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शिशु को डकार दिलाना क्यों हैं जरूरी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/09/2020

    शिशु को डकार दिलाना क्यों हैं जरूरी?

    स्तनपान करने वाले और बोतल से दूध पीने वाले दोनों शिशुओं को डकार दिलाना जरूरी होता है। कई बार गैस के बुलबुले शिशु के पेट में होने के कारण उन्हें फुलनेस का अहसास होता है, जिससे वे असहज हो जाते हैं और कई बार रोने भी लगते हैं। यही नहीं, इससे उन्हें पेट दर्द, उल्टी जैसी समस्या भी हो सकती है। इस परेशानी से बचने के लिए अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रीशियन (एएपी) दूध पिलाने क बाद नियमित रूप से शिशु को डकार दिलाने की सलाह देती है, ताकि शिशु स्तनपान के बाद चैन से रहे और उसे किसी तरह की तकलीफ न हो।

    आज हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में हम शिशु को डकार दिलाने के तरीकों के बारे में बताएंगे। साथ ही जानेंगे कि शिशु को डकार दिलाने से क्या फायदे हो सकते हैं। लेकिन इन सबसे पहले हम जानेंगे कि डकार आखिर है क्या। फिर उसके बाद जानेंगे कि शिशु को डकार क्यों दिलानी चाहिए।

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    डकार क्या है?

    कई बार शिशु स्तनपान करते समय या बोतल से दूध पीते समय दवा के बुलबुले भी साथ में निगल लेते हैं। यह हवा के बुलबुले शिशु के डाइजेस्टिव सिस्टम में फंस जाते हैं, जो उन्हें काफी परेशान करते हैं। इससे उनके पेट में गैस भी बनती है। इसी हवा को मुंह के जरिए बाहर निकालने की प्रक्रिया को डकार का नाम दिया गया है।

    अब जानिए शिशु को दूध पिलाने के बाद डकार क्यों दिलाई जाती है।

    शिशु को डकार क्यों दिलाते हैं?

    हर नई मां के लिए यह एक सामान्य सवाल है। शिशु को डकार दिलाना बेहद जरूरी है। दूध पीते वक्त अक्सर शिशु के पेट में हवा चली जाती है। जो पेट में गैस बनाने का कार्य करती है।

    हालांकि, ब्रेस्टफीडिंग के मुकाबले बोतल से दूध पीने वाले शिशु के पेट में हवा ज्यादा जाती है। इस गैस को बाहर निकालने के लिए शिशु को डकार दिलाना जरूरी होता है। कई बार दूध पीते वक्त शिशु की नाक में दूध चला जाता है, इस स्थिति में भी शिशु को सीने से लगाकर थपकी देने उसे राहत मिलती है।

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    शिशु को डाकर दिलाने के आसान तरीके

    कंधे पर रखकर शिशु को डकार दिलाएं

    शिशु को डकार दिलाने के लिए सबसे पहले उसे सीने से लगाएं। उसका मुंह आपके कंधों के ऊपर और पीछे की तरफ होना चाहिए। इसके बाद उसकी कमर के हिस्से को अपने सीधे हांथ से पकड़ें। आसान भाषा में जिस प्रकार से आप शिशु को खड़े होकर गोद लेते हैं, आपको ठीक वैसे ही शिशु को पकड़ना है। शिशु को गोद में लेने से पहले एक कपड़े को कंधे पर डाल लें।

    कई बार शिशु डकार लेते वक्त दूध की उल्टी कर देता है। इससे आपके कपड़े खराब होने से बच जाएंगे। इसके बाद अपने दांए हाथ से हल्का-हल्का शिशु की पीठ पर थपकी दें। ध्यान रहे आपका हांथ बिल्कुल हल्का होना चाहिए। ऐसा करते वक्त आपको बीच-बीच में रुकना है।

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    गोद में रखकर शिशु को डकार दिलाएं

    शिशु को डकार दिलाने का यह तरीका बेहद ही आसान है। सबसे पहले आपको शिशु को अपनी गोद में बैठाना है। इसके बाद दाएं हांथ से उसकी जॉ को हल्के से पकड़ना है। आपके हांथ का अंगूठा एक तरफ और बीच की उंगली एक तरफ रहेगी। इसके बाद दाएं हाथ से उसकी पीठ को हल्की सी थपकी दें। शिशु के आगे एक कपड़ा जरूर रख लें।

    शिशु को कितनी बार डकार दिलाएं

    अब यह प्रश्न उठता है कि शिशु को कितने बार डकार दिलाएं। एक्सपर्ट्स की मानें तो शिशु को हर फीडिंग के बीच में डकार दिलाएं। यदि आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो ब्रेस्ट बदलने से पहले शिशु को डकार दिलाएं। आप हर राउंड में एक मिनट का अंतराल ले सकती हैं। इससे शिशु को राहत मिलेगी।

    हम यही कहेंगे कि शिशु को डकार दिलाना उसकी सेहत के लिए अच्छा है। नियमित रूप से शिशु को डकार दिलाना चाहिए। कई बार शिशु को थपकी देने पर उन्हें डकार नहीं आती। इसे लेकर आपको घबराने की जरूरत नहीं है। इस प्राॅसेस के लिए आप घर के बड़ों की भी मदद ले सकती हैं।

    चूंकि स्तनपान के बाद शिशु के पेट में गैस बनती है, इसलिए उसे डकार दिलाई जाती है। लेकिन शिशु को गैस होने के और भी कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं :

    कोलिक से बनती है शिशु के पेट में गैस

    चौथे महीने के दौरान शिशु एक हफ्ते में तीन दिन तक तीन घंटे से ज्यादा रोता है। ऐसा तीन हफ्तों तक चलता है। इसे कॉलिक कहा जाता है। हालांकि, कोलिक के पीछे शिशु के पेट में गैस का बनना कारण नहीं होता है। यदि आपका बच्चा कोलिक में है तो वह ज्यादा रोएगा, जिसकी वजह से उसके पेट में ज्यादा हवा भी जाएगी। इसके परिणामस्वरूप पेट में गैस बनेगी। रोते वक्त शिशु के पेट पर दबाव पड़ता है। कोलिक में ज्यादा रोने से उनके पेट में दर्द हो सकता है।

    मां का आहार

    बच्चे के आहार और दूध के साथ-साथ में को भी अपने आहार का पूरा ध्यान रखना चाहिए। मां जो कुछ भी खाती है, उसी आहार का पोषण मां के ब्रेस्ट मिल्क के जरिए शिशु का आहार बनता है। ऐसे में अगर मां कुछ ऐसा खाती है, जो गैस बनने का कारण हो सकता है, तो उससे शिशु के पेट में गैस की समस्या हो सकती है।

    शिशु का ज्यादा रोना

    रोते वक्त शिशु के पेट में हवा चली जाती है। इससे उसके पेट में गैस बन जाती है। आपने सुना होगा कि रोने के बाद अक्सर शिशु गैस पास कर देते हैं। शिशु के लगातार रोने के पीछे कारण पता लगाना मुश्किल होता है। दरअसल गैस और उसके कारण होने वाले दर्द की वजह से बच्चा रोता है।

    फॉर्मुला दूध पिलाने का तरीका

    आमतौर पर जब दूध की बोतल से बच्चे को फॉर्मूला दूध पिलाया जाता है, तो उस बोतल को लोग हिलाकर ही बच्चे को दूध को पिलाते हैं। ऐसे करने से दूध में झाग के रूप में हवा इकट्ठी हो जाती है। जिसे पीने के बाद बच्चे को गैस की समस्या हो सकती है।

    डाइजेशन की समस्या

    शिशु के पेट में गैस बनने का कारण खराब डाइजेशन भी हो सकता है। यह एक प्रकार की रिफलक्स की समस्या हो सकती है। यदि शिशु के पेट में गैस की समस्या ज्यादा गंभीर है तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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    Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/09/2020

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