पर्याप्त नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। ऐसे ही बच्चों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में ही बच्चों को अच्छी नींद की कमी के कारण आजीवन के लिए गंभीर समस्यों का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों की अच्छी नींद उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके स्वाभाव के लिए जरूरी है। नींद की कमी के कारण बच्चे चिड़चिड़े भी हो जाते हैं। अध्ययन बताते हैं कि जिन बच्चों को पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, उन्हें व्यवहार और सीखने संबंधी समस्याें हो सकती हैं। ऐसे में बच्चों को नई चीजें सीखने में परेशानी होती है, यह वर्षों तक बनी रह सकती है। साथ ही यह एक बच्चे के जीवन को हमेशा के लिए प्रभावित कर सकती है। जिन लोगों को पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, वे अवसाद के शिकार जल्दी होते हैं।
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ समीर दलवाई के अनुसार, “पर्याप्त नींद हमारे लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि नींद से हमारे शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ता है। सोने से शरीर में ज्यादा हॉर्मोन सक्रिय होते हैं, जिससे व्यक्तिगत विकास अच्छा होता है। खासकर बच्चों के शारीरिक-मानसिक विकास पर बच्चों की अच्छी नींद का बहुत असर पड़ता है। नींद पूरी न होने से बच्चे का विकास धीमा या फिर रुक सकता है। उम्र के हिसाब से बच्चों की अच्छी नींद बहुत जरूरी हो जाती है, जैसे- पैदा होने के कुछ समय तक बच्चे का 20 घंटे सोना जरूरी होता है। इसी तरह 2 साल तक 12 से 14 घंटे, 2 से 5 साल तक 12 घंटे, 6 से 12 साल तक 10 घंटे और 12 साल के बाद 9 घंटे की नींद लेनी ही चाहिए.
बच्चों की अच्छी नींद के लिए उन्हें सुरक्षित महसूस करवाएं
बच्चों की अच्छी नींद के लिए कंबल या कोई स्टफ्ड टॉय काम आ सकते हैं। शिशु किसी कंबल या सॉफ्ट टॉय को पसंद करने लगे, इसका एक अच्छा तरीका यह है कि आप उसे थोड़ी देर अपने पास रखें, ताकि उसमें आपकी खूशबू बस जाए। शिशु की सूंघने की क्षमता बहुत तेज होती है, और यदि वह रात में चौंक कर उठ भी जाए, तो आपकी सुगंध उसे शांत कर सकती है और वह सुरक्षित महसूस करेगा। यह टिप भी बच्चों की अच्छी नींद में मदद कर सकता है।
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बच्चों को अच्छी नींद के लिए उन्हें थोड़ी देर रोने दें
शिशु के चार से पांच माह का होने तक यह तरीका अपनाना उचित है। माता-पिता अक्सर सोचते हैं कि शिशु को स्वयं सोना सिखाने के इस तरीके में उसे अकेले रोते हुए छोड़ देना होता है। उसे तब तक रोने दिया जाता है, जब तक वह थककर सो न जाए। मगर, शिशु को रोने देने कि किसी भी प्रक्रिया का मतलब यह है कि शिशु को निश्चित अवधि तक रोने दिया जाए, जो कि दो से लेकर 10 मिनट से लंबी न हों। उसके बाद उसे संभाला जाए। अगर, शिशु को लिटाने के बाद वह रोना शुरु करता है, तो उसके पास जाएं। उसे आराम से थपथपाएं और बताएं कि सब ठीक है, और अब आपके सोने का समय हो गया है। शिशु के साथ सौम्यता से पेश आएं, मगर अटल रहें। कमरे से बाहर आ जाएं। एक निश्चित अवधि तक इंतजार करें, करीब दो से पांच मिनट तक, और इसके बाद फिर से शिशु को देखें। ऐसा बार-बार तब तक करें, जब तक कि शिशु सो न जाए। बस शिशु को एक बार से दूसरी बार देखने का अंतराल बढ़ाती जाएं।
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बच्चों की अच्छी नींद के लिए उन्हें सीने से लगाएं
अगर आप शिशु को अपने पलंग पर ही सुलाते हैं, तो उसे आराम और राहत दें, ताकि वह समझ सके कि अब सोने का समय है। शिशु के साथ लेट जाएं और उसे प्यार से सीने से लगाएं। खुद भी कुछ देर आंखें बंद करके लेट जाएं, ताकि शिशु को लगे कि आप भी सो गई हैं। अचल रहें, ताकि शिशु जान सके कि अब सोने का समय है।
बच्चों की अच्छी नींद के लिए उन्हें साथ सुलाएं
आप दोनों ही शिशु के सोने में मदद कर सकें। जब आपका शिशु थोड़ा बड़ा हो जाता है और रात के समय दूध पीना बंद कर देता है, तो वह आपके पार्टनर (माता या पिता) के द्वारा सुलाए जाने पर भी सो सकता है। अगर आप संयुक्त परिवार में रहते हैं, तो परिवार के अन्य सदस्य भी रात में शिशु को बारी-बारी से सुला सकते हैं। जब शिशु यह समझ जाएगा कि दूध नहीं मिलेगा, तो शायद उसे सोने के लिए किसी ओर की जरुरत ही न हो।
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बच्चों की अच्छी नींद के लिए जरुरतों के लिहाज से काम करें
बच्चों को अच्छी नींद हेतु दिन के समय आप उसे अपने साथ रखकर सुरक्षित महसूस कराएं, कुछ माएं इसके लिए स्लिंग का इस्तेमाल भी करती है। अगर वह रात में उठता है, तो इसका कारण पता करें। क्या उसने पेशाब किया है या पॉटी की है? क्या उसकी नाइट ड्रेस आरामदेह है? या उसे सर्दी तो नहीं है? शिशु के कमरे को बहुत ज्यादा ठंढा या गर्म भी नहीं रखना चाहिए। क्या शिशु के लिए कमरा बहुत ज्यादा गर्म या ठंडा तो नहीं है?
बच्चों की अच्छी नींद के लिए टीवी स्क्रीन बंद रखें
टीवी स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मस्तिष्क को जगा सकती है और सोना मुश्किल बना सकती है। यह विशेष रूप से “छोटी स्क्रीन’ जैसे फोन या टैबलेट के लिए तो बहुत ही जरूरी है, जो चेहरे के करीब ऑपरेट किए जाते हैं। इससे पहले कि आप अपने बच्चे को सुलाना चाहें, एक घंटे पहले उन्हें बंद कर दें। फोन को बेडरूम के बाहर चार्ज किया जाना चाहिए – या बहुत कम से कम, डू नॉट डिस्टर्ब मोड में डालें। यदि आपका बच्चा आपको यह बताने की कोशिश करता है कि उन्हें सुबह उठने के लिए उनके फोन की आवश्यकता है, तो उन्हें एक अलार्म घड़ी खरीदें।
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बच्चों के शारीरिक-मानसिक विकास पर नींद का बहुत असर पड़ता है। माता-पिता अक्सर सोचते हैं कि शिशु को स्वयं सोना सिखाने के इस तरीके में उसे अकेले रोते हुए छोड़ देना होता है। बच्चों को अच्छी नींद के लिए आप को अपनी नींद गंवानी पड़ सकती है। ऐसा दावा भी किया गया है कि, शिशु के छह महीने तक पेरेंट्स अपनी पूरी नींद नहीं ले पाते हैं।
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