शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन कैसे कंट्रोल किया जा सकता है? इस सवाल का जवाब लगभग हर माता-पिता जानना चाहते होंगे। नवजात बच्चों से लेकर बड़े उम्र के बच्चों को भी मीठा स्वाद सबसे ज्यादा पसंद आता है। आपने देखा भी होगा कि एक रोते हुए बच्चे को अगर मीठी कैंडी (Candy) या कोई मीठी (Sweet) चीज दे दी जाए, तो वह तुरंत शांत हो जाता है। शायद माता-पिता की ऐसी ही कई और आदतें शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन (Overeating of sweets in kids) को बढ़ावा देने की एक वजह बनती होंगी। आप हमारे इस आर्टिकल में शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन की आदत को कम करने की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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कैसे कम करें शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन (Over eating of sweets) की आदत
सबसे पहले हम आपको एक रिसर्च की जानकारी देने वाले हैं। इस रिसर्च के मुताबिक शिशु में चीनी के सेवन की आदत को लेकर कुछ तरह के माता-पिता जिम्मेदार पाए गए हैं। जिनमें शामिल हैंः
- शुगर और अन्य मीठी चीजों के एकदम खिलाफ और बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड्स (Healthy foods) ही खाने के लिए देते हैं।
- अक्सर मिडिल ग्राउंड के माता-पिता बच्चों से अपनी बात मनवाने के बदले उन्हें मीठी (Sweets) चीजें खाने का ऑफर करते हैं। ऐसे माता-पिता की संख्या सबसे अधिक देखी जाती है।
- ऐसे माता-पिता तो बच्चों के खाने-पीने की आदत को लेकर एक तय नियम बनाना पसंद करते हैं और उन्हें दिन के कुछ समय में तय मात्रा में चीनी का सेवन करने की अनुमति भी देना पसंद करते हैं।
- और, अंत में ऐसे माता-पिता भी हैं, जो शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन को लेकर सतर्क नहीं हैं। अक्सर ऐसे माता-पिता अपने बच्चों को सभी तरह का स्वाद चखने की पूरी अनुमति देना पसंद करते हैं। हालांकि, इनमें से अधिक पैरेंट्स इस बात का ख्याल रखते हैं कि कहीं बहुत ज्यादा मीठा खाने की वजह से उनके बच्चों के दांत (Babies teeth) न सड़ने लगे।
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शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन के दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं?
शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन की आदत के कारण बच्चे के स्वास्थ्य में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैंः
मोटापे (Obesity) की समस्या
अक्सर, कई माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों में मोटापे (Obesity) का सबसे बड़ा कारण जंक फूड होता है, लेकिन बता दें कि शिशु में चीनी की मात्रा भी मोटापे का एक कारण बन सकती है। अक्सर बचपन में ही उम्र के मुकाबले बहुत ज्यादा वजनदार बच्चे होने से उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा रहता है। जो बढ़ती उम्र के साथ ही और भी ज्यादा गंभीर हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानें, तो जन्म के बच्चों के दांत मीठे होते हैं। यही वजह है कि बच्चे पहली बार में ही मीठी चीजों के प्रति आदी हो जाते हैं। भारत समेत अमेरिका जैसे कई बड़े विकासशील और विकसित देशों में बच्चों में मोटापे की समस्या अधिक देखी जा रही है। अगर किसी बच्चे का बॉडी मास इंडेक्स यानी BMI 95 प्रतिशत से अधिक होता है, तो उसे मोटापे से ग्रस्त मानते हैं। अगर आप अपने बच्चे के बॉडी मास इंडेक्स के बारे में नहीं जानते हैं, तो अपने डॉक्टर से इसके बारे में परामर्श कर सकते हैं। साथ ही, हमारे बॉडी माक्स इंडेक्स टूल की मदद से आप अपने बच्चे का BMI पता कर सकते हैं। अपने बच्चे का BMI पता करने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
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जानिए शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन और मोटापे की समस्या के कनेक्शन पर आंकड़ों का हाल
साल 2015 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सिफारिश की है कि हर कोई, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो, उन्हें अपने आहार में सभी कैलोरी का 10 फीसदी से भी कम हिस्से में चीनी का सेवन करना चाहिए। खासकर बच्चों के लिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक बच्चों को एक दिन में लगभग 45 ग्राम से कम मात्रा या इससे भी कम मात्रा में चीनी का सेवन करना चाहिए। शोध में पाया गया कि अधिकतर माता-पिता चीनी के तौर पर सिर्फ कैंडी (Candy) या चॉकलेट (Chocolate) जैसे खाद्य पदार्थ ही आंकते हैं। शोध में 75 फीसदी से भी अधिक माता-पिता ने माना कि वो अपने बच्चे के खाद्य पदार्थों में कुकीज, ड्रिंक जैसे चीनी युक्त खाद्य पदार्थों की गणना नहीं करते हैं।
दांतों की समस्या (Tooth problem)
यह बात काफी आम है कि अत्यधिक मीठा खाने की वजह से दांत जल्दी सड़ने लगते हैं। हालांकि, कई बार शरीर में जरूरी कुछ कैल्शियम की कमी के कारण भी दांतों में कैविटी की समस्या (Cavity problem) शुरू हो सकती है। एक्सपर्ट्स की मानें, तो हमारे मुंह में बैक्टीरिया होते हैं जो पट्टिका बनाते हैं और जब हमारे पास शुगर युक्त भोजन और पेय होते हैं, तो पट्टिका में बैक्टीरिया चीनी को एसिड के रूप में बदल देता है, जो दांतों में कैविटी पैदा करने लगता है। एक दिन में लगभग 105 बच्चे अस्पताल में अपने खराब दांत निकलवाते हैं और इससे भी अधिक की संख्या में बच्चे नए दांत लगवाने आते हैं।
डायबिटीज की समस्या (Diabetes problem)
अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त बच्चों और वयस्कों में टाइप -2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes), हृदय रोग (Heart disease) और कुछ कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 10 से 11 साल के बच्चों में गंभीर मोटापे की समस्या आधुनिक दौर में सबसे अधिक देखी जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, लगभग हर 10वां बच्चा 18 साल का होने से पहले ही अधिकतम अनुशंसित चीनी का की मात्रा का सेवन पार कर लिया होता है। इस दौरान लगभग शिशु में चीनी के सेवन की मात्रा 2,800 से भी अधिक चीनी क्यूब्स प्रति साल की दर से खा ली होती है।
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शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन को कंट्रोल करने के लिए क्या करें? (How to control sugar eating habit)
शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन की आदत को कंट्रोल करने के लिए आपको बच्चे के शुरूआती आहार के दिनों में ही चीनी से परहेज करना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकते हैंः
- बच्चे को दिन में कम के कम दो बार फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट (Fluoride toothpaste) से ब्रश कराएं।
- बच्चे को शांत कराने के लिए मीठी चीजों का सहारा न लें।
- छोटे बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ हेल्दी फ्रूट्स और भोजन खाने के लिए देते रहें। इससे बच्चा मीठी चीजें देखकर उसकी तरफ जल्दी आकर्षित नहीं होगा।
- बच्चे को हमेशा बिना चीनी मिला दूध (Milk) ही पिलाएं। इससे बच्चे की आदत भी इसी तरह का ही दूध पीने का बन सकती है।
- घर में मीठे खाद्य पदार्थ बहुत ही सीमित मात्रा में लाएं। यह बच्चे के साथ-साथ परिवार के सभी सदस्यों के लिए हेल्दी आदत हो सकती है।
- बच्चे की खाने-पीने की आदतों पर ध्यान रखें।
- कोई भी पैक्ड खाद्य पदार्थ (Packed food products) बच्चे को देने से पहले उसमें सम्मलित चीनी की मात्रा जरूर देखें।
एक बात का ख्याल रखें कि शुगर से लेकर नमक और मिर्च-मसालों की मात्रा भी बच्चों में काफी हद तक सीमित रखना चाहिए। ऐसे कई मामले भी देखें जाते हैं जिनमें शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन के कारण भी उनका स्वास्थ्य पूरी तरह से हेल्दी होता है और उनके दांत भी काफी चमकदार होते हैं, लेकिन चीनी के नुकसान सिर्फ दांत (Teeth) तक की सीमित नहीं है। शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन का प्रभाव बढ़ती उम्र के लक्षणों के साथ उभरकर सामने आ सकते हैं। इसलिए बच्चे के भविष्य की चिंता करते हुए आज से ही अपने शिशु में अत्यधिक चीनी के सेवन की आदत को कंट्रोल करें।
हमें उम्मीद है कि आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा होगा। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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