के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
हाइपरकलीमिया एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो शरीर में पोटैशियम की मात्रा बढ़ जाने के कारण होती है। पोटैशियम शरीर में पाए जाने वाला एक आवश्यक तत्व है। जो नर्व और मांसपेशियों की कोशिकाओं और दिल के क्रिया कलाप (Function) को नियंत्रित करने का काम करता है। एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में पोटैशियम की मात्रा 3.6 से 5.2 मिलीमोल्स प्रति लीटर (mmol/L) होती है। वहीं, शरीर में पोटैशियम की मात्रा 6.0 mmol/L से ज्यादा की मात्रा खतरनाक हो सकती है। ऐसे में आपको इलाज की जरूरत पड़ सकती है।
हाइपरकलीमिया का निदान सामान्य है। इसलिए ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से बात कर लें।
हाइपरकलीमिया ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। हाइपरकलीमिया के मरीज में कभी-कभी अस्पष्ट लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों में शामिल है-
हाइपरकलीमिया के मरीज में इन सभी के अलावा कई अन्य तरह के गंभीर लक्षण भी दिखाई देते हैं :
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही हाइपरकलीमिया से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर हाइपरकलीमिया के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
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अक्सर खून में पोटैशियम का लेवल ज्यादा होना हाइपरकलीमिया नहीं हो सकता है। पोटैशियम की मात्रा तब भी ज्यादा आती है जब ब्लड सैंपल लिया जाता है। ब्लड सैंपल लेते समय ब्लड सेल्स टूट जाते हैं, जिसमें से पोटैशियम रिसने लगता है। ऐसे में रिपोर्ट गलत आती है, जबकि शरीर में पोटैशियम का मात्रा सामान्य होती है। अगर डॉक्टर को किसी भी तरह का संशय रहता है तो आपके पोटैशियम का टेस्ट दोबारा कराने को कह सकते हैं।
हाइपरकलीमिया होने का सामान्य कारण आपकी किडनी से जुड़ा है, जैसे कि किडनी फेल होना (थोड़े समय के लिए या लंबे समय के लिए, Acute kidney failure or Chronic kidney disease)।
हाइपरकलीमिया होने के अन्य कारण हैं :
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हाइपरकलीमिया होने पर क्या समस्याएं हो सकती हैं, इसके लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
हाइपरकलीमिया का निदान मुश्किल हो सकता है। क्योंकि पहले ही बताया जा चुका है कि हाइपरकलीमिया एक ऐसी समस्या है जिसमें लक्षण सामने नहीं आते हैं। हो सकता है कि जो लक्षण सामने आ रहे हो वो हाइपरकलीमिया के नहीं हो बल्कि उसके जैसी हो।
डॉक्टर आपकी जांच करेंगे, फिर आपके दिल की धड़कनों की जांच करेंगे। आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री, डायट और दवाओं के बारे में पूछ सकते हैं। इसलिए आप सभी दवाओं (जो आप डॉक्टर को परामर्श या बिना परामर्श के ले रहे हो), हर्ब्स आदि के बारे में जरूर बताएं।
इसके साथ ही डॉक्टर आपका ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट भी कराने के लिए कहेंगे। अलग-अलग लैब की रिपोर्ट अलग हो सकती है। साथ ही कई तरह के फैक्टर पोटैशियम लेवल को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG/EKG) भी डॉक्टर करते हैं, ताकि दिल की धड़कनों की दरों का पता चल सके।
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हाइपरकलीमिया का इलाज हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकता है। क्योंकि इसका इलाज व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। अगर हाइपरकलीमिया ज्यादा नहीं है, यानी कि अगर अभी इसकी शुरुआत है तो ये बिना हॉस्पिटलाइजेशन के ही ठीक हो सकता है। लेकिन, अगर हाइपरकलीमिया गंभीर स्थिति में है तो आपको हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ सकता है। कभी-कभी आईसीयू (ICU) में भर्ती करने के बाद ही इलाज संभव होता है। आईसीयू में भर्ती करने का कारण यह भी होता है कि डॉक्टर आपके दिल की धड़कनों पर लगातार नजर बना कर रख सके।
हाइपरकलीमिया का इलाज निम्न तह से हो सकता है :
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शरीर में पोटैशियम लेवल को घरेलू नुस्खों की मदद से भी बढ़ा सकते हैं। इसके लिए पेशेंट के आहार में खाद्य पदार्थों के माध्यम से इसके लेवल को बढ़ाया जा सकता है। इन खाद्य पदार्थों में शामिल है-
केला- केले में विटामिन-बी 6, मैग्नेशियम, विटामिन-सी, पोटैशियम, डाइट्री फायबर, प्रोटीन, मैग्नेशियम और फोलेट जैसे तत्व मौजूद होते हैं। इन सभी विटामिनस और मिनिरलस में पोटैशियम की मात्रा सबसे ज्यादा होती है।
नट्स- नट्स में फैट, फायबर और प्रोटीन की मात्रा भरपूर होती है और यह हेल्थ के लिए भी लाभदायक होता है। इसमें मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैट, ओमेगा-6, ओमेगा-3 पॉली सैचुरेटेड फैट शरीर को पोषण प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
बीन्स- बीन्स के सेवन से प्रोटीन, फोलेट, आयरन, पोटैशियम और मैग्नेशियम जैसे खनिज तत्व मिलते हैं।
मिल्क- दूध में मौजूद कैल्शियम, प्रोटीन और पोटैशियम हाइपरकलीमिया के पेशेंट के लिए बेहद लाभदायक होता है। इन सभी खनिज तत्व के साथ विटामिन-बी 2 और विटामिन-बी 12 भी मौजूद होते हैं। इसलिए दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए।
आपने आहार में ऊपर बताये गए खाद्य पदार्थों का सेवन अवश्य करें।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
डिस्क्लेमर
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