मुंबई के पी डी हिंदुजा नेशनल और हिंदुजा हेल्थकेयर के कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉ. केरसी चावड़ा ने LGBT कम्युनिटी के सदस्यों के अकेलेपन को लेकर कहा कि, ‘करीब 31 प्रतिशत एलजीबीटीक्यू एल्डर को क्लीनिकल डिप्रेशन की समस्या होती है, जबकि ओल्डर एडल्ट्स को कई बार और 71 प्रतिशत ट्रांसजेंडर को आत्महत्या करने का ख्याल आता है। ऐसा सोशल आइसोलेशन, अकेलापन, अपनों का सपोर्ट न मिल पाने कारण या समाज के भेदभाव के कारण होता है। LGBTQ कम्युनिटी के करीब 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि वो अकेले हैं। सही समय पर इलाज न मिल पाने के कारण परेशानी अधिक बढ़ जाती है। अगर समय पर साइकेट्रिस्ट से कंसल्ट किया जाए तो कई समस्याओं से बचा जा सकता है।’
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एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी चैलेंजेस: आसपास के माहौल से उभरने के लिए क्या करें?
LGBTQ समुदाय के लोगों को अपने आसपास के माहौल से उभरने के लिए कुछ जरूरी प्रयास करने की जरूरत है। अगर घर में कोई आपका विरोध कर रहा हो तो उन्हें कुछ समय दें। हो सकता है कि कुछ समय बाद वे आपकी बातों को समझें। उनसे कुछ समय बाद बात करें और साथ ही उनकी बातों को भी ध्यान से सुनें। कई बार परिस्थितियां समय के साथ बदल जाती हैं। अगर पॉजिटिव थिकिंग के साथ ही काउंसलर या साइकेट्रिस्ट की हेल्प ली जाए तो समस्या का समाधान भी निकल सकता है।
अगर आपके साथ कोई भी बुरा व्यवहार कर रहा है तो अपने नजदीकी पुलिस से तुरंत संपर्क करें। साथ ही आप ग्रुप या कम्युनिटी के लोगों की मदद भी ले सकते हैं। आसपास के माहौल को बेहतर बनाने के लिए उन लोगों से मिलना बंद कर दें जो आपको प्रोत्साहित न करते हो और साथ ही नकारात्मक विचारों से भरे हो। आप अपने पसंदीदा लेखक की बुक को पढ़ कर मोटिवेट हो सकते हैं। अपने अच्छे दोस्त या भाई बहन से रोजाना अपने मन की बातें शेयर करना न भूलें। आपको ये याद रखना चाहिए कि कुछ बातों को अपनाने में अधिक समय लग सकता है। एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी चैलेंजेस से निपटने में सकारात्मक विचार मदद कर सकते हैं।
एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी चैलेंजेस: अकेलेपन और स्ट्रेस से बाहर निकलने का क्या हो सकता है तरीका?
आइसोलेशन से रहें दूर
अकेलेपन और स्ट्रेस से बचने के लिए आइसोलेशन से बचना बहुत जरूरी है। अगर व्यक्ति अपने आप को किसी ऐसे के साथ व्यस्त रखें, जो उसका करीबी हो और उसकी बातों को समझता हो तो ऐसा करने से स्ट्रेस की समस्या या फिर डिप्रेशन से निपटने में हेल्प मिलेगी।
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