‘चिंता चिता सामान है’ यह बड़ी चर्चित कहावत है। ये बात जितनी कड़वी है उतनी ही सच्ची भी है। जरूरत से ओवर थिंकिंग सेहत पर क्या असर डालता है आपको शायद इसका अंदाजा नहीं है। अगर आपको ऐसा लगता है की ज्यादा सोचने से हालत बदल जाएंगे और कुछ बुरा होने से आप रोक लेंगे तो ऐसा नहीं है। हैरानी की बात ये है की जो लोग जरूरत से ज्यादा सोचते हैं उन्हें खुद इस बात का एहसास नहीं होता और देखते – देखते ओवर थिंकिंग उनके दिमाग और शरीर पर विपरीत प्रभाव डालने लगती है।
जरूरत से ज्यादा सोचना आपको शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार बना सकता है। जिससे हाइपर टेंशन और डिप्रेशन जैसी बीमारियां हो सकती हैं। अगर आपको भी छोटी – छोटी बात को ज्यादा सोचने की आदत है तो चिंता के दुष्परिणाम जान लेना बहुत जरूरी है ।
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ओवर थिंकिंग का स्वास्थ्य पर प्रभाव (Health impact of over thinking)
1) ओवर थिंकिंग (over thinking) का मस्तिष्क पर प्रभाव
जरूरत से ज्यादा सोचने से शरीर में कोर्टिसोल हॉर्मोन ज्यादा बनता है जो शरीर पर बुरे प्रभाव डालता है। कोर्टिसोल हार्मोन मष्तिष्क की हिप्पोकैम्पस कोशिकाओं को क्षति पहुंचता है जो दिमाग की कनेक्टिविटी में बदलाव का कारण बन सकता है। जिससे काम करने के तरीके में बदलाव आने लगता है। जो लोग जरूरत से ज्यादा सोचते हैं उन्हें अधिकतर चिड़चिड़ाहट और मूड स्विंग की परेशानी रहती है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में हुए एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने यह पाया कि, लगातार तनाव चिंता और मूड स्विंग जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है। जो भविष्य में जाकर गंभीर मानसिक स्थिति भी बन सकती है।
2) हार्ट प्रॉब्लम (Heart Problems)
ओवर थिंकिंग आपके दिल पर भी बुरा असर डालती ही जिससे कई दिल से संबंधित परेशानियां आपको हो सकती हैं। ज्यादा सोचने से चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती है। लगातार चिंता इन परेशानियों को गंभीर बना देती है। बहुत ज्यादा सोच-विचार करने के कारण सीने में दर्द, टैचीकार्डिया जैसी समस्याएं आपको हो सकती हैं। साथ ही, डिप्रेशन, कोई बुरी लत जैसे स्मोकिंग या ड्रिंकिंग करने आदत भी घर कर सकती है।
3) पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है ज्यादा सोचने की आदत (over thinking can effect Digestive system)
बहुत ज्यादा सोचने से ब्रेन तनाव महसूस करने लगता है, जिसका असर शरीर के पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है। इसके कारण गैस्ट्रोइंस्टेटाइनल समस्याएं जैसे पेट में जलन होना, इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम, जठरांत्र के काम करने के तरीके में बदलाव होना और गैस्ट्रिक सीक्रेशन में बदलाव होना या आंतों की सूक्ष्मजीविका में परिवर्तन की समस्या भी देखी जा सकती है।
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जिन लोगों को ज्यादा सोचने की आदत होती है वो अक्सर रात को आराम से सो नहीं पाते क्योंकि किसी न किसी बात पर उनका मन अशांत रहता है जो उन्हें सोने नहीं देता जिससे धीरे-धीरे वे अनिद्रा के शिकार हो सकते हैं ।
5) त्वचा पर असर
लगातर ओवर थिंकिंग आपकी स्किन को बहुत बुरी तरह से अफेक्ट कर सकती है। यह आपको समय से पहले बूढ़ा भी कर सकती है क्योंकि अगर आप अंदर से अच्छा महसूस नहीं करेंगे, तो उसका असर चेहरे पर साफ नजर आ सकता है। चिंता के कारण आपको सोरायसिस, एपोटीक डर्माटिटाइस, त्वचा में गंभीर खुजली होने की समस्या होना, एलोपेशिया एरियाटा और सीब्रोरहाइक डर्माटाइटिस जैसी परेशानियां हो सकती हैं। ज्यादा टेंशन लेने से छोटे-छोटे दाने और पिम्पल भी चेहरे पर आ सकते हैं साथ ही वक्त से पहले झुर्रियां आने लग सकती हैं।
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6) इम्यून सिस्टम बिगड़ जाता है
जो लोग ज्यादा टेंशन लेते हैं वे अक्सर बीमार रहने लगते हैं । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोर्टिसोल हार्मोन इम्युनिटी को कमजोर कर देता है जिससे आप जल्दी इंफेक्शन का शिकार हो जाते हैं।
क्या ओवर थिंकिंग कोई बीमारी है? (Is over thinking a disease?)
ऐसे कई अध्ययन हुए हैं, जो यह दावा करते हैं कि, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ओवर थिंकिंग की आदत अधिक देखी जा सकती है। हालांकि, इसके मुख्य कारक क्या हो सकते हैं, यह पर्सन टू पर्सन निर्भर करता है। सामान्य तौर पर ओवर थिंकिंग को कोई बीमारी नहीं माना जा सकता है, लेकिन मेडिकली तौर पर इसे अवसाद और चिंता से जुड़ा हुआ माना जा सकता है जो कि मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं होती है।
अध्ययन में यह भी पाया गया है कि, ओवर थिंकिंग की आदत वाले लोगों में भूख न लगने की सबसे बड़ी समस्या भी देखी गई। जो उनके स्वास्थ्य को खराब करने का सबसे बड़ा कारक भी हो सकता है। इसके अलावा, बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग अपने फैसले को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट भी नहीं पाए गए। उनमें आत्मविश्वास की भी कमी देखी गई। ऐसे लोग जल्दी किसी अन्य व्यक्ति से अपने विचारों या भावनाओं को व्यक्त भी नहीं करते हैं और किसी भी तरह की गलती का जिम्मेदार अक्सर खुद को ही मानने लगते हैं। और धीरे-धीरे खुद को सकारात्मक चीजों से दूर करने लगते हैं।
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कैसे पता लगाएं कि आप ओवरथिंकर हैं या नहीं? (How to know if you are an overthinker?)
ओवर थिंकिंग की समस्या का समाधान करने के लिए सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि आप ओवरथिंकर हैं या नहीं। अब आपके सामने यह सवाला आता है कि यह बात कैसे पता लगाई जा सकती है। इसके लिए आप कुछ संकेतों के बारे में ध्यान दे सकते हैं, जो कि एक ओवर थिंकर व्यक्ति में हमेशा दिखते हैं। आइए इन संकेतों के बारे में जान लेते हैं।
- शर्मिंदगी भरे पलों को कोई व्यक्ति दोबारा याद नहीं करना चाहेगा, लेकिन एक ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति इससे अलग कार्य करता है। वह उन पलों के बारे में बार-बार सोचता है और उसे बार-बार जी कर शर्मिंदा होता है।
- ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति जल्दी नहीं सो पाता। जैसे ही वह सोने के लिए बेड पर लेटता है, तो उसके बाद भी काफी देर तक दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है। ओवर थिंकिंग वाला व्यक्ति का दिमाग कभी शांत नहीं रह पाता।
- ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति हमेशा नकारात्मक स्थितियों की कल्पना करता रहता है, जैसे कि ‘अगर ऐसा हो गया तो’, ‘अगर वैसा हो गया तो’?
- ओवर थिंकर की एक पहचान और होती है कि वह दूसरे लोगों की बातों में छिपा हुआ मतलब ढूंढता है। उसे हमेशा लगता है कि सामने वाले व्यक्ति ने जो कुछ कहा है, उसके पीछे एक दूसरा मतलब छिपा हुआ है। जो कि उसकी इमेज को प्रभावित कर सकता है और वह पूरा दिन उसी के बारे में सोच-सोचकर समय निकाल देता है।
- ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति पुरानी बातों को याद करके उन बातों के बारे में सोचता है, जो उसे कह देना चाहिए था या नहीं कहना चाहिए था। इसके विपरीत ज्यादा न सोचने वाला व्यक्ति उन बातों से आगे निकल जाता है और उनके बारे में ज्यादा परेशान नहीं होता।
- ओवर थिंकर व्यक्ति उन बातों के बारे में ज्यादा सोचता है, जिसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। इन बातों को सोच-सोचकर वह परेशान होता रहता है और गंभीर डिप्रेशन में जा सकता है।
आप भी खुद में या किसी और व्यक्ति में ये लक्षण पहचानकर पता कर सकते हैं कि वह ओवर थिंकर है या नहीं?
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बहुत ज्यादा सोचने से खुद को कैसे बचाया जा सकता है? (How to protect yourself from thinking too much?)
आप भी किसी मुद्दे पर बहुत ज्यादा सोच-विचार करते हैं, तो यह बहुत ही सामान्य स्थिति हो सकती है। इसके लिए आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आप किस तरह के मुद्दे पर बहुत ज्यादा सोचते हैं और कितना सोचते हैं इसका खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, क्या आप हर बार हर छोटी-बड़ी समस्या पर ऐसे ही सोच-विचार करते हैं, इसका भी ध्यान रखें। अगर आपको ऐसा लगता है कि आप छोटी-छोटी बातों पर भी ओवर थिंकिंग करने लगते हैं, तो आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे आप बहुत ज्यादा सोचने की आपनी आदत में सुधार ला सकेंगे, जैसेः
- किसी भी मुद्दे या बात पर तुरंत रिएक्ट करने से बचें।
- अगर कोई आपको डांटता है या आप गुस्सा होता है, तो पहले उसकी पूरी बातों को सुनने का प्रयास करें। अगर सामने वाला व्यक्ति बहुत ज्यादा गुस्से में हैं, तो बेहतर होगा कि आप कुछ भी न बोलें। थोड़े समय के बाद भी आप अपनी बात या पक्ष उस व्यक्ति के सामने रख सकते हैं।
- खुद को अकेले न रहने दें। अगर आपको किसी भी बात को लेकर कोई समस्या हो रही है, तो किसी करीबी से उसके बारे में बात करें।
- बिना जरूरत के किसी अन्य व्यक्ति के मुद्दे में खुद को न उलझाएं।
- जब भी आपको किसी बात को लेकर चिंता हो, तो कुकिंग, डांसिंग, पेंटिंग, स्केचिंग या आपको जो भी पसंद हो उस कार्य में खुद का मन बहलाने की कोशिश करें। जब आपका मन खुश होगा, तो आप आसानी से अपने चिंता वाले मुद्दे को सुलझा सकते हैं।
- बाहर घूमने जाएं।
- कुछ नया सीखने का प्रयास करें।
- मन को शांत करने के लिए एक्सरसाइज और ध्यान करें।
चिंता या ओवर थिंकिंग कैसे आपकी सेहत की दुश्मन है ये तो अब तक आप समझ गए होंगे। इसलिए खुद की आदत और बदलते व्यवहार पर ध्यान दें और अगर कोई आपको चिंता करने के लिए टोक रहा है तो बात को गंभीरता से लें। अगर आप चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाते और छोटी -छोटी बाते दिमाग में घर कर जाती हैं तो एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और ओवर थिकिंग के नुकसान से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।