इन बातों को ध्यान में रखकर टोमैटो बुखार (Tomato Fever) से बचने में मदद मिल सकती है।
नोट: टोमैटो बुखार हफ्तों तक रह सकता है। इसलिए अगर दो दिन से ज्यादा तेज बुखार है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
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टोमैटो फीवर को और भी बेहतर तरीके से समझने के लिए हमने मुंबई के मसीना हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर एंड इमरजेंसी स्पेशलिस्ट एवं पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर के सीनियर कंसल्टेंट डॉ अमीश वोरा से बात की और उनसे टोमैटो फीवर से जुड़े कुछ सवालों का जवाब जाना, जो यहां हम आपके साथ शेयर करने जा रहें हैं। जैसे:
सवाल: टोमैटो फीवर (Tomato Fever) या टोमैटो फ्लू (Tomato Flu) क्यों बोलते है?
जवाब: बच्चे को जब बुखार आता है, तो उसके साथ-साथ बदन में रैशेश (Rashes) आते है। ये रैशेश हाथ, पैर एवं पीठ पर आसानी से नजर आ जाते हैं, क्योंकि रैशेश का रंग लाल होता है, जो टोमैटो जैसे दीखते है। इस वजह से इसे टोमैटो फीवर (Tomato Fever) कहते हैं। आज कल टोमैटो फीवर केरल और ओडिसा में भी दिखना स्टार्ट हुआ है। इसलिए लोगों में चिंता है कि ये टोमैटो फीवर क्या है? इस की जानकारी लेना अच्छी बात है। दरअसल यह एक ऐसी कंडिशन है, जो थोड़े दिन तकलीफ देती है और अपने आप ठीक हो जाती है।
सवाल: टोमैटो फीवर का कारण क्या है? (Cause of Tomato Fever)
जवाब: इस बीमारी से जुड़ी जानकारी वैज्ञानिको को अभी तक नहीं मिल पाई है कि इस फीवर का कारण वायरल या फिर कोई अन्य इंफेक्शन (Infection) है। इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा रहता है या खाना खाना नहीं चाहता है या खाने पीने से परहेज करने लगे तो पेरेंट्स को सतर्क हो जाना चाहिए। वहीं अगर बच्चे में सर्दी-जुकाम (Cold and cough), बॉडी पेन (Body pain) या डायरिया (Diarrhea) जैसी तकलीफें नजर आने लगे तो इलाज करवाना चाहिए।
सवाल: टोमैटो फीवर से बचाव के लिए क्या करें? (Tips to prevent Tomato Fever)
जवाब: टोमैटो फीवर से बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें। जैसे-
- बच्चे को डिहाइड्रेट (Dehydrate) होने ना दें।
- अगर बच्चे को बुखार है या रैश की समस्या हो चुकी है, तो ऐसी स्थिति में बच्चे को लगातार लिक्विड, पानी, ORS, इलेक्ट्रॉल पाउडर पानी, नींबू पानी (Lemon water) , नारियल पानी (Coconut water) एवं सॉफ्ट डायट (Soft diet) देना चाहिए, जिस से बच्चा डिहाइड्रेट (Dehydrate) ना हो सके।
- टोमेटो फीवर से पीड़ित बच्चों को अन्य बच्चों के संपर्क में ना आने दें, क्योंकि इससे ड्रॉप्लेट्स का खतरा बढ़ जाता है।
- अगर बच्चे को छे या आठ घंटे से लगातार बुखार है, तो ऐसी स्थिति में पेरासिटामोल (Paracetamol) दिया जाना चाहिए।