जब एक शिशु को आईसीयू (ICU) में भर्ती किया जाता है। उस समय आईसीयू में बच्चे की देखभाल माता पिता के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होती है। वह आपके छोटे से शिशु के लिए एक अपरिचित माहौल होता है। बच्चा वहां मौजूद डॉक्टर और वहां की मशीनों से घिरा हुआ दिखाई देता है। यह कहना गलत नहीं होगा की ऐसी स्थिति एक मां-बाप के लिए किसी मानसिक (Mental) और शारीरिक (Physical) यातना से कम नहीं होती है। नए रोग पैटर्न बढ़ने के कारण कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आईसीयू में बच्चे को (Babies in ICU) लंबे समय तक के लिए रहना पड़ सकता है जो आगे चलकर कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकता है। जानिए आईसीयू में बच्चे की देखभाल (Baby care in ICU) कैसे की जाए और किन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
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आईसीयू में बच्चे की देखभाल (Baby care in ICU)
यह बिल्कुल सही नहीं है कि हम इससे मृत्यु दर को तय करें की बच्चे को वेंटिलेशन में कितने दिन के लिए रखा गया है। यह दोनों एक दूसरे से बिल्कुल भी ताल्लुक नहीं रखते। आईसीयू में बच्चे को शांत रखने के लिए दवाओं का एक्सपोजर, बीमारियों और चोटों की गंभीरता (Severity of illnesses), लाइफ सपोर्ट इंटरवेंशन (life support interventions,), नवजात शिशु-शिशु गहन चिकित्सा इकाइयों में रहने की अवधि (Length of stay in the Neonatal-Paediatric Intensive Care Units,) और सामाजिक अलगाव इसके जोखिम हो सकते हैं। तो वहीं शिशुओं को शारीरिक, संज्ञानात्मक, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य डोमेन में गिरावट का कारण बन सकता है। उस दौरान हो रही ये चीजें ये बच्चे के माता-पिता की सोचने समझने की प्रक्रिया पर बुरा प्रभाव डालते हैं। जिससे उनको प्रक्रिया के बारे में कई बार सोचना पड़ता है। माता-पिता के तनावों में निश्चित रुप से ये चिंता (Tension) शामिल होती है।
- चिकित्सा निदान पर सही जानकारी प्राप्त करना (Right Information on medical diagnosis)
- रहने की अवधि की अनिश्चितता (Uncertainty of the duration of stay)
- क्या उम्मीद करें इसका पता न होना (Not knowing what to expect)
- संभावित विकलांगता के बारे में चिंता (Possible Disabilities)
- बच्चे द्वारा सामना किए गए दर्द और परेशानी की परवाह (Pain and discomfort faced by the child)
- बात करने में असमर्थता (Unable to communicate)
- बच्चे की मदद या सपोर्ट करने में असमर्थ (Loss to provide any help to the child)
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आईसीयू में बच्चे की देखभाल लंबे समय तक करने से खुद को जिम्मेदार समझने लगते हैं पेरेंट्स!
मेडिकल और सर्जिकल उपचार के लिए भर्ती आईसीयू में बच्चे के साथ माता-पिता के बीच भी कई अलग तनाव होते हैं। जैसे-जैसे अधिक दिन बीतने लगते हैं बच्चे के अलावा भी माता-पिता की कई चिंताएं भी बढ़ने लगती हैं। निकलता हुआ हर दिन अस्पताल का चार्ज जिसे हम आर्थिक बोझ (financial burden) भी कह सकते हैं ये उनके तनाव का एक बड़ा कारक है। इन तनावों के अलावा भी माता और पिता को कई बातें प्रभावित करती हैं। आईसीयू में अपने बच्चे को देखना माता-पिता की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। माता-पिता बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति के लिए खुद को असहाय, अपराधी, क्रोधित, डरे और यहां तक कि जिम्मेदार महसूस कर सकते हैं। जब वे इन बातों को किसी के सामने व्यक्त नहीं कर पाते हैं तो उनका व्यवहार बदलने लगता है। उनमें निराशा, अवसाद (Depression), चिंता (Anxiety), आक्रामकता (Anxiety) दिखाई देने लगती है।
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आईसीयू में बच्चे की देखभाल (Baby care in ICU): पेरेंट्स स्ट्रेस का सामना कैसे करें?
माता-पिता में बच्चों के लिए परेशान होने का मनोविज्ञान रहता ही है। ऐसी स्थितिमें डिप्रेशन (Depression) और चिंता के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, आपके बच्चे के सर्वोत्तम हितों के लिए, निम्नलिखित जानकारी पर विचार करना महत्वपूर्ण भी है।
आईसीयू में बच्चे की देखभाल से पहले अपना ध्यान रखें
आईसीयू में बच्चे के बिस्तर से थोड़ा अलग होकर ब्रेक लें। याद रखें कि सभी वरिष्ठ चिकित्सक बच्चे की देखभाल के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं। इस मुश्किल समय में भी कोशिश करें कि थोड़ा भोजन और नींद (Sleep) लेने की कोशिश करें ये आपके लिए भी अच्छा होगा और आपके बच्चे के लिए भी क्योंकि उसकी देखभाल के लिए आपका भी पूरी तरह से स्वस्थ रहना जरूरी है। उचित भोजन और पर्याप्त आराम आपके बच्चे के बारे में बताए जाने वाली जानकारी को सुनने और समझने की आपकी क्षमता को बनाए रखेगा। उसकी बेड साइड छोड़ना बिल्कुल सही है। खुद को मेंटली स्टेबल करने के लिए कुछ समय निकालें।
आईसीयू में बच्चे की देखभाल (Baby care in ICU): डॉक्टक से करें सवाल
यदि डॉक्टरों द्वारा दी गई सारी जानकारी को समझने में आपको परेशानी हो रही है तो आप अपने सवालों की और कंफ्यूजन की एक लिस्ट बनाकर रख सकते हैं। जब आपको डॉक्टर से मिलने का मौका मिले आप आराम से उनसे सवाल कर सकते हैं जो बातें आपको समझने में परेशानी हुई होगी वो भी आप आसानी से समझ सकते हैं।
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परिवार और दोस्तों से सहयोग
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए परिवार और दोस्तों से बात करना उनसे बातें शेयर करना उनका वहां मौजूद होना एक बेहतर तरीका होता है। इससे आपको काफी हिम्मत मिलती है। परिवार के बाकी सदस्यों को जानकारी देने में मदद के लिए दो या तीन दोस्तों या रिश्तेदारों से संपर्क किया जाना चाहिए, ताकि आपको अपने बच्चे के साथ वक्त बिताने के लिए अधिक समय मिल सके।
आईसीयू में बच्चे की देखभाल : प्रोफेशनल हेल्प लें
एक मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में एक इन-हाउस काउंसलर या एक साइकोलोजिस्ट मौजूद होंगे। यह साधारण बात होगी कि आप खुद की देखभाल के लिए मदद लेना चाह रहे हैं। एक मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल से बात करना मानसिक सपोर्ट प्रदान कर सकता। इससे आप मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल कर सकते हैं।
बाल चिकित्सा और नवजात शिशु की देखभाल के लिए और उनके विकास में रुकावट गंभीर बीमारियों से लड़ने में नवजात गहन चिकित्सा यूनिट (Neonatal Intensive Care Units) का बहुत योगदान है। बाल रोग और नवजात शिशु गहनता विशेषज्ञ (Neonatal Intensive Care Units) सुपर विशेषज्ञ हैं जो मुख्य रूप से महत्वपूर्ण नवजात शिशुओं और बच्चों की देखभाल करते हैं।
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इसमें पूरी टीम के साथ मिलकर न केवल गंभीर चिकित्सा बीमारियों के इलाज के लिए परीक्षण किया जाता है। बल्कि माता-पिता और अभिभावकों को एक रोग के बढ़ने के बारे में स्पष्ट रुप से पूरी जानकारी भी दी जाती है। ये टीम निम्न समस्याओं में आपकी मददगार साबित हो सकती है।
- चिंताजनक, निराश और तनाव में रहने वाले माता-पिता को सहानुभूति और समर्थन देने में मददगार हो सकता है।
- मुश्किल समय का सामना करने वाले पेरेंट्स की बात सुनने और उनको मार्गदर्शन देने में भी मदद कर सकता है।
- बहुत ज्यादा न सोचना माता-पिता के तनाव को कम करता है। एक्सपर्ट द्वारा दिए गए फीडबैक पर ध्यान रखें। माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत करते हुए शांत और दृढ़ रहें।
इस तरह से आप आईसीयू में बच्चे की देखभाल (Baby care in ICU) कर सकते हैं। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता। आपको अगर आईसीयू से संबंधित कोई प्रश्न पूछना हो, तो डॉक्टर से जानकारी जरूर लें।
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