डिलिवरी के बाद मां के मन में जो अहम सवाल या फिर यूं कह लें कि परेशानी की वजह होती है, वो है स्तनपान यानी ब्रेस्टफीडिंग। कुछ महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं बन पाता है, तो कुछ केस में बच्चे शुरुआत में ठीक से दूध नहीं पी पाते हैं। ये तो स्तनपान से जुड़ी मामुली समस्याएं हैं, जिनका समाधान भी आसानी से हो जाता है। अब हम आपसे स्तनपान से जुड़ी उस समस्या के बारे में बात करेंगे, जो मामूली नहीं है। जी हां! ये विषय जुड़ा है ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding With Breast Implants) कराने से। ब्रेस्ट कैंसर या फिर मैस्टेक्टमी (Mastectomy) के बाद महिलाओं को ब्रेस्ट इम्प्लांट्स की जरूरत पड़ती है। अगर सर्जरी में ज्यादा कॉम्प्लीकेशन न हो, महिलाएं इम्प्लांट्स के बाद भी बच्चे को दूध पिला सकती हैं। कुछ केसेज में ये संभव नहीं होता पाता है लेकिन कुछ में ब्रेस्टफीडिंग की संभावना रहती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग के बारे में कुछ अहम जानकारी देंगे।
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ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding With Breast Implants)
अगर कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए, तो ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding With Breast Implants) कराई जा सकती है। आपकी सर्जरी के बाद स्तनों की स्थिति कैसी है या फिर ये कहें कि ये ब्रेस्टफीडिंग पूरी तरह से ब्रेस्ट के ओरीजनल स्टेट पर निर्भर करती है। सभी ब्रेस्ट इम्प्लांट्स दूध की आपूर्ति को प्रभावित करें, ये जरूरी नहीं है। कुछ महिलाओं में ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के बाद मिल्क सप्लाई (Milk supply) पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ता है। वहीं कुछ महिलाओं के मन में इस बात को लेकर भी चिंता रहती है कि कहीं स्तनपान कराने के दौरान इम्प्लांट्स में किसी तरह की समस्या न हो जाए। गर्भावस्था के दौरान और स्तनपान के बाद आपके स्तनों के आकार में परिवर्तन होना सामान्य बात है। ब्रेस्टफीडिंग से इम्प्लांट्स में किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि स्तनपान कराने से आपके स्तनों के साइज में प्रभाव जरूर पड़ेगा।
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ब्रेस्ट इम्प्लांट्स का स्तनपान में असर (Effect of implants on breastfeeding)
आपकी जानकारी के लिए बता दें महिलाओं के स्तनों में दूध मिल्क ग्लैंड्स (Milk glands) में बनता है। ब्रेस्ट इम्प्लांट्स मिल्क ग्लैंड्स के पीछे की ओर चेस्ट मसल्स में किया जाता है। इस कारण से मिल्क सप्लाई प्रभावित नहीं होती है। हालांकि, सर्जरी के लिए इस्तेमाल किए गए चीरे का स्थान और गहराई ब्रेस्टफीडिंग कराने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। निप्पल के आसपास के काले भाग को एरोला (Areola) के नाम से जाना जाता है। अगर सर्जरी के दौरान इस भाग को नहीं हटाया जाता है, तो कम समस्या की संभावना रहती है। लेकिन एरोला को हटाने पर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान समस्या हो सकती है। निप्पल के आसपास की नर्व ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अहम रोल अदा करती हैं। बच्चे के स्तन को चूसने या ब्रेस्टफीड करने के दौरान शरीर में सेंसेशन होता है, जिससे प्रोलैक्टिन (Prolactin) और ऑक्सीटोसिन का लेवल बढ़ता है। प्रोलैक्टिन मिल्क प्रोडक्शन को ट्रिगर करता है, वहीं ऑक्सीटोसिन लेटडाउन को ट्रिगर करता है। सर्जरी के दौरान नर्व डैमेज हो सकती है, जिसके कारण सेंसेशन कम हो जाता है।
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ब्रेस्ट इम्प्लांट्स (Breast Implants) के साथ क्या जुड़े हैं जोखिम?
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की मानें, तो सिलिकॉन इम्प्लांट के बाद ऐसी कोई भी क्लीनिकल रिपोर्ट नहीं प्राप्त हुई है, जिसमें ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding With Breast Implants) को लेकर किसी तरह की समस्या के बारे में बात की गई हो। सिलिकॉन इम्प्लांट्स के बाद क्या ब्रेस्टमिल्क (Breast milk) में सिलिकॉन कंपोनेंट की मात्रा पाई जाती है? इसको लेकर स्टडी की जा रही है। सिलिकॉन को दूध में मापने का कोई एक्यूरेट मैथड नहीं है। ब्रेस्ट इम्प्लांट्स (Breast Implants) के सर्जरी के दौरान महिला के लिए कुछ रिस्क जरूर हो सकते हैं। कई बार महिला को एडिशनल सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इस कारण से ब्रेस्ट और निप्पल सेंसेशन में परिवर्तन होता है। ब्रेस्ट पेन (Breast pain) या इम्प्लांट्स रप्चर का खतरा भी बढ़ जाता है। इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी प्राप्त करें। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता है।
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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान जरूर अपनाएं ये टिप्स
बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए आप कुछ टिप्स अपनाने की जरूरत है, ताकि मिल्क प्रोडक्शन ठीक से हो और ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के बाद भी किसी तरह की समस्या न हो। जानिए किन बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है।
जरूर कराएं ब्रेस्टफीडिंग
आप बच्चे को रोजाना आठ से दस बार ब्रेस्टफीड जरूर कराएं। अगर ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding With Breast Implants) कराने में किसी तरह की दिक्कत हो रही है, तो आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं। आप बच्चे को जितनी बार फीड कराएंगी, उतना ही आपकी बॉडी मिल्क प्रोडक्शन करेगी। अगर आप बच्चे को दूध पिलाना बंद कर देती है, तो दूध बनना भी कम या फिर बंद हो सकता है। आपको दोनों स्तनों से दूध पिलाना चाहिए। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। मिल्क प्रोडक्शन (Milk production) जब रोजाना होता है, तो स्तनों को खाली करना भी जरूरी हो जाता है। आप चाहे तो ब्रेस्ट मिल्क पंप का इस्तेमाल कर सकती हैं। अगर आप दोनों स्तनों को समय-समय पर खाली करती हैं, तो मिल्क प्रोडक्शन (Milk production) बढ़ जाता है। आप चाहे तो दूध को फ्रीज भी कर सकती हैं।
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मिल्क प्रोडक्शन न हो, तो अपनाएं इन्हें
कुछ महिलाओं में मिल्क प्रोडक्शन नहीं हो पाता है, जिसके कारण बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल पाता है। मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए खाने में मेथी, सौंफ, मिल्क थिसल आदि से युक्त प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें। ये दूध की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। आप खानपान में पौष्टिक आहार (Nutritious food) को शामिल करने के साथ ही इस बारे में डॉक्टर से भी जानकारी ले सकती हैं।
अगर मिल्क प्रोडक्शन कम है, या फिर दूध पिलाने में समस्या है, तो आप डॉक्टर के सुझाव से फॉर्मुला मिल्क का भी चयन कर सकते हैं। बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पर्याप्त मात्रा में दूध मिल पा रहा है या नहीं, इस बारे में आप बच्चे के जॉ मूवमेंट और गीले किए गए डायपर की संख्या से पता कर सकते हैं। आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। बच्चे का वजन अगर नहीं बढ़ रहा है, तो ये इस बात का संकेत है कि उसे पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल पा रहा है।
इस आर्टिकल के माध्यम से आपको ब्रेस्ट इम्प्लांट्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding With Breast Implants) के बारे में जानकारी मिल गई होगी। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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