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Duchenne Muscular Dystrophy: ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी क्या है? जानिए कारण, लक्षण और इलाज

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/04/2022

    Duchenne Muscular Dystrophy: ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी क्या है? जानिए कारण, लक्षण और इलाज

    शारीरिक रूप से किसी भी कार्य को करने के लिए हमारी मांसपेशियों व हड्डियों का सबसे अहम योगदान होता है। ये जितने स्वस्थ्य होंगे शारीरिक विकास व उसके कार्य की गुणवत्ता भी उतनी ही अच्छी होगी, लेकिन कुछ रोग भी हैं, जो इनके स्वास्थ्य को कमजोर कर सकते हैं। इसी में एक नाम ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy) की बीमारी। ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक दुर्लभ बीमारी है, लेकिन अगर यह किसी को हो जाए, तो उसका जीवनकाल कई मुश्किलों से भर सकता है। ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी क्या है, इसके कारण व लक्षण समेत विभिन्न बातों की जानकारी आप इसी लेख में पढ़ेंगे। 

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy) क्या है?

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystro phy) मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली एक आनुवंशिक बीमारी है। इस बीमारी के होने पर मांसपेशियों की कोशिकाओं में डाइस्ट्रोफिन (Dystrophin) नामक एक प्रोटीन का उत्पादन होना कम होने लगता है या उसका उत्पादन पूरी तरह से बंद भी हो सकता है। 

    इसकी वजह से मांसपेशियां धीरे-धीरे खत्म होना शुरू हो जाती हैं और लंबे तक इसकी स्थिति के कारण वो पूरी से खराब भी हो सकती है। यानी अगर शरीर के किसी हिस्से का मांसपेशियों को यह बीमारी प्रभावित करती हैं और समय रहते उसका उपचार न किया जाए, तो वह प्रभावित हिस्सा पूरा से खराब हो सकता है। 

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD) एक दुलर्भ बीमारी है, जो महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को मुख्य रूप से प्रभावित कर सकती है। आंकड़ों के अनुसार, 3 से 5 वर्ष की आयु में इसके लक्षण सामने आ सकते हैं। शुरू में इसकी वजह से शारीरिक तौर पर किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी बच्चे को यह अनुवांशिक बीमारी होती है, तो वह आसानी से चलना, खड़ा होना व दौड़ना सीख सकता है, पर वह बढ़ती उम्र के साथ इस तरह की किसी भी गतिविधि को करने में परेशानी महसूस कर सकता है। वह शरीरिक रूप से किसी भी कार्य को करने में असमर्थ भी हो सकता है।

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    डाइस्ट्रोफिन प्रोटीन क्या है?

    डाइस्ट्रोफिन एक ऐसा प्रोटीन है, जो मुख्य रूप से मांसपेशियों की कोशिकाओं के ऊपरी परत पर होता है। यह कई सारे प्रोटीन से मिलकर बना होता है, जो मांसपेशियों तक अन्य प्रोटीन को पहुंचने में मदद करता रहता है। यह मुख्य रूप से कंकाल यानी हड्डियों की मांसपेशियों और हृदय की मांसपेशियों में स्थित होता है। साथ ही, मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं में भी इस प्रोटीन की थोड़ी मात्रा पाई जाती है।

    वहीं, अगर किसी कारण इसकी मात्रा कम होने लगे या मांसपेशियों में इसका निर्माण होना बंद हो जाए, तो इससे  स्केट्ल और हृदय की मांसपेशियों का विकास व उनका कार्य प्रभावित हो सकता है। इसकी वजह से मांसपेशियां लचीली व कमजोर हो सकती है, जो आसानी से टूट भी सकती हैं। 

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण क्या है? (Cause of Duchenne Muscular Dystrophy)

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैंः

  • प्रोटीन की कमी – जैसा लेख में ऊपर बता चुके हैं कि डिस्ट्रोफिन नामक एक प्रोटीन मांसपेशियों में मुख्य रूप से पाई जाती है। इसकी कमी ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का कारण बन सकती है। 
  • पारिवारिक इतिहास – अगर किसी माता या पिता को पहले सी ही यह बीमारी मौजूद है, तो यह दोषपूर्ण जीन के कारण बच्चे में भी हो सकता है। लगभग 50%  मामलें ऐसे देखे जा सकते हैं, जिनमें बच्चों को उनके परिवारिक इतिहास कारण ये बीमारी हुई है।
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    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण क्या है? (Symptoms of Duchenne Muscular Dystrophy)

    ज्यादातर मामलों में ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण 6 वर्ष की उम्र से पहले पहचाने जा सकते हैं। इसी वजह से जन्म के शुरुआती वर्षों में इसकी पहचान नहीं हो पाती है। इसके लक्षणों में शामिल हैः

    • थकान होना।
    • सीखने की कठिनाई होना, बच्चे का IQ लेवल 75 से कम हो सकती है।
    • बच्चे में बौद्धिक अक्षमता होना, जैसे- बार-बार प्रयास करने पर बच्चा कुछ नया सीखने व करने में असमर्थ हो।
    • मांसपेशी में कमजोरी होना, खासतौर पर पैर, बाजुओं व गर्दन में।
    • मोटर कौशल के साथ समस्याएं होना, जैसे – बच्चे को दौड़ने, कूदने या किसी भी शारीरिक गतिविधि को करने में परेशानी होना।
    • बार-बार गिरना।
    • लेटने, उठने या चलने-फिरने में परेशानी होना।
    • सीढ़ियां चढ़ने में परेशानी होना।
    • हृदय की मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण सांस लेने में तकलीफ होना।
    • पैरों में सूजन होना।
    • मांसपेशियों की ताकत धीरे-धीरे घटना।
    • हृदय रोग होना।

    ऐसा देखा जा सकता है कि इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे 12 साल की उम्र तक चलने में पूरी तरह से असमर्थ हो सकते हैं। उन्हें व्हीलचेयर का उपयोग करना पड़ सकता है। वहीं, सांस लेने की तकलीफ व हृदय रोग के गंभीर लक्षण अक्सर 20 साल की उम्र से शुरू हो सकते हैं। 

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण किस तरह के जोखिम हो सकते हैं? (Risk factor of Duchenne Muscular Dystrophy)

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण समय के साथ अधिक गंभीर होने लगते हैं। इसके कारण निम्नलिखित परेशानियों के होने का जोखिम बढ़ सकता है, जैसेः

    • कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy), यह दिल से जुड़ा एक रोग है, जिसमें दिल की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।
    • दिल की विफलता (यह दुर्लभ मामलों में ही देखा जा सकता है)।
    • शारीरिक रूप से विकृतियां होना, जैसे- हाथ-पैरे टेढ़े-मेढ़ें होना या गर्दन का घूमना आदि।
    • अनियमित दिल की धड़कन
    • मानसिक रूप से कमजोर होना।
    • शारीरिक रूप से किसी कार्य को करने में असमर्थ होना या बहुत धीरे-धीरे करना।
    • निमोनिया या अन्य श्वसन संबंधी संक्रमण होना।

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का निदान कैसे किया जा सकता है? (Diagnosis of Duchenne Muscular Dystrophy)

    इस बीमारी का निदान करने में अक्सर देरी हो सकती है, क्योंकि आमतौर पर इसके लक्षण 5 वर्ष की उम्र के बाद दिखाई पड़ सकते हैं। ऐसे में स्पष्ट तौर पर जब बच्चा 8 से 10 वर्ष का हो जाता है, तो इसके लक्षणों की सटीकता की जा सकती है, जिसकी पहचान करने के निम्नलिखित तरीके हैंः

    शारीरिक व स्वास्थ्य परीक्षणः

    • 18 साल की उम्र होने पर कंजेस्टिव हार्ट फेलियर या अनियमित हृदय गति का अनुभव करना।
    • छाती और पीठ की विकृति होना, यानी पीठ व छाती की हड्डियां घुमावदार या झुकी हुई हो सकती हैं।
    • शरीर के अलग-अलग हिस्सों में मांसपेशियों का ऊभरना
    • एड़ियों व पैरों में सिकुड़ी हुई मांसपेशियां होना।
    • श्वसन संबंधी विकार होना या निमोनिया होना

    लैब परीक्षणः

    इसके लक्षणों की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर शारीरिक परीक्षण के साथ ही लैब परीक्षण भी कर सकते हैं, जैसेः

    ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज कैसे किया जा सकता है? (Treatment for Duchenne Muscular Dystrophy)

    मौजूदा समय में ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज करने के लिए कोई सफल इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ बातों का ध्यान रखते हुए व कुछ दवाओं के जरिए इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम जरूर किया जा सकता है। इनकी मदद से जीवन की गुणवत्ता में सुधार भी लाए जा सकते हैं, जैसेः

    • स्टेरॉयड दवाएं – इन दवाओं के सेवन से मांसपेशियों की ताकत को हो रहे नुकसान को धीमा किया जा सकता है। इससे मांसपेशियां मजबूत बनी रह सकती हैं और उनके कार्य करने की क्षमता भी बनी रह सकती है।
    • अन्य दवाएं – वहीं, सांस संबधी समस्याओं को कम करने के लिए अस्थमा व अन्य सांस संबंधी उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के सेवन की सलाह भी डॉक्टर दे सकते हैं। ये दवाएं सांस लेने की परेशानी को दूर करने में मददगार हो सकते हैं।
    • मछली का तेल – कुछ मामलों में डॉक्टर बच्चे के आहर में मछली के तेल के सेवन की सलाह दे सकते हैं। दरअसल, मछली व मछली के तेल में ओमेगा-3 होता है, जो हृदय के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभाकरी माना जा सकता है। ऐसे में हृदय से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मछली व मछली के तेल का सेवन करना लाभकारी हो सकता है।
    • ग्रीन टी – ग्रीन टी हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है। इसके अर्क में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो हृदय से संबंधित जोखिमों को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
    • थेरिपी – कुछ मामलों में डॉक्टर स्टेम सेल और जीन थेरिपी के उपचार की भी सलाह दे सकते हैं। हालांकि, ये उपचार कितना सफल हो सकते हैं, इस पर अभी भी शोध जारी है।
    • वेंटीलेशन – कुछ मामलों में इसकी गंभीरता को देखते हुए वेंटीलेशन ट्रीटमेंट की भी सलाह दी जा सकती है। यह आजीवन काल के लिए भी हो सकती है या फिर नियमित रूप से कुछ तय घंटों के लिए भी हो सकती है।
    • उपकरणों का इस्तेमाल – शारीरिक गतिविधियों में सुधार लाने के लिए आर्थोपेडिक उपकरण, जैसे – ब्रेसिज और व्हील चेयर के इस्तेमाल की भी सलाह दी जा सकती है।
    • सर्जरी – कुछ मामलों में रीढ़ व सीने की टेढ़ी-मेढ़ी हड्डियों के सुधार के लिए स्पाइन सर्जरी की प्रक्रिया भी अपनाई जा सकती है।

    एक बात का ध्यान रखें कि ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जीवन के घातक दुर्लभ मामलों में ही हो सकती हैं। हालांकि, ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण शारीरिक गतिविधियां व कार्य मुख्य रूप से प्रभावित हो सकते हैं। इसके कारण व्यक्ति का चलना, फिरना, घूमना आदि क्रियाएं बंद हो सकती हैं। जैसा की अध्ययनों के अनुसार, मौजूदा समय में इस बीमारी के लिए कोई भी सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है, परंतु कुछ दवाओं के जरिए इसके लक्षणों को धीमा किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता को कुछ हद तक सुधराने में मदद मिल सकती है। ऐसे में लक्षणों के आधार पर इसके लिए मौजूद इलाज व उपचार की प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है।

    डिस्क्लेमर

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