मीजल्स वायरस से फैलने वाला इंफेक्शन (Infection) है। मीजल्स रेस्पिरेटरी सिस्टम संबंधित एक वायरल इंफेक्शन है। जिस तरह से भारत में कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया जा चुका है, ठीक उसी प्रकार खसरा भी महामारी घोषित किया जा चुका है। आपको बताते चलें कि खसरे की वजह से 2018 में एक लाख चालीस हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। खसरा (Measles) संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ाें के बलगम और लार के संपर्क में आने से फैलता है। यानी अगर किसी भी व्यक्ति को खसरा है तो उसकी छींक से भी संक्रमण दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है।
मीजल्स/खसरा (Measles) क्यों खतरनाक है?
खसरा उन व्यक्तियों में जल्दी फैलता है, जिन लोगों का इम्युन सिस्टम कमजोर होता है। बच्चों को ये वायरस जल्दी संक्रमित करता है। एक बार खसरा हो जाने पर व्यक्ति इस वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। ऐसे में व्यक्ति को अपने जीवनकाल में दूसरी बार मीजल्स होने के चांसेज कम ही होते हैं। आज मीजल्स टीकाकरण दिवस (Measles Immunization Day ) है। अगर आपको मीजल्स यानी खसरा के बारे में जानकारी नहीं है तो इस आर्टिकल के माध्यम से खसरा के बारे में जानिए।
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मीजल्स (Measles) टीकाकरण दिवस क्यों मनाया जाता है ?
मीजल्स यानी खसरा वायरल डिसीज है जो कि ज्यादातर बच्चों को अपना शिकार बनाती है। बच्चों में फैलने वाली ये आम बीमारी है जो बच्चों की मृत्यु का कारण भी बन सकती है। मीजल्स टीकाकरण दिवस हर साल 16 मार्च को सेलीब्रेट किया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों के बीच में खसरा यानी मीजल्स की जानकारी से लोगों को अवेयर कराना है। मीजल्स से बचने के लिए किसी भी प्रकार की दवा नहीं है लेकिन वैक्सिनेशन की हेल्प से मीजल्स की बीमारी से बचा जा सकता है। जिन बच्चों को मीजल्स यानी खसरा का वैक्सीनेशन नहीं दिया जाता है, उन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक रहता है। कई मामलों में तो बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है। 2017 में दुनिया के करीब 85 प्रतिशत बच्चों को पैदा होने के एक साल के अंदर वैक्सीन दिया गया था। वहीं 67 प्रतिशत बच्चों को सेकेंड डोज दिया गया था।
मीजल्स से बचाव संभव
मीजल्स वैक्सीन (Measles vaccine) की हेल्प से अब तक 21.1 मिलियन जिंदगियों को बचाया जा चुका है। मीजल्स टीकाकरण (Measles vaccination) दिवस का उद्देश्य उन सभी बच्चों को खसरे के खतरे से बाचाना है। डब्ल्यूएचओ खसरे के टीके की 2 डोज बच्चों के लिए जरूरी बताई है। बच्चे को एमआर यानी मीजल्स रुबेला या मीजल्स मम्फ्स रुबेला ( एमएमआर) का कॉम्बिनेशन दिया जाना बहुत जरूरी है। 9-12 महीने की उम्र में और दूसरा डोज 16 से 24 महीने की उम्र में दिया जाना चाहिए। अगर बच्चों को सही समय पर वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है तो इस बारे में एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
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खसरा के क्या हैं लक्षण? (Symptoms of Measles)
खसरा होने पर सामान्य तौर पर दस दिनों बाद तक शरीर में लक्षण दिखाई देने लगते हैं। पारामाइक्सोवायरस (Paramyxovirus) प्रजाति के कारण खसरा फैलता है। हवा के संपर्क में आने के कारण ये स्वस्थ्य व्यक्ति को भी संक्रमित (Infected) कर सकता है। आमतौर पर वायरस के शरीर में प्रवेश करने के कुछ ही दिनों बाद शरीर में निम्नलिखित लक्षण नजर आने लगते हैं। अगर किसी भी व्यक्ति ने बचपन में खसरा का वैक्सीनेशन नहीं करवाया है तो उसे हमेशा खसरा होने का खतरा बना रहता है।
- बुखार (Fever) आना
- खांसी की समस्या
- आंखों में लालिमा
- मांसपेशियों में दर्द (Muscles pain)
- नाक बहना
- गले में खराश (Throat infection)
- मुंह के अंदर सफेद धब्बे दिखना
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2020 तक होने चाहिए खसरा का 90 % टीकाकरण
भारत चाहता है कि साल 2020 तक करीब 90 प्रतिशत तक के बच्चों को खसरा का टीका लगना चाहिए। साथ ही वैक्सीन (Vaccine) के प्रति लोगों के अंदर जो दुविधा है, उन्हें सुलझाया जाए। भारत में अनवैक्सीन्ड बच्चों की संख्या अधिक है। इसके लिए सरकार और हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन तेजी से काम कर रही है। डब्लूएचओ (World Health Organization) इस बारे में जानकारी दे चुका है कि सही समय पर वैक्सीनेशन कराने पर करीब 2 से 3 मिलियन लोगों की जान दुनियाभर में बचाई जा चुकी है। अगर इसी तरह से दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा लोग बच्चों का वैक्सीनेशन (Babies vaccination) कराते रहेंगे तो 1.5 मिलयन से ज्यादा लोगों को इस बीमारी से बचा लिया जाएगा।
वैश्विक स्तर पर क्या स्थिति है?
वैश्विक स्तर पर, हर साल औसतन 21.1 मिलियन बच्चों को खसरे के टीके की पहली खुराक नहीं मिल पाती है। यूनिसेफ के अनुसार, इस कारण से साल 2010 से 2017 के बीच लगभग 169 मिलियन बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया। खसरा संक्रामक बीमारी है जो कि व्यक्ति के मरने का कारण बन सकती है। खसरा का संक्रमण होने पर एन्सेफलाइटिस यानी मस्तिष्क की झिल्ली की सूजन, दस्त (Diarrhea) की समस्या, निमोनिया (Pneumonia), कान में इंफेक्शन (Ear infection) और कई मामलों में परमानेंट विजन लॉस भी हो सकता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि बच्चों के लिए मीजल्स वैक्सीनेशन कितना जरूरी है। अगर आपको मीजल्स वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी नहीं है तो इस बारे में डॉक्टर से परामर्श करें। डॉक्टर आपको बच्चों के वैक्सीनेशन के बारे में सभी जानकारी प्रदान करेंगे।
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खसरा का नहीं हुआ है वैक्सीनेशन, भारत का दूसरा नंबर
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में 2.9 मिलियन बच्चे ऐसे हैं, जिनका मीजल्स वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। नाइजीरिया के बाद भारत का ही नंबर आता है, जहां अधिक मात्रा में बच्चों को मीजल्स का वैक्सीनेशन नहीं कराया गया है। आपको बताते चले कि शरीर में विटामिन ए (Vitamin A) की कमी खसरे के जोखिम को बढ़ाती है। डायट में कम मात्रा में विटामिन-ए लेने वाले बच्चों में वायरस के संपर्क में आने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जिन लोगों को पहले से ही खसरा हो चुका है उनका टीकाकरण किया जाता है ताकि उन्हें दोबारा यह बीमारी न हो। जिन लोगों को मीजल्स की समस्या है, डॉक्टर उन्हें विटामिन ए के सप्लिमेंट भी दे सकता है। साथ ही डॉक्टर रोगी को आराम करने की सलाह देता है।
अगर आपके बच्चे का जन्म हाल ही में हुआ है तो डॉक्टर से वैक्सीनेशन के बारे में तुरंत जानकारी प्राप्त करें। बच्चों को वैक्सीनेशन सही समय पर दिलवाने से इस घातक बीमारी से बचाव किया जा सकता है। अगर सही समय पर वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खसरा हो जाने पर डॉक्टर के बताएं गए नियमों का पालन करें।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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