नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों की देखभाल की बात की जाए, तो उनका पूरा जिम्मा मां या घर के अन्य बड़े सदस्यों के कंधों के ऊपर ही होता है। छोटे बच्चों में कान के इंफेक्शन के साथ-साथ नाक और मुंह के साथ-साथ उनके शरीर के अन्य हिस्सों और सिर के बालों का भी साफ-सफाई का खास ध्यान रखना होता है। क्योंकि उन्हें किसी भी तरह के संक्रमण होने का खतरा सबसे अधिक होता है। हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में आप बच्चों में कान के इंफेक्शन से जुड़े जोखिम जान सकते हैं। साथ ही, उनके बचाव के लिए उचित देखभाल और ट्रीटमेंट के साथ घरेलू उपचार के बारे में भी जान सकते हैं।
और पढ़ें : बच्चों के लिए एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल करना क्या सुरक्षित है?
क्या बच्चों में कान के इंफेक्शन की समस्या गंभीर होती है?
बच्चों में कान के इंफेक्शन की समस्या बहुत ही आम होती है। यह बिल्कुल उसी तरह है, जैसे खराब क्वालिटी के डायपर पहनाने और उचित साफ-सफाई न करने से बच्चों के बम में दाने की समस्या हो जाती है। यानी, अगर बच्चों के शरीर की साफ-सफाई पर ध्यान न दिया जाए, तो बच्चों में कान के इंफेक्शन की समस्या हो सकती है। जन्म लेने वाले बच्चों में 3 साल तक की उम्र में कान के संक्रमण की समस्या सबसे अधिक देखी जाती है। कान के संक्रमण से लगभग तीन-चौथाई बच्चे संक्रमित होते हैं।
बच्चों में कान के इंफेक्शन कब गंभीर हो सकता है?
बच्चों में कान के इंफेक्शन होने पर तरल पदार्थ का द्रव या मवाद बहने लगता है। अटलांटा में बाल रोग विशेषज्ञ और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स बेबी एंड चाइल्ड हेल्थ के संपादक और एमडी जेनिफर शू के मुताबिक, बच्चों के कान के इंफेक्शन का सबसे आम कारण सर्दी हो सकता है। बच्चों में सर्दी लगने के दौरान जब नाक से बहने वाला तरल पदार्थ कान के मध्य में फंस जाता है, तो इसके कारण वायरस या बैक्टीरिया पनप सकते हैं। जिससे बच्चों के कान में फंगल इंफेक्शन और संक्रमण हो सकता है। इसके कारण कान में सूजन और उनके कान के आकार में बदलाव भी हो सकता है। हालांकि, अधिकतक मामलों में बच्चे की सर्दी की समस्या ठीक होते ही कान का संक्रमण भी ठीक होने लगता है। लेकिन, अगर कान के संक्रमण की समस्या में किसी तरह का बदलाव या अन्य स्थितियां सामने आए, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
और पढ़ें : नवजात की देखभाल करने के लिए नैनी या आया को कैसे करें ट्रेंड?
3 साल तक के बच्चों में ज्यादा होता है कान का संक्रमण
कान के संक्रमण की समस्या सबसे ज्यादा 3 साल तक की उम्र वाले छोटे शिशुओं में देखी जाती है। क्योंकि, इनके पास मजबूत इम्यून सिस्टम नहीं होता है। उम्र के इस पड़ाव पर उनके इम्यून सिस्टम का विकास होता रहता है। जिसकी वजह से इन्हें सर्दी-खांसी की समस्या होने का जोखिम भी सबसे अधिक बना रहता है। हालांकि, इसके अलावा ऐसे बच्चों की अगर शारीरिक साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए, तो ये मुश्किल ही किसी कीटाणु के संपर्क में आ सकते हैं। इसलिए बच्चों में कान के इंफेक्शन की समस्या कुछ जरूरी बातों का ध्यान रख कर और घरेलू तरीकों से ही ठीक किया जा सकता है। बच्चों को कान का इंफेक्शन होने पर लगभग 90 फीसदी से अधिक मामलों के उपचार के लिए डॉक्टर के ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं देखी जाती है।
छोटे बच्चों के कान में खुजली होने के लक्षण क्या होते हैं?
छोटे बच्चों के कान में खुजली होने के कई लक्षण निम्न हैं, जिनमें शामिल हैंः
- कान में दर्द होना
- बच्चे के कान में जलन होना
- बच्चे को सुनने में परेशानी होना
- बच्चे को नींद न आना
- बच्चे के कान में ऐंठन होना
- बच्चे को भूख कम लगना
- उल्टी या दस्त जैसी समस्याएं होना
- इसके अलावा, कुछ बच्चे बिना किसी वजह से चिड़चिड़े और लगातार रोते भी रह सकते हैं।
साथ ही, अगर इनमें से किसी भी लक्षण के साथ आपके बच्चे को बुखार की समस्या होती है या वो बहुत ही सुस्त हो और उसकी उम्र छह माह से कम हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसी स्थिति में अगर कान का संक्रमण सामान्य होता है, तो आपके डॉक्टर बच्चे के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन का निर्देश दे सकते हैं। जिसमें ओरल दवाओं के साथ-साथ कान में डालने वाले ड्रॉप भी शामिल हो सकते हैं।
और पढ़ें : बच्चों में साइनसाइटिस का कारण: ऐसे पहचाने इसके लक्षण
[mc4wp_form id=’183492″]
बच्चों में कान के इंफेक्शन के जोखिम कम करने के उपाय क्या हैं?
बच्चों में कान के इंफेक्शन को रोकने और खत्म करने के लिए उपचार के कई तरीके मौजूद हैं। जिनमें घरेलू तरीके से लेकर सर्जरी की प्रक्रिया भी शामिल हैं। हालांकि, सर्जरी या ऑपरेशन जैसे मामले बहुत ही दुर्लभ होते हैं। इसके अलावा आप निम्न बातों का ध्यान रखकर भी बच्चों के कान में संक्रमण होने के जोखिम को कम कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
एक साल तक स्तनपान कराएं
छोटे बच्चों के कान में खुजली की समस्या दूर करने के लिए मां का दूध ही काफी कारगार माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर बच्चों में कान के इंफेक्शन की समस्या होती है, तो उन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराते रहना चाहिए। अगर आप अपने बच्चे को कान के संक्रमण होने के जोखिम से बचाना चाहती हैं, तो जन्म के लगभग एक साल तक उसे स्तनपान कराएं। ब्रेस्टमिल्क में एंटीबॉडी होते हैं जो कान के संक्रमण को होने से रोकते हैं।
बिठाकर दूध पिलाएं
इसके अलावा अगर आप बच्चे को दूध के बोतल से फीडिंग कराती हैं, तो बच्चे को बिठाकर दूध पिलाएं। लेट कर दूध पीने से बच्चे के मध्य कान में दूध जा सकता है।
सर्दी-जुकाम से बचाव करें
जैसा की छोटे शिशुओं में उनके इम्यून सिस्टम का विकास होता रहता है, ऐसे में सर्दी-जुकाम से उनका बचाव करें। बच्चे के कमरे का तापमान हमेशा सामान्य रखें। सर्दियों के मौसम में उन्हें नहलाने की जगह स्पंज बॉथ दें।
साफ-सफाई का रखें ख्याल
बच्चे बार-बार अपना हाथ मुंह में डालते रहते हैं, ऐसे में उनका हाथ हर घंटे साफ करते रहें। और जब भी आप या अन्य सदस्य बच्चे को खिलाएं, तो निश्चित करें कि उनका भी हाथ साफ होना चाहिए।
सेकेंड हैंड स्मोकिंग या स्मोकिंग न करें
कई अध्ययनों में इसका दावा किया गया है कि जो बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं, उनमें अन्य बच्चों की तुलना में कान के संक्रमण होने की संभावना दो से तीन गुना अधिक बढ़ सकती है। इसलिए बच्चे को स्मोकिंग वाले स्थानों से दूर रखें। अगर आपको भी स्मोकिंग की आदत है, तो उसे क्विट करने का प्रयास करें।
टीकाकरण करवाएं
अपने बाल रोग विशेषज्ञ से न्यूमोकोकल, फ्लू और मेनिनजाइटिस जैसे टीके के बारे में बात करें।
और पढ़ें : बच्चों में पिनवॉर्म की समस्या और इसके घरेलू उपाय
छोटे बच्चों के कान में संक्रमण के उपचार के घरेलू तरीके
गर्म सिकाई करें
संक्रमण के कारण बच्चे के कान में होने वाले दर्द को कम करने के लिए कान की गर्म सिकाई करें। लगभग 10 से 15 मिनट तक ऐसा करें। दिन में दो से तीन बार इसकी प्रक्रिया दोहरा सकती हैं।
डॉक्टर के निर्देश पर दवाओं का सेवन
बुखार को कम करने के लिए आप अपने डॉक्टर के निर्देश पर बच्चे को उचित दवा की खुराक दे सकती हैं।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
[embed-health-tool-vaccination-tool]