अगर कोई व्यक्ति ऐसे किसी आस-पड़ोस में रहता है, जहां पर अपराध होते रहते हैं। अगर किसी को कोई जानलेवा बीमारी है तो वह भी ट्रॉमा का कारण बन सकती है। इसके साथ ही बार-बार होने वाली दर्दनाक घटनाओं का अनुभव करना जैसे कि घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न या बचपन की उपेक्षा लोगों को ट्रॉमा की तरफ धकेल सकती है।
अनदेखे कारण
जैसे कि सर्जरी (विशेष रूप से जीवन के पहले 3 वर्षों में), किसी की अचानक मृत्यु, किसी महत्वपूर्ण रिश्ते का टूटना, अपमानजनक या गहरा निराशाजनक अनुभव, खासकर अगर कोई जानबूझकर बहुत क्रूर था। ये भी ट्रॉमा के कारण बनते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं के साथ समन्वय बिठाना भी कई प्रकार बहुत चुनौतिपूर्ण हो सकता है, जब आप भले ही सीधे तौर पर उस घटना में शामिल न हुए हो। उदाहरण के लिए चाहे कोई व्यक्ति आतंकवादी हमले, प्लेन क्रेश या सामूहिक नरसंहार का शिकार न हुआ हो फिर भी सोशल मीडिया या न्यूज चैनल पर आने वाली ऐसी घटनाओं की तस्वीरें देखकर तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो सकता है और दर्दनाक तनाव पैदा कर सकता है। जो ट्रॉमा का कारण बन सकता है।
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ट्रॉमा के लक्षण
ट्रॉमा के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। ये व्यक्ति के गुणों, उसकी मेंटल कंडिशन, पहले के ट्रॉमेटिक इवेंट्स के साथ एक्सपोजर, इवेंट के प्रकार और व्यक्ति के इमोशन को हेंडल करने के बैकग्राउंड पर निर्भर करते हैं। आइए जानते हैं ट्रॉमा के शारीरिक और भावनात्मक लक्षण।
ट्रॉमा के भावनात्मक लक्षण
- स्तबध हो जाना, इनकार और अविश्वास
- भ्रम, ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी
- गुस्सा, चिड़चिड़ापन, मूड का बदलना
- चिंता और डर
- अपराध बोध की भावना, शर्म महसूस करना और खुद को दोष देना
- दूसरों से दूर रहना
- दुखी और निराश रहना
- दूसरों से कटा-कटा महसूस करना या सुन्न होना
ट्रॉमा के शारीरिक लक्षण
- अनिद्रा या बुरे सपने आना
- थकान
- मांसपेशियों में खिंचाव
- हृदय गति का बढ़ना
- दर्द और पीड़ा का एहसास होना
- आवेश और उग्रता की भावना
- किसी बात पर आसानी से चौंक जाना या कांप उठना
- सिर में दर्द
- पाचन तंत्र का ठीक से काम न करना
- पसीना आना