डिप्रेशन का असर सिर्फ दिमाग पर नहीं पड़ता बल्कि पूरे शरीर और दिल पर भी पड़ता है। इसे लो ग्रेड इंफ्लेमशन से जोड़कर देखा जाता है, जिसका सीधा संबंध आर्टरीज को जाम करने वाले कोलेस्ट्रोल और अन्य प्लाक (plaque) से है। तनाव स्ट्रेस हॉर्मोन को बढ़ावा देता है। इसके कारण आर्टरीज में ब्लड फ्लो जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है और दिल सही से काम नहीं कर पाता।
अवसाद में होने वाले व्यक्ति को दिल की बीमारी ज्यादा होती है
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जरनल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है। अध्ययन में कहा गया कि अस्पताल में भर्ती 20 फीसदी दिल के मरीजों में अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं। हृदय रोगियों में आम आबादी के मुकाबले अवसाद होने का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है।
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मानसिक तनाव व्यक्ति के दिल से कैसे जुड़ा होता है?
- यदि आप स्ट्रेस में हैं तो ब्लड प्रेशर बढ़ना, कमजोर इम्यून सिस्टम, दिल की धड़कन में बदलाव व आर्टिरीयल डैमेज हो सकता है।
- प्लेटलेट में बदलाव, प्रोइंफ्लेमेटरी मार्कर (proinflammatory markers) जैसे सीआरपी सी-रिएक्टिव प्रोटीन (reactive protein or CRP) आदि बढ़ जाते हैं। हार्ट वैरिएबिलिटी heart variability कम हो जाती है। यह सभी कार्डियोवैस्क्यूलर (cardiovascular disease) बीमारियों में योगदान देते हैं।
- जो लोग तनाव से परेशान हैं उनमें हार्ट अटैक या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। चूंकि ऐसी स्थिति में ब्लड क्लॉटिंग हो सकती है। जिन लोगों को दिल की बीमारी से जुड़ी समस्या नहीं होती उनमें भी डिप्रेशन के कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। डिप्रेशन के कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज भी हो सकते हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की कार्डियक सर्जरी हुई है तो डिप्रेशन या चिंता उसके दर्द में इजाफा कर सकता है। इससे थकान और आलस या सोशल आइसोलेशन हो सकता है।
- जिनके डिप्रेशन का इलाज न हुआ हो और सीएबीजी (Coronary artery bypass grafting (CABG)) हुआ हो उनकी सर्जरी के बाद अस्वस्थता और जल्दी जीवन सामप्त होने की समस्या बढ़ सकती है।
- क्वॉलिटी ऑफ लाइफ स्टडी में पाया गया कि जो मरीज डिप्रेशन और दिल की बीमारी से जूझ रहे हो उनका स्वास्थ्य इन दो जगहों पर ही नहीं हर तरह से खराब होता है।
- डिप्रेशन से जुड़ी खराब आदतें जैसे स्मोकिंग, बहुत एल्कोहॉल पीना, एक्सरसाइज न करना या सही डायट नहीं लेने आदि के कारण दिल की बीमारी के उपचार में बाधा बनती हैं।
- अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association (AHA)) ने डिप्रेशन और कार्डियक डिजीज की इस बढ़ती समस्या के कारण यह राय दी है कि सभी कार्डियक मरीजों की डिप्रेशन के लिए स्क्रीनिंग करनी चाहिए।
क्या है उपाय?
कार्डियक रिहैबिलिटेशन: स्टडी का कहना है कि लगातार लोगों को हार्ट अटैक के ऑपरेशन के बाद सामान्य जिंदगी देखने या उन्हें अच्छा होते देखने से भी व्यक्ति की हिम्मत बढ़ती है। कार्डियक रिहेबिलिटेशन में आपकी डायट से लेकर अन्य एक्टीविटी पर नजर रखी जाती है। इसमें डायट से लेकर एक्सरसाइज तक सब आपको हार्ट अटैक रिकवरी से उबारने की कोशिश की जाती है। लोगों से जुड़े रहने और खान—पान पर ध्यान देने से आपका मूड और आत्मविश्वास बढ़ता है।
सोशल सपोर्ट: हार्ट अटैक के बाद आप एकांत में चले जाते हैं। लोगों से जुड़े रहने की कोशिश आपको फिर एक बार वही इंसान बना देती है जो आप पहले हुआ करते थे। यह हार्ट अटैक में भी सहायक होती है और तनाव व एकेलेपन को भी दूर करता है।
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विशेषज्ञों की सलाह लें: कई बार किसी भी बीमारी से खुद निकल पाना मुश्किल हो जाता है। यदि स्ट्रेस से आप अपनी मदद नहीं कर पा रहे तो सायकिएक्ट्रिस्ट, साइकोलोजिस्ट आदि विशेषज्ञों की मदद लें। माइल्ड डिप्रेशन को बातचीत से ही दूर किया जा सकता है। थोड़ा जटिल होने पर अन्य दवा या थेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है।
हार्ट अटैक की सर्जरी के बाद अक्सर लोग उदास, तनाव और चिंता महसूस करने लगते हैं। यदि व्यक्ति दुखी रहने लगा है, किसी से बातचीत नहीं कर रहा है, नकारात्मक ख्यालों से घिर गया है, ऐसे मामलों में उपचार की जरूरत पड़ती है।
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