हमारे हिप का आकार बॉल और सॉकेट की तरह होता है। इस सॉकेट के आकार की हड्डी को एसेटाबुलुम (Acetabulum) और जांघ की हड्डी का ऊपरी सिरा जो गेंद के आकार का होता है, उसे फेमोरल हेड (Femoral head) कहा जाता है। यह गेंद या बॉल जांघ की हड्डी (leg bone) के ऊपरी सिरे पर स्थित होती है। हिप जॉइंट सॉकेट में कार्टिलेज (लेब्रम) (Labrum) बाहर की तरह होती है। कूल्हे के जोड़ के कुशन के अलावा लेब्रम एक रबड़ सील की तरह कार्य करता है। यह एक गैस्केट की तरह कार्य करती है, जो आपकी जांघ की हड्डी (Femur) के ऊपरी सिरे पर स्थित बॉल को हिप सॉकेट के भीतर बनाए रखता है।
लेब्रम हिप सॉकेट के भीतर कठोर कार्टिलेज और संयोजी ऊत्तकों का एक बैंड होता है, जो हिप सॉकेट को कवर या जोड़ता है। लेब्रम कूल्हे के जोड़ की हड्डी को गद्दीदार तकिया प्रदान करता है, जिससे हड्डियां सीधे एक दूसरे के संपर्क में आने पर रगड़ खाने से बचती हैं। लेब्रम पैर की हड्डी को उसकी जगह पर बनाए रखने में मदद करने के साथ जोड़ को स्थितरता प्रदान करता है। हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर में हिप सॉकेट के भीतर कार्टिलेज और ऊत्तक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इस स्थिति को हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर कहा जाता है।
कुछ मामलों में हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। कुछ अन्य मामलों में ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच की जगह) में दर्द होता है। हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर में चलने फिरने पर आपको सॉकेट के भीतर पैर में ‘पकड़ने’ या ‘क्लिकिंग’ का अहसास होता है। समय के हिसाब से हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर कूल्हे के जोड़ को स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। कूल्हे के जोड़ का कार्टिलेज (लेब्रम) कई कारणों से टूट सकता है। कुछ मामलों में गिरने या कार दुर्घटना में यह टूट जाता है। स्पोर्ट्स जैसे गोल्फ, सॉकर, हॉकी और बैलेट में नियमित रूप से पैर के रोटेशन की जरूरत होती है। इन सभी खेलों से हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। साथ ही दौड़ने या स्प्रिंटिंग से कूल्हे के जोड़ की हड्डी का कार्टिलेज टूट जाता है।
आइस हॉकी, सॉकर, फुटबॉल और गोल्फ जैसे खेलों में हिस्सा लेने वाले एथलीट्स में हिप लेब्रल के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। हिप में ढांचागत असामान्यता आने से हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर हो सकता है। हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। पुरुषों के मुकाबले यह समस्या महिलाओं को ज्यादा होती है।
हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर में निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं:
यदि आपको हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर, हिप का दर्द है या मुड़ने, चलने या हिप रोटेशन या एक्सरसाइज या खेलने पर यह और भी बदतर हो सकता है। कई बार हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर में कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं।
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उपरोक्त लक्षण या संकेतों का अनुभव होते ही आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यदि आपको चलने फिरने में परेशानी या दर्द का सामना करना पड़ रहा है तो किसी हड्डी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें। कई बार आपको हिप में अकड़न या दर्द का अहसास हो सकता है।
निम्नलिखित कारणों से आपको हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर हो सकता है:
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हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर से निम्नलिखित समस्या का खतरा बना रहता है:
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
निम्नलिखित तरीकों से हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर का पता लगाया जा सकता है:
हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर में हिप और ग्रोइन में दर्द होता है। इन हिस्सों में दर्द का अहसास इस समस्या का संकेत हो सकता है।
निम्नलिखित टेस्ट के माध्यम से हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर का पता लग सकता है:
एसेटाबुलर लेब्रम टीयर में प्लेन रेडियोग्राफी और सीटी स्कैन में हिप डिसप्लेसिया (Hip dysplasia), अर्थराइटिस और एसेटाबुलर सिस्ट (Acetabular cysts) का पता चलता है। हालांकि, इन्हें निदान के विश्वसनीय टूल नहीं माना जा सकता है।
एमआरआई से लेब्रम (कूल्हे की हड्डी का कार्टिलेज) का असामान्य आकार, एक गैर त्रिकोणीय लेब्रम, बिना स्पेस वाला मोटा लेब्रम, T1 तस्वीरों पर आंतों के बढ़े हुए संकेतों के साथ लेब्रम को देखा जा सकता है।
हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर का इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। शुरुआती इलाज में सूजन कम करने वाली दवाइयां दी जाती हैं। साथ ही फिजिकल थेरेपी को हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर का प्राथमिक इलाज माना जाता है। कई बार दर्द, मकैनिकल लक्षण (क्लिकिंग, लॉकिंग और पकड़ना) और मोबिलिटी में कमी इन उपायों से ठीक हो जाती है। कुछ दिनों बाद इससे पीढ़ित एथलीट दोबारा खेल के मैदान में उतर सकते हैं।
फिजिकल थेरेपी काफी विशेष मामलों में की जाती है, जिनमें बायकैमिकल दोष होते हैं। ऐसे लोगों में हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर का खतरा सबसे पहले होता है। दोबारा हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर से बचने के लिए एथलीट या इससे पीढ़ित लोगों के लिए इन समस्याओं पर ध्यान देना जरूरी है।
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यदि आपको गंभीर हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर हुआ है या नॉन सर्जिकल इलाज से आपको उचित फायदा नहीं मिला है तो हिप एरथ्रोस्कोपी की जा सकती है। इस सर्जरी में 1/2 सेंटीमीटर के करीब चीरा लगाया जाता है, जिसमें क्षतिग्रस्त कार्टिलेज को साफ या निकाल या सॉकेट से दोबारा जोड़ दिया जाता है। सर्जरी के बाद आपको अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इस दौरान दो से छह हफ्तों तक आपको क्रचेस इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है। हालांकि, क्रचेस इस्तेमाल की यह सीमा हर मामले में अलग हो सकती है। पोस्टसर्जिकल फिजिकल थेरेपी आपके हिप के आसपास की मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने के साथ रेंज ऑफ मोशन में भी सुधार करती है।
भले ही आपका इलाज सर्जरी या गैर सर्जरी से हुआ हो। हिप (एसेटाबुलर) लेब्रल टीयर को ठीक होने में छह हफ्तों तक का समय लग जाता है। हालांकि, यह कार्टिलेज (लेब्रम) की चोट पर निर्भर करता है। प्रतिस्पर्धा में भाग लेने वाले एथलीट कई बार दो और छह महीनों के बीच मैदान में वापसी कर लेते हैं।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
डिस्क्लेमर
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Current Version
25/09/2020
Sunil Kumar द्वारा लिखित
के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ
Updated by: Nidhi Sinha