हमारे चारों ओर का वातावरण हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। हो सकता है कि आपके मन में ये सवाल आए कि बदलता मौसम केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ही असर डालता है लेकिन ये बिल्कुल सच नहीं है। मौसम में बदलाव के कारण चिंता, डिप्रेशन और पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मौसम में बदलाव डिजास्टर का कारण भी बनता है, जिस कारण से लोगों को घर या नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। साथ ही नेबरहुड और कम्यूनिटी से कनेक्ट न रह पाने के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। ऐसा नहीं है कि मौसम में बदलाव के कारण होने वाले डिजास्टर से ही मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़े। कई बार अधिक हीट, अधिक सर्दी या बारिश का मौसम भी कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको मौसम में बदलाव और मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले असर के बारे में जानकारी देंगे। जानिए मौसम में बदलाव किस तरह से डालता है आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर।
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मौसम में बदलाव और मानसिक स्वास्थ्य (Climate change and Mental health)
मौसम में बदलाव के कारण खानपान, रहन एक्सरसाइज आदि में बदलाव आपके मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव का काम करता है। अक्सर लोग इस बात को इग्नोर करते हैं कि मौसम में बदलाव के कारण उन्हें किसी तरह की परेशानी हो रही है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें अक्सर चिंता या डिप्रेशन (Depression) आदि का एहसास नहीं हो पाता है। जानिए मौसम और मानसिक स्वास्थ्य के बदलाव के संबंध में महत्वपूर्ण बातें।
ग्लोबल वॉर्मिंग (Global warming) के कारण दिन प्रति दिन टेम्परेचर बढ़ता जा रहा है। अधिक टेम्परेचर के कारण व्यक्ति का व्यवहार एग्रेसिव (Aggressive behavior) हो सकता है। हीट वेव्स मेंटल और बिहेवियरल डिसऑर्डर से जुड़ी हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया में की गई स्टडी से ये बात सामने आई है कि हीट वेव्स हृदय संबंधी और किडनी की बीमारी के साथ ही मानसिक विकारों (Mental disorders) का कारण भी बनती हैं। ज्यादा गर्मी के कारण शारीरिक थकावट के साथ ही साइकोलॉजिकल थकावट (Psychological exhaustion) भी हो सकती है। थायलैंड में हुई स्टडी में भी ये बाद सामने आई है कि बढ़ा हुआ टेम्परेचर साइकोलॉजिकल डिस्ट्रेस (Psychological distress) का कारण बनता है।अधिक गर्मी के कारण भूख न लगने, नींद पूरी न हो पाने के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है। ऐसे में वजन घटना आम समस्या हो जाता है। बायपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों को हॉट वेदर ट्रिगर करने का काम कर सकता है। पैनिक डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को गर्मी के दौरान सबसे अधिक समस्या होती है और वे सामान्य तौर पर मौसम में बदलाव के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। गर्म मौसम मुख्य रूप से चिंता (Anxiety) का कारण बनता है।
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मौसम में बदलाव हो सकता है कॉम्प्लीकेटेड (Severe Weather Is Complicated)
जैसा कि हम आपको पहले ही बात चुके हैं कि अधिक गर्मी या फिर अधिक सर्दी के कारण नींद का कम होना या ज्यादा होना मेंटल हेल्थ पर प्रभाव डालता है। ठीक उसी प्रकार से जब मौसम में गंभीर बदलाव जैसे कि तूफान (Storm), बाढ़ (Flooding), बवंडर, सूखा और हीटवेव की समस्या हो जाती है, तो ये भी आपको मानसिक बीमार बना सकता है। इस कारण से चिंता, अवसाद, पीटीएसडी (Post-traumatic stress) की समस्या पैदा हो सकती है। अगर मौसम के कारण शरीर में हुए बदलावों को नजरअंदाज किया जाए, तो समस्या पैदा हो सकती है। कुछ लोगों में मौसम में बदलाव और मानसिक स्वास्थ्य पर असर साफ तौर पर देखने को मिलता है। इनमें बच्चे, गर्भवती महिलाएं और पोस्टपार्टम महिलाएं (Postpartum women) आदि मौसम में परिवर्तन के कारण मानसिक बदलाव अधिक महसूस कर सकती हैं।
मीडिया की खबरे भी बन सकती हैं चिंता का कारण
मीडिया में अधिक गर्मी या फिर अधिक सर्दी की खबरे भी व्यक्ति मानसिक तौर पर बीमार करने का काम कर सकती है। मौसम में गंभीर परिवर्तन की खबरे लगातार सुनने से भी मानसिक स्तर में कई परिवर्तन देखने को मिलते हैं। ऐसे में जरूरी है कि मीडिया की खबरों को अधिक न देखा जाए और मौसम के बदलाव के कारण आपको जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उन समस्याओं का इलाज कराएं। आप चाहे तो अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं। सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal affective disorder (SAD)) होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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जानिए क्या हो सकते हैं सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण?
आपने भी मौसम बदलने पर कुछ लक्षण महसूस किए होंगे। ये लक्षण आमतौर पर सबको महसूस हो, ये जरूरी नहीं है लेकिन अधिकतर लोगों को ये समस्या हो सकती है। मौसम बदलने पर आपको कम गंभीर या फिर अधिक गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। जानिए सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal affective disorder) के क्या हो सकते हैं वो लक्षण?
- दिनभर उदासी का एहसास
- एक्टिविटी में इंटरेस्ट न रहना
- कम एनर्जी का एहसास
- सोने में दिक्कत होना
- भूख कम लगना
- वजन कम होना
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना
- निराशा महसूस होना
- आत्महत्या का विचार आना
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अगर आपको सीजनल चेंज के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको अपने डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए। अधिक दिनों तक किसी समस्या का इलाज न कराने पर चिंता बढ़ सकती है, जो आगे चलकर डिप्रेशन का कारण भी बन सकती है। अगर आपको कम भूख या अधिक भूख लगती है, आप हर वक्त निराशा महसूस करते हैं या फिर किसी से बात नहीं करते हैं, तो ये लक्षण मानसिक बीमारी के हैं। ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क कर ट्रीटमेंट करना चाहिए।
मौसम में परिवर्तन होने पर इन बातों पर दें ध्यान
बच्चों, बुजुर्गों, क्रॉनिकल इल, मेंटल बीमारी से पीड़ित लोग और बेघर लोगों को मौसम में परिवर्तन के कारण अधिक मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जानिए अगर मौसम में परिवर्तन या सीजनल चेंज हो रहा है, तो किन बातों को ध्यान रखें।
- अगर आपको एलर्जी की समस्या है, तो मौसम बदलने पर आपको खास ख्याल रखने की जरूरत पड़ती है। आपको ऐसे में अधिक से अधिक घर के अंदर ही रहना चाहिए। बाहर निकलते समय आंखों का भी विशेष ध्यान रखें।
- हीट अधिक होने पर घर से बाहर निकलने से बचें। अगर किसी कारणवश आपको बाहर जाना पड़े, तो मुंह के साथ ही शरीर को अच्छी तरह से ढक लें। घर में गर्मी से बचने के लिए कूलर, फैन या एयर कंडीशन आदि का इस्तेमाल जरूर करें। पानी के साथ ही खाना भी पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।
- अगर आप मौसम की गड़बड़ी के कारण परेशान हो गए हैं, तो डॉक्टर को अपनी समस्या के बारे में जरूर बताएं। कई बार शारीरिक परेशानियां मानसिक परेशानी का कारण बन सकती है। आपको अधिक सावधानी की जरूरत है।
- कम या अधिक मात्रा में कभी भी खाना न खाएं। मौसम के अनुसार ही एक्सरसाइज में भी परिवर्तन करें। आप चाहे तो योग को रोजमर्रा के जीवन में शामिल कर सकते हैं। आप इसके लिए एक्सपर्ट की हेल्प भी ले सकते हैं।
मौसम में बदलाव अपने हाथ में नहीं होता है, इसलिए सावधानी ही आपका बचाव कर सकती है। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।