ब्रेस्टफीडिंग से शिशु को सही पोषण तो मिलता ही है, यह कई घातक बीमारियों से भी उनकी रक्षा करता है। उन्हीं में से एक है सीलिएक रोग। यह पेट से जुड़ी बीमारी है जिसका असर बच्चे के पाचन और विकास दोनों पर होता है। पर्याप्त और सही ब्रेस्टफीडिंग से बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है। चलिए जानते हैं सीलिएक बीमारी से जुड़ी खास बातें और यह भी कि कैसे ब्रेस्टफीडिंग से इससे बचा जा सकता है।
क्या है सीलिएक बीमारी (Celiac disease)?
सीलिएक एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसमें इंसान ग्लूटेन जो एक तरह का प्रोटीन होता है को पचा नहीं पाता है। ग्लूटेन गेहूं, जौ, राई आदि में पाया जाता है। ग्लूटेन आम लोगों को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन सीलिएक बीमारी से पीड़ित लोगों पर इसका प्रभाव पड़ता है। ग्लूटेन की वजह से उन्हें पाचन संबंधी समस्या और छोटीं आंत में सूजन हो सकती है। एक रिसर्च के अनुसार, सिलीएक रोग से पीड़ित व्यक्ति जब ग्लूटेन युक्त आहार का सेवन करता है तो उसे उल्टी जैसा महसूस होता है। जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, जब भी कोई रोगी ग्लूटेन खाता है तो शरीर में इसके लक्षण बढ़ने लगते हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पूरी जिंदगी ग्लूटेन मुक्त आहार खाना पड़ता है।
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सीलिएक बीमारी के कारण
यह कुछ खास तरह के जींस को प्रभावित करता है जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी होती है, लेकिन उसी जींस के सभी लोगों को ये बीमारी नहीं होती। साथ ही यह कब किसे हो जाए कहा भी नहीं जा सकता है। कुछ कहा नहीं जा सकता है। आप सालों से ग्लूटेन खा रहे हैं तो भी अचानक से आपको यह रोग हो सकता है। कब, कैसे और किसे यह बीमारी हो जाए इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन अच्छी बात यह है कि इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। ये बीमारी अनुवांशिक भी होती है यदि परिवार में किसी को यह है तो बच्चे को इसके होने का खतरा बढ़ जाता है।
सीलिएक रोग के लक्षण
- पेट में सूजन, गैस बनना और भोजन ठीक से न पचना
- दस्त होना, मल का रंग बदलना आदि
- वजन कम होना
- बहुत थकान और कमजोरी महसूस होना
- बच्चे चिड़चिड़े हो सकते हैं।
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ब्रेस्टफीडिंग से सीलिएक बीमारी से बचाव संभव है
ब्रेस्टफीडिंग से सीलिएक बीमारी से बचा जा सकता है या इसे लंबे समय तक के लिए रोका जा सकता है। सीलिएक रोग की शुरुआत मां के दूध के जरिए बच्चे के शरीर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जाने वाले ग्लूटेन से हो सकती है। इस बीमारी के कारण आंत प्रभावित होती है, दरअसल यह ऑटोइम्यून बीमारी है यानी इसकी वजह से शरीर बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया से लड़ नहीं पाता है। सीलिएक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में बिफिडोबैक्टीरिया स्वस्थ लोगों की तुलना में कम होता है। यह बैक्टीरिया जब आंत के टेस्ट ट्यूब में होता है तो यह कोशिकाओं को ग्लूटेन सहन करने की अनुमति देता है बजाय आंतों में परेशानी खड़ी करने के। ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों के आंत में बिफिडोबैक्टीरिया भरपूर मात्रा में होता है जो सीलिएक डिसीज से उन्हें बचाने में मदद करता है।
बच्चे को सीलिएक रोग होने की आंशका होने पर क्या करें?
तो इस बारे में बच्चे के डॉक्टर से बात करें जिससे जल्दी से जल्दी बच्चे का टेस्ट करके बीमारी के बारे में पता लगाया जा सके। ब्लड टेस्ट के जरिए इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। यह टेस्ट तभी किया जाना चाहिए जब बच्चा ग्लूटेन युक्त आहार ले रहा हो, यानी जब आपको टेस्ट करवाना है तो उसे ग्लूटेन युक्त आहार देना बंद न करें। यदि ब्लड टेस्ट पॉजिटिव आता है तो डायग्नोसिस को कन्फर्म करने क लिए एंडोस्कोपी करते हैं। कुछ लोगों का ब्लड टेस्ट पॉजिटिव न आने पर भी उन्हें ग्लूटेन से एलर्जी होती है या उसके प्रति संवेदनशील रहते हैं।
यदि किसी को सीलिएक डिसीज हो जाता है तो उसे जीवनभर ग्लूटेन युक्त आहार से परहेज करना होगा। ग्लूटेन फ्री क्रैकर्स, कुकीज, पास्ता, पैनकेक मिक्स, ब्रेड आदि। यहां तक कि यदि किसी खाद्य पदार्थ के पैकेट पर ग्लूटेन फ्री लिखा है फिर भी पैरेंट्स को उसे बच्चे को देने से पहले उसकी सामग्री चेक कर लेनी चाहिए।
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क्या सिर्फ स्तनपान के दौरान भी बच्चे को सीलिएक रोग हो सकता है?
आमतौर पर सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों में सीलिएक रोग होने की संभावना नहीं होती है। यह तभी होता है जब सॉलिड फूड के जरिए ग्लूटेन बच्चे के शरीर में जाए यानी यह तभी होगा जब बच्चा ग्लूटेन युक्त आहार का सेवन करने लगेगा।
सीलिएक रोग होने पर क्या बच्चे को स्तनपान नहीं कराना चाहिए?
यदि बच्चे को सीलिएक रोग है और वह स्तनपान करता है तो मां को ब्रेस्टफीडिंग बंद कराने की और अपने आहार से ग्लूटेन हटाने की कोई जरूरत नहीं है। यदि मां ग्लूटेन युक्त आहार लेती है बावजूद इसके ब्रेस्टमिल्क में इतना ग्लूटेन नहीं होता जिससे बच्चे को सीलिएक डिसीज हो जाए।
क्या ब्रेस्टफीडिंग से सीलिएक डिसीज से बचाया जा सकता है?
अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जो यह बताए कि ग्लूटेन वाले आहार देते समय ब्रेस्टफीडिंग कराने या लंबे समय तक ब्रेस्टफीडिंग कराने से बच्चे को सीलिएक डिसीज से बचाया जा सकता है। ग्लूटेन से एलर्जी किसे हो सकती है इस बारे में साफतौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
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सीलिएक रोग एक आनुवंशिक रोग है। रिसर्च के अनुसार करीब एक तिहाई आवादी इस बीमारी से पीड़ित है। दरअसल गेहूँ और ग्लूटन युक्त अन्य खाद्य पदार्थों के सेवन से कुछ लोगों में सीलिएक रोग किसी भी उम्र में होने की संभावना देखी गई है। यह ध्यान रखना चाहिए की यह बीमारी 6 महीने के छोटे से बच्चों में होने के साथ-साथ बुजुर्गों में भी हो सकती है। जिन क्षेत्रों में गेंहूं का सेवन लोग ज्यादा करते हैं वहां के लोगों में यह बीमारी ज्यादा देखी जाती है। इस बीमारी से लड़ने के लिए या बचने के लिए एक सबसे ठोस उपाय है की आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
अगर आप सीलिएक बीमारी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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