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हड्डियों या टिशू पर किसी कारण अत्यधिक दवाब पड़ने से होने वाले नुकसान जैसे हड्डियों में हल्का क्रेक या सूजन आने की स्थिति को स्ट्रेस फ्रैक्चर कहते हैं। स्ट्रेस फ्रैक्चर ट्रैक करने वाले, फील्ड एथलीट और सैन्य भर्ती वाले व्यक्तियों में ज्यादा होती है।
स्ट्रेस फ्रैक्चर फील्ड एथलीटों, जिमनास्ट, डांसर, टेनिस खिलाड़ियों और बास्केटबॉल खिलाड़ियों के लिए सामान्य है। इन लोगों के अलावा अन्य लोगों को भी स्ट्रेस फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है। कमजोर हड्डियों या पोषण की कमी हुए व्यक्तियों को भी इसकी परेशानी हो सकती है। पैर, रीढ़, हाथ, पसलियों और हड्डियों में स्ट्रेस फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
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इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
इन लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी होना। इसलिए परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर विकल्प होगा।
निम्नलिखित परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से मिलें:
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निम्नलिखित कारणों की वजह से स्ट्रेस फ्रैक्चर हो सकता है:
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दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
डॉक्टर्स मेडिकल हिस्ट्री देखकर और शारीरिक जांच के अलावा निम्लिखित टेस्ट कर स्ट्रेस फ्रैक्चर की स्थति को समझ सकते हैं:
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स्ट्रेस फ्रैक्चर की परेशानी ज्यादा होने पर सर्जरी की जा सकती है। चलने में परेशानी होने पर वॉकिंग बोट जैसे अन्य चीजों का सहारा लिया जा सकता है। स्ट्रेस फ्रैक्चर सर्जरी में आमतौर पर 30 मिनट से 1 घंटे तक का समय लग सकता है। इसके लिए प्रभावित जगह पर चीरा लगाया जाता है और ऑपरेशन का प्रॉसेज होता है ताकि टूटी हई हड्डी को जोड़कर रिपेयर किया जा सके। फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए आमतौर पर डॉक्टर स्क्रू और प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है।
इस आर्टिकल में हमने आपको स्ट्रेस फ्रैक्चर से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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