किडनी की सिस्ट के प्रकार और स्थान का मूल्यांकन किया जाए। अक्सर कुछ अलग लक्षण दिखाई देते हैं जैसे कि वॉल की थिकनेस (wall thickness), फ्लूइड की डेंसिटी, सिस्ट के आसपास की जगह का असामान्य होना जो कि किडनी कैंसर (Kidney cancer) के साथ जुड़े हो सकते हैं। यूरोलॉजिस्ट सिस्ट के लिए एक ग्रेडिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं जिसे बोजनियाक स्कोरिंग सिस्टम (Bozniak Scoring System) कहा जाता है। हायर बोजनियाक ग्रेड किडनी कैंसर की संभावना को दर्शाता है। ग्रेड 1 का मतबल बिनायन (benign) है कैंसर नहीं।

    क्या किडनी सिस्ट को होने से रोका जा सकता है? (Prevention for kidney cysts)

    सिम्पल किडनी सिस्ट को रोका नहीं जा सकता। आप बहुत सारा पानी पीकर और सोडियम (sodium) की कम मात्रा लेकर इसके रिस्क को कम कर सकते हैं। सोडियम की ज्यादा मात्रा ब्लड प्रेशर बढ़ाती है जिससे लॉन्ग टर्म किडनी डिजीज होती हैं। इसके साथ ही PKD (पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज) की समस्या आगे जाकर किडनी को डैमेज कर सकती है। आधे से ज्यादा लोग जो इस समस्या से ग्रसित हैं उनकी किडनी 60 की उम्र में फैल हो जाती है।

    किडनी सिस्ट का ट्रीटमेंट (Kidney cysts treatments)

    अगर किडनी सिस्ट किसी लक्षण और जोखिम का कारण नहीं है तो आपको किसी ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती। सिम्पल किडनी सिस्ट के लिए ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होगी। रेयर केसेज में लक्षण दिखने पर ट्रीटमेंट की जरूरत होगी। आपका डॉक्टर स्केलेरोथेरिपी (sclerotherapy) या सर्जरी रिकमंड कर सकता है। जिसकी प्रक्रिया निम्न प्रकार होती है।

    और पढ़ें: Chronic Kidney Disease: क्रोनिक किडनी डिजीज क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज

    स्केलेरोथेरिपी (Sclerotherapy)

    इस प्रक्रिया में डॉक्टर पहले सिस्ट को एक लंबी नीडल्स से पंक्चर (Puncture) करते हैं। जिसे स्किन के जरिए डाला जाता है। यह फ्लूइड को सुखाने का काम करती है। इसमें अल्टासाउंड (ultrasound) की मदद लेनी पड़ती है। डॉक्टर सिस्ट के अंदर स्ट्रॉन्ग सॉल्यूशन इंसर्ट करते हैं ताकि इसे सुखाया जा सके। अगर जरूरी होता है तो प्रॉसीजर को रिपीट किया जाता है। कुछ मामलों में सिस्ट वापस आ जाती है और फ्लूइड से भर जाती है। ऐसे में डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं। इसके लिए आपको नींद की दवा या एनेस्थिसिया दिया जा सकता है और सर्जरी की प्रक्रिया शुरू की जाती है। प्रक्रिया के दौरान सर्जन एक पतला, लाइटेड ट्यूब जिसे लेप्रोस्कोप (laparoscop) कहते हैं इंसर्ट करते हैं। फ्लूइड को सुखाने के बाद सिस्ट को रिमूव या बर्न कर दिया जाता है ताकि फिर से होने की आशंका को कम कर दिया जाए। इसके लिए मरीज को हॉस्पिटल में एक या दो दिन रुकना होगा। इस तरह पूरी प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। किडनी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है ऐसे में उसका हेल्दी रहना बेहद जरूरी है।

    किडनी को हेल्दी रखने के लिए क्या करना चाहिए? (how to keep healthy kidney)

    किडनी सिस्ट

    निम्न बातों का ध्यान रख आपने किडनी को हेल्दी रख सकते हैं।

  • रेग्युलर एक्सराइज और फिजिकल एक्टिविटीज किडनी को एक्टिव रखने के साथ ही एक्यूट किडनी डिजीज (Acute kidney disease) के रिस्क को कम करती हैं।
  • ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें। हाय ब्लड शुगर लेवल किडनी डैमेज (Kidney damage) का कारण बन सकता है
  • ब्लड प्रेशर को मॉनिटर करते रहें। हाय ब्लड प्रेशर भी किडनी को डैमेज करता है।
  • किडनी को हेल्दी रखना चाहते हैं तो वजन को संतुलित रखें। मोटापे के साथ कई सारे हेल्थ रिस्क हैं जो किडनी को डैमेज कर सकते हैं।
  • हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करें। फ्रेश चीजें खाएं। गोबी, ब्लूबेरीज, फिश, होल ग्रेन को अपने भोजन का हिस्सा बनाएं। इनमें नैचुरल रूप से सोडियम कम होता है।
  • पानी खूब पिएं। यह किडनी को हेल्दी रखने में मदद करता है। पानी किडनी से टॉक्सिन्स और सोडियम को बाहर करने में मदद करता है।
  • स्मोकिंग और शराब का सेवन ना करें और ओवर द काउंटर दवाओं का सेवन के प्रति जागरूक रहें। खास तौर पर पेन किलर्स का उपयोग करते वक्त विशेष ध्यान रखें। ये दवाएं किडनी को डैमेज कर सकती हैं।
  • किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney function test) को रूटीन चेकअप का हिस्सा बना लें।
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    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और किडनी सिस्ट से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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