फैक्ट – ऐसा नहीं है। कृमि संक्रमण राउंडवॉर्म, फ्लूक्स (Flukes) और टेपवर्म के कारण होता है। इन कृमियों के अंडे सब्जियों और फलों में भी पाएं जाते हैं। खुले में जहां लोग शौच करते हैं, अगर वहां सब्जियां उगाई जाती हैं, तो कृमि का उनमें अधिक खतरा रहता है। नॉन वेजीटेरियन और वेजीटेरियन, दोनों में ही कृमि हो सकते हैं।
मिथ – आर्थिक रूप से कमजोर और गंदे स्थान में रहने वाले लोगों में कृमि संक्रमण की अधिक संभावना रहती है।
फैक्ट – कृमि संक्रमण कच्चा सलाद खाने से, सब्जियां, फल या मीट खाने से फैल सकता है। यानी ये किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। सार्वजनिक स्थानों पर भोजन करने से बचना चाहिए और साथ ही अपने आसपास हाइजीन का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
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मिथ – मसालेदार भोजन कीड़े या कृमि को मारने का काम करता है।
फैक्ट – ये बात बिल्कुल गलत है। कृमि मसालेदार भोजन के कारण नहीं मरता है। डीवर्मिंग की प्रक्रिया से ही कृमि को खत्म किया जा सकता है।
मिथ – वर्म केवल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक को ही नुकसान पहुंचाता है।
फैक्ट – वर्म न केवल छोटी आंत में समस्या पैदा करते हैं बल्कि ये मस्तिष्क, यकृत, फेफड़े और मांसपेशियों को भी संक्रमित कर सकते हैं। हुकवर्म त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और संक्रमण फैलाता है। साफ-सफाई, हैंडवाशिंग ऐसे संक्रमण से बचाने का काम कर सकती है।
डीवर्मिंग की प्रक्रिया क्यों जरूरी होती है, हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से पता चल गया होगा। बेहतर होगा कि आप इस विषय के बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।