डिलिवरी के बाद लगातार शिशु को गोद में लेने से महिलाओं की कमर में दर्द हो जाता है। इसके पीछे कई वजहें होती हैं। जिसमें एक डिलिवरी के दौरान ज्यादातर भार महिला की लोअर बैक पर पड़ता है। वहीं कुछ मामलों में कैल्शियम की कमी से लोअर बैक कमजोर हो जाती है। समय के साथ शिशु का वजन भी बढ़ता रहता है। इससे भी महिलाओं को शिशु को उठाते वक्त कमर दर्द हो सकता है। आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन (Newborn holding position) के बारे में जानकारी देने वाले हैं। इन बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन (Newborn holding position) को जानकारी से महिलाएं होने वाले कमर दर्द से खुद का बचाव कर सकती हैं और इस तरह के पुजिशन से बच्चे को गोद में उठाने से शिशु भी काफी सहज रहता है।
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जानिए बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन (Newborn holding position)
बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन – शिशु को उठाते वक्त घुटने मोड़ें
शिशु को फर्श से उठाते वक्त अक्सर महिलाएं अपनी कमर को मोड़कर नीचे की तरफ झुक जाती हैं, जो कि गलत तरीका हो सकता है। इससे डायरेक्टली लुंबर सेक्शन की वर्टिब्रा पर असर पड़ सकता है। आम भाषा में इसे लोअर बैक की हड्डी (Lower back bone) भी कहा जाता है। इससे बचने के लिए आपको कमर की बजाय अपने घुटनों को मोड़ना है। इसके बाद आपको स्कॉट की पुजिशन में आना है। साथ ही अपने पेट की मसल्स को टाइट रखना है। इसके बाद ऊपर की तरफ कमर से जोर ना लगाकर अपने पैरों से ऊपर उठें। इससे आपको जमीन से अपोजिट ग्रेविटेशन सपोर्ट मिलेगा और आप इस तरह अपने बच्चे को आसानी से गोद में उठा सकती हैं।
बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन – बाजुओं को स्ट्रेच ना करें
शिशु को उठाने के लिए महिलाएं अपनी बाजुओं को स्ट्रेच करती हैं। यह पॉश्चर के लिहाज से गलत हो सकता है। शिशु को उठाने से पहले आपको अपनी चेस्ट या बच्चे को नजदीक लाना है। शिशु को उठाते वक्त आपको बॉडी को हिलाना-डुलाना नहीं है। इससे लोअर बैक पर प्रेशर पड़ सकता है क्योंकि, अपर बॉडी का भार लोअर बैक (Lower back) ही संभालती है।
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बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन – शिशु को सीने लगाकर गोद में उठाएं
शिशु को सीने से लगाकर उठाने से सारा वजन बॉडी के हर हिस्से पर बराबर पड़ता है। आपकी रीढ़ पर पड़ने वाला दबाव पेट, अपर बॉडी और लोअर बॉडी (Lower body) में बंट जाता है। इस स्थिति में बच्चे को गोद में उठाते वक्त उसकी गर्दन को सपोर्ट जरूर दें। हालांकि, बच्चे को इस प्रकार उठाए रखने से आपके दोनों हांथ फ्री नहीं रहेंगे। इसे भी आप बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन (Newborn holding position) के तौर पर अपना सकते हैं।
बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन – हिप पर शिशु को ना रखें
अक्सर महिलाएं शिशु को एक हिप की तरफ कैरी करके चलती हैं। इससे उनकी हिप और कमर की मसल्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। हालांकि, शिशु को कैरी करने का यह एक आसान तरीका है। आपको विकल्प के तौर पर दूसरे हिप का भी इस्तेमाल करना है। इससे सिर्फ एक हिप (Hip) पर दबाव नहीं पड़ेगा।
बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन – ट्रैवलिंग में अपनाए बेबी बैग
ट्रैवलिंग के दौरान अपने हाथों का इस्तेमाल किए बिना शिशु को कैरी करना एक अच्छा विकल्प है। इसके लिए बेबी बैग का सहारा लिया जाता है लेकिन, गलत बेबी बैग का चुनाव आपकी कमर में दर्द (Back pain) कर सकता है। चौड़े पैड वाला बेबी बैग अच्छा होता है। इसमें एक बेल्ट भी होती है, जो आपके हिप्स के चारो तरफ बंधती है। इससे वजन का कुछ हिस्सा बंट जाता है। बेबी बैग का इस्तेमाल करने से पहले इसमें शिशु की सेफ्टी के बारे में भी जांच परख कर लें।
शिशु के साथ-साथ अपनी कमर का ध्यान रखना भी जरूरी है। कमर दर्द होने से आप अपने शिशु को लाड़-दुलार नहीं कर पाएंगे। बेहतर होगा कि सावधानी बरतें। ताकि शिशु भी फिट रहे और आप भी।
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क्या डिलिवरी के बाद कमर दर्द करना सामान्य हो सकता है?
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद से ही कुछ महिलाओं को कमर दर्द और पेट के निचले हिस्से में दर्द होने की समस्या होने लगती है। जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसेः
- शारीरिक कमजोरी (Weakness) आना
- उचित पोषण न मिलना
- वजायनल टीयर (Vaginal tear) की रिकवरी में अधिक समय लगना
- गलत पुजिशन में सोना
- गलत पुजिशन में शारीरिक संबंध (Physical contact) बनाना
- भारी वजन उठाना (Weight lifting)
- शारीरिक तौर पर बहुत अधिक कार्य करना
- गलत तरीके से झुकना, आदि।
अगर डिलिवरी के बाद किसी महिला को कमर दर्द (Back pain) की शिकायत होती है, तो उसे सबसे पहले ऊपर बताई गई छोटी-बड़ी सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर इसके बाद भी उसे कमर दर्द की शिकायत बनी रहती है, तो उसे अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही, बच्चे को उठाने की बेस्ट पुजिशन (Newborn holding position) का भी ध्यान रखना होगा।
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कमर दर्द दूर करने के अन्य उपाय क्या हो सकते हैं?
अपने प्रसूति विशेषज्ञ की सलाह पर एक्सरसाइज और योग करें। वे आपको निम्न एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैंः
कैट एंड कैमल स्ट्रेच (Cat-Camel Stretch)
इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले आपको किसी समतल स्थान पर अपने योगा मैट को बिछाना होगा। फिर अपने हाथों और घुटनों के सहारे शरीर के ऊपरी धड़ को ऊपर उठाएं। ऐसा करते हुए आपको सांस अंदर की तरफ लेनी होगी। सीने को आगे ले जाएं और नाभि को फर्श की तरफ आने दें। अब सांस छोड़ते समय अपनी रीढ़ को बाहर की तरफ घुमाएं और टेलबोन को सिकोड़ें। इसके बाद अपने सिर को फर्श की ओर लाएं और ठोढ़ी को चेस्ट की ओर रखें। ऐसा करते हुए आपके सांस अंदर और बाहर की तरफ निकालनी है। ऐसा आपको 5 से 10 बार करना होगा। आप चाहें तो नियमित इसे कर सकती हैं या फिर आप इसे गर दूसरे दिन भी कर सकती हैं।
ब्रिज पोज (Bridge pose)
ब्रिज पोज करने के लिए मैट पर लेटते समय अपने दोनों पैरों को मैट पर ही रखें और घुटने उठाएं। अब अपनी बाहों को शरीर के पास लाएं और सांस लेते समय अपने हिप्स को ऊपर की तरफ उठाएं और कमर को सिकोड़ें। ऐसा करते समय आपको आपनी चिन से चेस्ट (Chest) छूने का प्रयास करना है। इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस मैट पर सामान्य अवस्था में लेट जाएं।
एक बात का ध्यान रखें कि बच्चे को गोद में उठाने से पहले अपने हाथों को साबुन (Soap), पानी (Water) या सैनिटाइजर से साफ करें। हमेशा स्वच्छ और सूखे हाथों से ही बच्चे को गोद में उठाना चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और बच्चों को उठाने से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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