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एक तरह का क्रोनिक डिसऑर्डर है और एपिलेप्सी (मिर्गी) एक पुरानी बीमारी है, जिसे मिर्गी के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी में मरीजों को एक से ज्यादा कई प्रकार के दौरे (Seizures) पड़ते हैं। मिर्गी (Epilepsy) के जोखिम फैक्टर को कम करके इसे निपटा जा सकता है। एपिलेप्सी (मिर्गी) की समस्या होने पर व्यक्ति का व्यवहार सामान्य नहीं रहता है और उसे बेहोशी सी छाने लगती है। एपिलेप्सी (मिर्गी) की समस्या होने पर मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है। कुछ लोगों में एपिलेप्सी (मिर्गी) के लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि मिर्गी के दौरे के बारे में जानकारी ही नहीं मिल पाती है।
जब व्यक्ति को एपिलेप्सी (मिर्गी) का दौरा पड़ता है, तो शरीर कुछ समय के लिए भ्रम की स्थिति में आ जाता है। हो सकता है कि ऐसे में व्यक्ति आसपास की वस्तुओं और लोगों को न पहचान पाएं। शरीर में कुछ सेकेंड के लिए झटके का एहसास हो सकता है। एपिलेप्सी (Epilepsy) से पीड़ित व्यक्ति भी अन्य व्यक्तियों की तरह ही सामान्य जीवन जी सकते हैं। इस बीमारी का इलाज विभिन्न तरीकों से किया जाता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि आखिर कैसे एपिलेप्सी (मिर्गी) की बीमारी हो जाती है और किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।
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दौरे के संकेत और लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
ऊपर दिए गए उनमे से कुछ लक्षण हो सकते हैं या इससे अलग भी लक्षण देखे या महसूस किये जा सकते हैं। इसलिए लक्षण समझ आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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एपिलेप्सी की समस्या होने पर नीचे दिए गए बदलाव महसूस हो सकते हैं अन्य लोग इसके लक्षणों को समझकर डॉक्टर से कंसल्ट करें। यहां नीचे दिए बातों को भी ध्यान में रखकर डॉक्टर से कंसल्ट करना न भूलें।
ऊपर दिए गए कोई संकेत या लक्षण है या कोई सवाल है, तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क करे। हर किसी का शरीर अलग काम करता है और अपने डॉक्टर के साथ बात करता सबसे अच्छा तरीका होता है।
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आंकड़े बताते हैं कि मिर्गी के आधे से अधिक मामलों में एक भी कारण नहीं पाया जा सकता है। पहचान में आए वो आमतौर से दिमाग के कुछ हिस्सों में इफेक्ट करते हैं।
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कुछ फैक्टर से एपिलेप्सी का खतरा बढ़ सकता है:
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दी गई जानकारी किसी भी मेडिकल एडवाइज का विकल्प नही है,ज्यादा जानकारी के अपने डॉक्टर से संपर्क करे।
आपको लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री देखकर साथ ही आपकी हालात का निदान करने के लिए आपका डॉक्टर कई टेस्ट कर सकते हैं जैसे:
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एपिलेप्सी के इलाज का उपयोग दौरे को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। हालांकि इस हालत वाले हर व्यक्ति को इलाज करने की जरूरत नहीं होगी।
एपिलेप्सी के इलाज के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं। दवा का चॉइस अक्सर रोगी के साइड इफेक्ट को सहन,और बीमारियों के साथ या उसके और दवा की डिलीवरी मेथड जैसे फैक्टर पर मुताबिक होता है।
एपिलेप्सी हर तरह के होते हैं और काफी अलग होते हैं और खासतौर से दवाएँ लगभग 70 प्रतिशत मरीजों में दौरे को कंट्रोल कर सकती हैं।
हालांकि एपिलेप्सी की दवाओं के कुछ साइड इफेक्ट हैं,जो हम आपको नीचे बता रहे हैं:
सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है जब टेस्ट से पता चलता है कि आपके दौरे आपके दिमाग के एक छोटे, अच्छी तरह से डेफिन्स जगह में जनरेटर होते हैं जो स्पीच, लेंग्वेज, मोटर फ़ंक्शन, विजन या आवाज जैसे महत्वपूर्ण काम साथ नहीं करता है। सर्जरी में आपका डॉक्टर आपके दिमाग के हिस्से को हटा देता है जो कि दौरे का कारण बन रहा है।
लेकिन अगर आपके दौरे आपके दिमाग के एक हिस्से में जनरेट होते हैं, जिसे हटाया नहीं जा सकता है, तो आपका डॉक्टर एक अलग प्रकार की सर्जरी की रिकमेंड कर सकता है, जिसमें सर्जन आपके दिमाग में कई कट्स करते हैं। ये कट्स आपके दिमाग के दूसरे हिस्सों में फैलने से रोकने के लिए डिजाइन किए जाते हैं।
हालांकि कई लोगों को सफल सर्जरी के बाद दौरे को रोकने में मदद करने के लिए कुछ दवा की जरूरत होती है। आप कम दवाएं लेने और अपनी खाना कम करने में कैपेबल हो सकते हैं।
कुछ मामलों में, एपिलेप्सी के लिए सर्जरी आपकी सोच (Cognitive) एबिलिटी को परमानेंट रूप से बदलने जैसी कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकती है।
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एपिलेप्सी डिफरेंट अनुभव वाले लोगों को कई तरीकों से इफेक्ट कर सकता है, लेकिन कुछ सुझाव हैं, जो मदद कर सकते हैं:
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एपिलेप्सी (मिर्गी) की समस्या के दौरान जीवनशैली में बदलाव के साथ ही डायट चेंज भी बहुत मायने रखता है। आप खाने में कीटोजेनिक डायट को शामिल करें। कीटो डायट में लो कार्ब के साथ ही लो प्रोटीन होता है। स्टडी में ये बात सामने आई है है कि एपिलेप्सी (मिर्गी) की समस्या के दौरान लो कार्ब डायट लेने से शरीर में सकारात्मक असर पड़ता है। आप खाने में कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फैट को एक सीमित मात्रा में लें। खाने के साथ ही तरल पदार्थों का सेवन भी बढ़ा दें। ऐसा करने से शरीर को लाभ पहुंचेगा। आग मिर्गी के ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर से जरूर पूछें कि आपको किस तरह की डायट लेनी चाहिए। खाने में ऑयली फूड की जगह ग्रिल फूड को महत्व दें। साथ ही रोजाना एक्सरसाइज और बॉडी फिटनेस पर भी ध्यान दें।
इस आर्टिकल में हमने आपको एपिलेप्सी से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
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हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
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