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चाइल्डहुड ट्रॉमा थेरिपी: प्ले थेरेपी (Play therapy)
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि इस थेरिपी के दौरान कुछ खेलों की मदद ली जाती है, ताकि बच्चों को चाइल्डहुड ट्रॉमा से बाहर निकाला जा सके।करीब 3 से 12 साल के बच्चों में इस थेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है। प्ले थेरिपी सेशन के दौरान थेरिपिस्ट खेल के दौरान बच्चों के व्यवहार का अध्ययन करते हैं। इस तरह से बच्चे की समस्याओं का पता लगाकर बच्चों का ट्रीटमेंट किया जाता है।
चाइल्डहुड ट्रॉमा थेरिपी: आर्ट थेरिपी (Art therapy)
आर्ट थेरिपी के दौरान क्रिएटिव एक्सप्रेशन (creative expression) का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे कि बच्चा ट्रॉमेटिक इवेंट से बाहर निकल सके। आर्ट मीडियम जैसे की ड्राइंग (Drawing), कलरिंग (Coloring), पेंटिंग (Painting), कोलाज बनाना या फिर स्कल्पचर के माध्यम से बच्चों के अंदर क्रिएटिविटी को जगाया जाता है। ताकि वह बचपन के ट्रॉमा से बाहर आ सके। अमेरिकन आर्ट थेरिपी एसोसिएशन का कहना है कि थेरिपी के माध्यम से बच्चों को बिना शब्दों के एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया जाता है, जो उन्हें खुद की क्रिएटीविटी के बारे में अवेयर कराता है और साथ ही स्ट्रेस भी कम करता है।
अगर बच्चा चाइल्डहुड ट्रॉमा से गुजर रहा है, तो इसे बिल्कुल भी इग्नोर ना करें क्योंकि ऐसे समय में बच्चों को आपके साथ की जरूरत है। आप बच्चे के व्यवहार पर ध्यान दें और आपको अगर किसी प्रकार का परिवर्तन नजर आ रहा है, तो आप मेंटल हेल्थ (mental health) एक्सपर्ट से बात करें। डॉक्टर को बताएं कि बच्चों में आपको कौन से लक्षण अलग नजर आ रहे हैं। डॉक्टर बच्चों के लक्षणों के आधार पर किसी थेरिपी का चयन करने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा करने से बच्चे जहां बीती बातों को भुलाने की कोशिश करते हैं वहीं दूसरी ओर न्यू क्रिएटिविटी में उनका मन लग जाता है और धीरे-धीरे वो पुरानी बातों को भूल जाते हैं।
इस आर्टिकल में हमने आपको चाइल्डहुड ट्रॉमा थेरिपी (Childhood Trauma Therapy) के बारे में बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।