विकास और व्यवहार
मेरे 25 सप्ताह के शिशु का विकास कैसा होना चाहिए?
अब शिशु छह महीने के लगभग हो गया है और उसमें आपको कई तरह के बदलाव भी देखने को मिलेंगे। इस दौरान आप कोशिश करें कि शिशु के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें। इस चरण में शिशु बैठने लगता है और छोटे-छोटे शब्द बोलने की कोशिश करता है।
25 सप्ताह के शिशु का शारीरिक विकास कैसे होना चाहिए?
25 सप्ताह के शिशु अपनी जरूरतों के अनुसार नई चीजें सीखना शुरू कर सकते हैं। 25 सप्ताह के शिशु होने पर उनका मानसिक विकास तेजी से होता है। इस दौरान आपको अपने 6 माह के बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिनमें शामिल हैंः
25 सप्ताह के शिशु का शारीरिक विकास
- अब वह धीर-धीरे आपको अपनी जरूरतों को बताना शुरू कर सकता है।
- अब वह नई-नई चीजों को करना सीख सकता है।
- 25 सप्ताह के शिशु का ब्रेन बहुत सारी चीजों को पहचानना शुरू कर सकता है।
- अपने 25 सप्ताह के शिशु को आप ठोस आहार खिलाने के लिए तैयार कर सकते हैं।
- अब वह खुद बैठना भी सीख सकता है।
आपके शिशु के दांत निकलने भी शुरू हो जाते हैं। जब शिशु में दांत निकलने शुरू होते हैं, तो उनके व्यवहार में कई तरह के बदलाव आप देख सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
- 25 सप्ताह के शिशु का चिड़चिड़ा होना
- बच्चे का लगातार रोना
- बार-बार बुखार आना
- मसूड़ों में सूजन होना
इस तरह की स्थितियां काफी सामान्य हो सकती हैं। लेकिन, अगर आपको बच्चे में किसी तरह के गंभीर लक्षण या व्यवहार दिखाई दें, तो आपको अपने डॉक्टर या बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
25 सप्ताह के शिशु का वजन और कद
- बेबी गर्ल का वजन और कद – 5.6 से 7.5 किलोग्राम और लंबाई करीब 65.7 सेंटीमीटर हो सकती है।
- बेबी बॉय का वजन और कद – 6.2 से 8.2 किलोग्राम और लंबाई करीब 67.6 सेंटीमीटर हो सकती है।
6 माह के शिशु के कद और वजन का यह चार्ट डब्ल्यूएचओ के विकास चार्ट के अनुसार एक औसत भारतीय बच्चे से जुड़ा है। हर बच्चे का कद और वजन उनके विकास, देखभाल और आहार के अनुसार प्रभावित हो सकता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
25 सप्ताह के शिशु में ब्रेन का विकास
आपके 25 सप्ताह के शिशु में मानिसक तौर पर निम्न विकास देख सकते हैंः
चीजों को मुंह में लेना
इस दौरान बच्चे किसी भी खिलौने या कोई भी वस्तु जो उनके हाथ के संपर्क में आती है, उसे वो मुंह में डालने का प्रयास करने लगते हैं। जिससे कई बार बच्चे चीजों को निगल भी सकते हैं। ऐसे में आपको काफी सतर्क रहना चाहिए।
नकल करना
आपके द्वारा बोले गए कई तरह के शब्दों को आपका बच्चा बोलने का प्रयास भी कर सकता है।
प्रतिक्रिया करना
आपका 25 सप्ताह का शिशु अब इस बात को समझना शुरू कर सकता है कि आप उसे या उसके आस-पास रहने वाले अन्य लोगों को किस नाम से पुकारते हैं।
मुझे 20 सप्ताह के शिशु के विकास के लिए क्या करना चाहिए?
बढ़ती उम्र के साथ शिशु एक्टिव होने लगता है, इसलिए उसे आरामदायक कपड़े पहनाएं। आप सॉफ्ट फैब्रिक वाले कपड़ों का चुनाव करें। ढीले और स्ट्रेचेबल कपड़े में बच्चे आराम से खेल सकते हैं और एक्टिव भी रहेंगे। शिशु को ऐसे कपड़े पहनाने से बचें जोकि मोटे या चुभते हों। मोटे फैब्रिक से उन्हें उलझन होने के साथ खुजली की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा इस दौरन आपको बच्चे के व्यवहार में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। कई बार आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वो नए-नए प्रयास भी करेगा।
और पढ़ेंः बच्चा बार-बार छूता है गंदी चीजों को, हो सकता है ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD)
स्वास्थ्य और सुरक्षा
मुझे अपने डॉक्टर से क्या चर्चा करनी चाहिए?
शिशु की स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार डॉक्टर उसका पूरा फिजिकल चेकअप करेंगे। इसके अलावा, डॉक्टर आपसे कुछ सवाल भी पूछ सकते हैं, जैसे कि शिशु का दिनचार्या कैसा है, परिवार में कितने बच्चे हैं, शिशु की दिनभर में डायट कितनी है, वो दिनभर कितनी नींद लेता है और खाने में आप उन्हें क्या देती हैं आदि। डॉक्टर शिशु के वजन और हाईट का विकास कैसा हो रहा है यह भी चैक करेंगे।
और पढ़ेंः अपने 20 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए आपको किन जानकारियों की आवश्यकता है?
जांच और टीकाकरण भी है जरूरी
6 माह के होने पर बच्चों को कुछ जरूरी टीकाकरण लगवाने चाहिए और डॉक्टर बच्चे के स्वास्थ्य की भी जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।
6 माह के बच्चे को लगने वाले टीकाकरण
- पी.सी.वी.13
- एच.आई.बी
- डी.टा.पी.
- रोटाविषाणु
- हेपेटाइटिस बी
- पोलियो की तीसरी खुराक
डॉक्टर के पास कब जाएं?
मुझे किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
यहां दी गई कुछ जानकारियों के बारे में आपको पता होना चाहिए, जैसे कि:
अस्थमा:
अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जो बहुत से बच्चों को हो जाती है। इस बीमारी में सांस की नली में सूजन या सिकुड़न आ जाती है। इससे फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव महसूस होता है। ऐसे में सांस लेने पर दम फूलने लगता है। यह श्वसन प्रणाली में इंफेक्शन और वायरस की वजह से होता है, जो आमतौर पर एक्सरसाइज के बाद या ठंड में मौसम में अटैक करती है। लेकिन, अगर इसका अच्छी तरह से इलाज किया जाए, तो अस्थमा से पीड़ित अधिकांश बच्चे अभी भी स्वस्थ जीवन और नियमित गतिविधियां कर सकते हैं। बच्चे के बड़े होने के साथ यह समस्या कम भी होने लगती है क्योंकि बच्चे की सांस की नली अकसर जैसे जैसे बच्चे बड़े होते जाते है वैसे वैसे काम होता है क्योंकि उनकी नाक की नलिया बड़ी होने लगती है।
अगर आपके बच्चे को अस्थमा है तो उसे सांस लेने में तकलीफ होगी, कभी-कभी ज्यादा खांसी रहेगी, सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आएगी, सांस लेते वक्त पसलियों का सिकुड़ना, ज्यादा थकान महसूस होना और त्वचा का पीला पड़ जाना जैसी दिक्कते हो सकती हैं।
अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके बच्चे को अस्थमा अटैक आया है और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है, खासतौर पर गले, पसली या पेट में दबाव पड़ रहा है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
आमतौर पर, जब बच्चों को सर्दी और खांसी हो जाती है तब सांस के साथ घरघराहट की भी आवाज आती है। रात में खांसी तेज हो जाती है। अगर आपके शिशु के साथ भी ऐसा हो रहा है तो ये बात आप डॉक्टर को बताएं।
यदि शिशु को अस्थमा की समस्या है तो डॉक्टर आपको बताएंगे कि उस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए। इसके अलावा, अस्थमा की समस्या क्यो होती है, उन कारणों के बारे में भी आपको पता होना चाहिए। ये किसी श्वसन बीमारी, पर्यावरण में बदलाव, तंबाकू या धूम्रपान से एलर्जी होने की वजह से भी हो सकती है। सर्दी और खांसी के दौरान आप नेबुलाइजर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। जब बच्चा सोए तो उसके सिर के नीचे तकिया लगाएं ताकि सिर और गर्दन थोड़ा उपर की तरफ रहे। आप बच्चे का एलर्जी टेस्ट भी करवा सकते है ताकि आपको पता चले की किस चीज से एलर्जी हो रही है। मेडिकल उपचार के तौर पर आप ब्रोंकोडाइलेटर का इलाज कर सकते हैं ताकि श्वसन के रस्ते खुले और नाक में सूजन भी कम हो। अगर कोई इंफेक्शन भी हो तो, डॉक्टर कुछ एंटी-बायोटिक्स भी दे सकते हैं।
बेबी बाथिंग और सेफ्टी
कई बच्चों को बाथटब में नहाने के बाद काफी मजा आता है, लेकिन, आप यह सुनिश्चत कर लें कि बच्चा स्नान के साथ सुरक्षित भी रहे। इसके लिए आप निम्नलिखित सुझावों का पलन कर सकते हैं।
अगर शिशु अभी बैठता नहीं है तो आप उसे बाथटब में न बैठाएं। आप तबतक प्रतीक्षा करें जबतक कि आपका शिशु बहुत अच्छी तरह से न बैठ सके, न ही उसे अकेले बाथटब में छोड़ें।
यदि शिशु बैठने लगा है तो बाथटब में बैठाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि कहीं को फिसल न जाए।
बच्चे को टब में नहलाने से पहले टब में तौलिया, वॉशक्लोथ, साबुन, शैंपू, खिलौने और टब में कोई अन्य आवश्यक वस्तुएं भी रखें।
उनके पक्ष में रहें: बच्चे को हमेशा अपने पहले पांच वर्षों के दौरान हर स्नान के समय वयस्कता की आवश्यकता होती है।
नहाने के पानी की जांच करें: अपने बच्चे को टब में नहलाने से पहले पानी ज्यादा ठंडा या गर्म तो नहीं है यह चेक कर लें।
महत्वपूर्ण बातें
मुझे किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
कुछ बातों का आपको विशेष रूप से ध्यान रखना चहिए, जैसे कि-
अगर शिशु की नींद पूरी नहीं हो पाती है और वो जल्दी उठ जाता है तो कुछ खास बातों का ध्यान रखें –
- सुबह कमरे में तेज रोशनी आने की वजह से भी शिशु की नींद खुल सकती हैं, इसलिए पर्दे लगाकर रखें।
- वाहनों की आवाज से बचाए,
- दिन में शिशु को ज्यादा न सुलाएं,
- बच्चे की नींद का समय कम करें,
- बच्चे के साथ अलग तरीके के खेल खेलें,
- नाश्ते के समय तक बच्चे को उठा दें।
बच्चे को बाथटब में नहलाते समय ध्यान रखें:
- बच्चे को बड़े बाथ टब में नहलाएं,
- आपका बच्चा नहाते वक्त कैसा अनुभव करता है, ये जानने की कोशिश करें।
- पानी का तापमान चेक करें।
- अपने बच्चे को नहाने के लिए खुद भागने दे;
- बाथ टब में खिलौने डाल दें।
- ज्यादा ठंडा पानी का इस्तेमाल न करें,
- बच्चे को हाथ में कुछ पकड़े रहने दें,
- बच्चे को पानी में छप-छप करने दें,
- नाहते समय आप उनके साथ दोस्त की तरह खेलें,
- खाने के बाद उन्हें न नहलाएं।
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