कैंसर में एक्यूपंक्चर (Acupuncture In Cancer) में से इमोशनल सपोर्ट
कैंसर में एक्यूपंक्चर की सहायता से फिजिकल, मेंटल और इमोशनल सपोर्ट मिलता है। एक्यूपंक्चर की हेल्प से नैचुरल हीलिंग में सहायता मिलती है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि एक्यूपंक्चर हर तरीके से सेफ, इफेक्टिव और बिना किसी साइड इफेक्ट के काम करता है। जब व्यक्ति को कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान दर्द से राहत मिलती है तो फिजिकली व्यक्ति को मजबूती मिलती है। साथ ही मेंटल और इमोशनल स्ट्रेंथ भी मिलती है।
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डिस्पनिया (Dyspnea) से मिलती है राहत
कैंसर में एक्यूपंक्चर अपनाने से डिस्पनिया यानी सांस संबंधि समस्या से राहत मिलती है। अगर किसी भी व्यक्ति को कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान सांस लेने में समस्या महसूस हो रही हो, या फिर पहले से ही अस्थमा की समस्या रही हो, उनके लिए एक्यूपंक्चर लेना सही रहेगा। कैंसर में एक्यूपंक्चर रेस्पिरेट्री फंक्शन को इंप्रूव करने का काम करता है। साथ ही पेशेंट की क्रॉनिकल अस्थमा की समस्या या फिर क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिसीज (obstructive pulmonary disease) को भी सही करने का काम करता है। स्टडी में ये बात सामने आई है कि कैंसर पेशेंट को डिस्पनिया की समस्या है तो एक्यूपंक्चर/एक्यूप्रेशर की मदद लेने से राहत मिलती है।
कैंसर के दौरान कम हो जाती हैं वाइट ब्लड सेल्स (White Blood Cells)
कैंसरे पेशेंट में अचानक से वाइट ब्लड सेल्स कम होने लगती हैं। इंसान का खून डिफरेंट ब्लड सेल्स से मिलकर बना होता है। वाइट ब्लड सेल्स को ल्यूकोसाइट्स (leukocytes) कहते हैं। ये सेल्स इंफेक्शन के खिलाफ लड़ने का काम करती हैं। न्यूकोसाइट्स इंसान के इम्यून सिस्टम का जरूरी हिस्सा होता है। शरीर में कम वाइट ब्लड सेल्स होने की स्थिति को ल्युकोपेनिया (leukopenia ) के नाम से जानते हैं। कैंसर में ल्युकोपेनिया की समस्या पेशेंट को हो सकती है। ऐसे में कैंसर के पेशेंट की इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता भी प्रभावित होती है। कैंसर में एक्यूपंक्चर की सहायता से ल्युकोपेनिया से बचा जा सकता है। कमजोर शरीर के कारण अन्य बीमारियां भी शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकती हैं। इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए एक्यूपंक्चर बेहतरीन उपाय है।
हॉट फ्लैशेस (Hot flashes) में राहत
जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होता है उन्हें हॉट फ्लैशेस महसूस हो सकते हैं। वैसे तो ये लक्षण मोनोपॉज के दौरान दिखाई देते हैं। लेकिन ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं में भी हॉट फ्लैशेस केलक्षण देखने को मिलते हैं। हॉट फ्लैशेस के कारण त्वचा में अचानक से गर्माहट महसूस होती है। साथ ही शरीर के ऊपरी भाग में अधिक पसीना आ सकता है। फिंगर में झनझनाहट महसूस हो सकती है। हार्ट बीट में भी तेजी महसूस होती है। हो सकता है कि कान, गर्दन और चेहरे में अधिर गर्मी का अनुभव हो। ऐसी समस्या से जूझ रहे पेशेंट के लिए कैंसर में एक्यूपंक्चर फायदेमंद साबित हो सकता है। स्टडी में ये बात सामने आई है कि कैंसर से एक्यूपंक्चर लेने से हॉट फ्लैशेस की समस्या से राहत मिलती है।
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कैसे काम करता है एक्यूपंक्चर? (Acupuncture Process)
न्यूरोसाइंस रिसर्च के अनुसार एक्यूपंक्चर नर्वस सिस्टम को मॉडिफाई करने का काम करता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में स्टिमुलेटिंग पॉइंट होते हैं।जिससे निडिल की हेल्प से पिंच करने पर न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होते हैं।जैसे कि एंडोर्फिन और सेरोटोनिन की तरह न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होते हैं जो शरीर को दर्द से राहत देते हैं । वैसे तो एक्यूपंक्चर की सरल विधि में स्टेनलेस, सॉलिड, थिन स्टील निडल का यूज किया जाता है। निडिल स्टिमुलेट करने के लिए डिफरेंट टेक्नीक यूज की जा सकती हैं। एक्यूपंक्चर के दौरान तीन मुख्य तरीकों का प्रयोग किया जाता है।
मैनुअल स्टिमुलेशन (Manual Stimulation)
मैनुअल स्टिमुलेशन में निडिल को घुमा के, मोड़ कर ऊपर-नीचे खींचा जाता है। ये एक्यूपंक्चर की आम विधि है।
इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन (Electrical Stimulation)
हैंडहेल्ड डिवाइस का यूज करके निडिल में इलेक्ट्रिकल पल्सेस भेजी जाती हैं। इलेक्ट्रिकल पल्सेज डिफरेंट फ्रीक्वेंसी की होती हैं।
हीट स्टिमुलेशन (Heat Stimulation)
हीट स्टिमुलेशन में ट्रेडीशनल तरीका अपनाया जाता है। मोक्सा (moxa) ड्राइड हर्ब को सुई के ऊपर रख कर जलाया जाता है और सुई को गर्म किया जाता है। मॉर्डन समय में हीट सोर्स की हेल्प से निडिल को गर्म किया जाता है। फिर इसे इंसर्ट किया जाता है।
अगर आपको कैंसर की समस्या है और आप कैंसर में एक्यूपंक्चर को अपनाना चाहते हैं तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। बिना परामर्श के बीमारी के दौरान कोई भी कदम न उठाएं। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।