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स्पर्म डोनर कैसे बने? जाने इसके फायदे और नुकसान

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/10/2020

    स्पर्म डोनर कैसे बने? जाने इसके फायदे और नुकसान

    स्पर्म डोनर बनने से पहले आपको कई सारी बातों को जानना बेहद जरूरी होता है। स्पर्म डोनेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पुरुष अपने शुक्राणु का दान करता है। स्पर्म एक तरल पदार्थ होता है जो वीर्यपात के समय बाहर आता है। इस प्रक्रिया को उन जोड़ों की मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो किसी कारण माता-पिता नहीं बन सकते हैं या स्पर्म डोनेशन के जरिए बच्चा चाहते हैं।

    स्पर्म डोनर अपने शुक्राणु को किसी क्लीनिक पर दे देता है जिसके बाद उसे किसी महिला के प्रजनन अंग में इंजेक्ट किया जाता है या लैब में फर्टिलाइज्ड अंडों के साथ उनका इस्तेमाल किया जाता है। दान किए गए शुक्राणु को थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन कहा जाता है।

    स्पर्म डोनेट करते समय आप अपनी पहचान को छिपा भी सकते हैं। स्पर्म डोनेशन जब किसी जानकार व्यक्ति के लिए की जाती है तो उसे डायरेक्टेड डोनेशन कहा जाता है।

    स्पर्म डोनर बनने से पहले आपको कई प्रकार के परीक्षण करवाने की आवश्यकता पड़ती है। इन परीक्षण के जरिए यह जांचा जाता है कि आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी रोग तो नहीं है। यह स्पर्म डोनेशन के कानूनी दायरों के लिए भी आवश्यक होता है। इससे पता चलता है कि स्पर्म डोनर की भावनात्मक और मानसिक स्थिति कैसी है।

    आज हम आपको बताएंगे की कैसे आप स्पर्म डोनर बन सकते हैं और यह बनने के लिए किन बातों को ध्यान में रखना होता है व इसके क्या जोखिम कारक  हो सकते हैं।

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    स्पर्म डोनेट क्यों किया जाता है?

    यदि आप स्पर्म डोनर बनना चाहते हैं तो पहले यह समझ लें कि इसका महत्व क्या होता है। आप स्पर्म डोनेशन की मदद से उन लोगों की सहायता कर सकते हैं जो माता-पिता नहीं बन सकते हैं। आप स्पर्म डोनेट कर के उन महिलाओं की भी मदद कर सकते हैं जिनका कोई मेल पार्टनर नहीं है या कोई पुरुष नपुंसकता के कारण माता-पिता नहीं बन पा रहा है तो स्थिति में स्पर्म डोनेशन की मदद से उनकी जिंदगी में वह खुशी लाई जा सकती है जिसके लिए वह काफी समय से प्रयास कर रहे हैं।

    यदि आप स्पर्म को किसी स्पर्म बैंक में दान करते हैं तो स्पर्म बैंक द्वारा पास किए गए आपके हर एक डोनेशन पर आपको पैसे भी मिल सकते हैं। यह पेमेंट आपके दिए गए समय और मेहनत को ध्यान में रख कर दी जाती है। 

    क्या स्पर्म डोनेट करने में कोई खतरा हो सकता है?

    वीर्य का डोनेशन या  स्पर्म डोनेशन एक सरल और साधारण प्रक्रिया है। इसमें आपको या किसी को भी किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं होता है। आप बिना किसी चिंता के किसी भी स्पर्म बैंक या अस्पताल में स्पर्म डोनेट कर सकते हैं।

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    स्पर्म डोनेशन के लिए खुद को कैसे तैयार करें

    एक स्पर्म डोनर बनने से पहले कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है जैसे कि आपकी स्वास्थ्य स्थिति कैसी है और इस डोनेशन का आप पर क्या मानसिक प्रभाव पड़ सकता है। यदि आप अपनी पहचान छिपा कर स्पर्म डोनर बनना चाहते हैं तो निम्न बातों को ध्यान में रखें और खुद को मानसिक रूप से तैयार करें :

    • क्या आप एक या उससे अधिक बच्चों के बायोलॉजिकल (जैविक) पिता बनने के लिए तैयार हैं जिनसे आपको जीवन में शायद कभी मिलने का मौका न मिले?
    • क्या होगा यदि आपके डोनेट किए गए स्पर्म से जन्मा बच्चा किसी दिन आपसे मिलना चाहे?
    • क्या आप अपने परिवार को अपने स्पर्म डोनेशन के बारे में बताएंगे?

    यदि आप किसी जानकार या रिश्तेदार को अपना स्पर्म डोनेट करना चाहते हैं तो किसी वकील से परामर्श कर के कानूनी दस्तावेज तैयार करवा लें। कानूनी दस्तावेज में अपने वित्तीय और माता-पिता के अधिकार और दायित्व की पुष्टि जरूर करवाएं।

    फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को स्पर्म  डोनर के बेसिक स्क्रीनिंग टेस्ट के परिणामों की आवश्यकता होती है। इन परिणामों के आधार पर ही वह यह निर्धारित करते हैं कि स्पर्म डोनेट करने वाला पुरुष किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त नहीं है और एक स्पर्म डोनर बनने के लिए सक्षम है। हर राज्य में अलग-अलग प्रकार के परीक्षण होते हैं और साथ ही स्थानीय स्पर्म क्लीनिक में कम या ज्यादा टेस्ट हो सकते हैं।

    स्पर्म बैंक किसी भी पुरुष को स्पर्म डोनर बनने से पहले निम्न परीक्षणों को पूरा करने की सलाह देता है।

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    स्पर्म डोनर को किन-किन परीक्षणों से गुजरना पड़ता है

  • उम्र, ज्यादातर स्पर्म बैंक 18 से 39 उम्र के पुरुषों को ही स्पर्म डोनेशन के लिए सक्षम मानते हैं। कुछ स्पर्म बैंक में अधिकतम उम्र 34 हो सकती है।
  • स्पर्म डोनर को सबसे पहले शारीरिक परीक्षणों से गुजरना पड़ सकता है। इस परीक्षण में खून और पेशाब का टेस्ट किया जाता है। इस परीक्षण की मदद से यह जांचा जाता है कि आपको कोई संक्रामक रोग जैसे एचआईवी एड्स, हेपेटाइटिस और सिफिल्स तो नहीं है। यदि आप नियमित रूप से स्पर्म डोनर बनना चाहते हैं तो हर 6 महीने बाद आपका शारीरिक परीक्षण किया जाएगा।
  • शुक्राणु का टेस्ट करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी से यह साबित होता है कि आप स्पर्म डोनर बनने के सक्षम हैं या नहीं। स्पर्म की टेस्टिंग के लिए आपको वीर्य पात से बचने की सलाह दी जाएगी। इस स्थिति में स्पर्म डोनर 48 से 72 घंटों तक सेक्स या हस्तमैथुन के माध्यम से वीर्य पात नहीं कर सकता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो इसका सीधा प्रभाव आपके टेस्ट और शुक्राणु की क्वालिटी पर पड़ेगा।
  • जेनेटिक टेस्टिंग की मदद से स्पर्म डोनर में यह जांच की जाती है कि उसमें किसी प्रकार की अनुवांशिक बीमारी तो नहीं है। हर स्पर्म बैंक अलग प्रकार और प्रकिया द्वारा जेनेटिक टेस्टिंग करता है। स्पर्म बैंक से यह अवश्य सुनिश्चित करें कि वह किस प्रकार के टेस्ट और किस प्रक्रिया इस्तेमाल करेंगे।
  • परिवार की मेडिकल हिस्ट्री में किसी भी प्रकार के अनुवांशिक रोग के मिलने पर आपके स्पर्म को रिजेक्ट किया जा सकता है। इसके लिए आपको अपनी दो जनरेशन की फैमिली हिस्ट्री बतानी होगी। 
  • इनके अलावा आपसे कुछ निजी व व्यक्तिगत सवाल पूछें जा सकते हैं। स्पर्म डोनर से पूछा जाता है कि उनका यौन जीवन कैसा है, उन्हें ड्रग की लत है या पहले कभी तो नहीं थी। इन सभी जानकारियों में आपकी आदतों, शिक्षा और रूचि से जुड़े सवाल भी शामिल हो सकते हैं।
  • यदि आप सभी स्क्रीनिंग टेस्ट को पास कर लेते हैं तो आपसे सहमति के लिए एक फॉर्म पर साइन करवाया जाएगा। इस फॉर्म में लिखा होगा कि आप इस बात की पुष्टि करते हैं कि आपको कोई सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन या अनुवांशिक स्थिति नहीं है। स्पर्म बैंक या जिसे भी आप अपना स्पर्म डोनेट कर रहे हैं उनसे इस बात की पुष्टि करना बेहद महत्वपूर्ण होता है कि आपके स्पर्म द्वारा पैदा हुए बच्चे से भविष्य में संपर्क कर सकेंगे या नहीं।

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    वीर्य का डोनेशन या स्पर्म डोनेशन की प्रक्रिया

    वीर्य का डोनेशन या  स्पर्म डोनेट करने से 2-3 दिन पहले आपसे हस्तमैथुन और संभोग या किसी भी अन्य जरिए से वीर्य पात करने से मना किया जा सकता है। स्पर्म डोनेशन आमतौर पर स्पर्म बैंक में की जाती है। आपको वहां स्पर्म के लिए एक कप दिया जाएगा जिसमें आपको हस्तमैथुन के जरिए अपना शुक्राणु भरना होता है।

    स्पर्म के लिए गए सैंपल को क्रायोप्रिजर्व (cryopreserve) कर के  6 महीनों के लिए क्वारंटीन (quarantine) में रख दिया जाता है। इसके बाद स्पर्म डोनर के संक्रामक रोग जैसे एचआईवी की जांच के लिए फिर से टेस्ट किए जाते हैं।

    यदि स्पर्म डोनर के सभी टेस्ट के परिणाम नेगेटिव आते हैं तो उसके जमाए गए सैंपल को पिघलाया जाता है और एक बार फिर उसकी मात्रा, क्वालिटी और गतिशीलता की जांच की जाती है। कुछ स्पर्म डोनर के शुक्राणु अन्यों के मुकाबले जमाने की प्रक्रिया में क्षतिग्रस्त होने की अधिक संभावना होती है । जमाने की प्रक्रिया में पहुंची क्षति एक ही स्पर्म डोनर के दो अलग-अलग शुक्राणु को विभिन्न प्रकार से प्रभावित कर सकती है।

    यदि किसी स्पर्म डोनर में किसी भी स्वास्थ्य समस्या के टेस्ट का परिणाम पॉजिटिव आता है तो उन्हें इलाज या काउंसलिंग की सलाह दे दी जाएगी।

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    यदि आपका स्पर्म सभी क्वालिटी टेस्ट को पास कर लेता है तो आप एक स्पर्म डोनर बन जाते हैं। यह बात ध्यान में रखें कि अधिकतर स्पर्म बैंक में आपके शुक्राणु को कितने बच्चों के गर्भधारण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, उसकी एक सीमा बैंक द्वारा पहले से ही तय होती है। इसलिए स्पर्म डोनेट करते समय हमेशा कानूनी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें और उसके बाद ही कोई निर्णय लें।

    भारत में बॉलीवुड की कई फिल्मों के कारण लोगों में स्पर्म डोनर बनने की लोकप्रियता बहुत बढ़ गयी है। विक्की डोनर जैसी फिल्मों को देखकर आज के युवा को लगता है कि वह भी स्पर्म डोनर बन कर हजारों रूपए कमा सकते हैं लेकिन असल में ऐसा बिलकुल नहीं है। स्पर्म डोनर बनने की लोकप्रियता के कारण डोनेशन की कीमत में कमी आई है। स्पर्म डोनेशन के लिए आपको हजारों रुपए शायद ही कोई स्पर्म बैंक दे। स्पर्म डोनेशन की मदद से कई लोगों को अपना परिवार बनाने का मौका मिलता है इसलिए इसमें पैसा न देखा जाए तो बेहतर है। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं। 

    डिस्क्लेमर

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