एसिटामिनोफीन के बारे में क्या कहा स्टेट लॉ ने ?
प्रपोसीशन 65 के नाम से पहचाने जाने वाले स्टेट लॉ ने एसिटामिनोफीन के बारे में कहा है कि ‘ कैलीफोर्निया के लोगों को इस एसिटामिनोफीन और उससे जुड़े कैंसर के रिस्क के बारे में जानकारी देना बहुत जरूरी है। आलोचकों का मानना है कि ऐसे बहुत से प्रोडक्ट हैं जिनकी जानकारी देने के बजाय उपभोक्ता को प्रोडक्ट में कैंसर की चेतावनी वाली लेबल उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे कंज्यूमर को जानकारी कम और भ्रम की स्थिति ज्यादा पैदा होगी। वहीं प्रोप 65 के समर्थकों का कहना है कि प्रोडक्ट में चेतावनी का लेबल लगाना लोगों की सुरक्षा के लिहाज से बेहतर है और ये कंज्युमर के प्रोडक्ट को सुरक्षित बनाता है।
पहले भी आ चुकी हैं इस तरह की खबरें
एसिटामिनोफीन के कैंसर संबंधी सबूत साल 1990 और 1999 में भी प्रस्तुत किए गए थे, लेकिन इन सुबुतों को कमजोर माना गया था। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने तब एसिटामिनोफीन को कार्सिनोजन में शामिल करने से मना कर दिया था। इस बारे में यू. एस. फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने स्टेट ऑफिसियल्स को वॉर्न किया है कि एसिटामिनोफीन में कैंसर कॉजिंग लेबलिंग करना फॉल्स और मिसलीडिंग होगा और साथ ही इसे कानून के तहत अवैध भी माना जाएगा।
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एसिटामिनोफीन के बारे में सतर्कता से हो रही है जांच
कार्सिनोजन आइडेंटीफिकेशन कमिटी के चेयरमेन और प्रीवेंटिव मेडिसिन के प्रोफेसर थॉमस मार्क ने इस बारे में कहा है कि ये हमारे लिए बहुत ही डिफिकल्ट इश्यू है। एसिटामिनोफीन आमतौर पर प्रयोग की जाने वाली मेडिसिन है। हमारा जनादेश क्या है, इस बात से फर्क नहीं पड़ता है। एसोसिएशन ने कैलीफोर्निया रेगुलेटर्स से आग्रह किया है कि वो इस विषय में सतर्कता के साथ जांच करें, जिन स्टडी में कैंसर के खतरे की बात की गई है।
कैलीफोर्निया में कुछ लिस्टिंग के लिए वार्निंग लेबल की जरूरत होती है। यहां पर शराब में भी कार्सिनोजन की लेबलिंग 1988 से की जा रही है। लेकिन फिर भी शराब का लोग सेवन भी करते हैं । कैलीफोर्निया में एक्रिलामाइड (Acrylamide) जो कि रोस्टिंग कॉफी बींस है, इसे भी 1990 से कार्सिनोजन की लिस्ट में शामिल किया गया है। कोर्ट के नियमों के अनुसार कॉफी में चेतावनी का लेबल लगाया गया और लोगों को इसे पीने की छूट भी दी गई।