कुछ स्थितियों में, एलिएनेटेड माता-पिता के साथ बच्चे को फिर से मिलाने की थेरिपी हेल्पफुल साबित हो सकती है। वहीं, अन्य मामलों में, एक बच्चे को इस तरह की रीयूनियन थेरेपी (Reunification therapy) से गुजरने के लिए मजबूर करना खतरनाक भी हो सकता है।
एक अच्छा फैमिली काउंसलिंग सेंटर (Family counseling center), क्वालिटी थेरेपिस्ट और बाल मनोवैज्ञानिक (Child psychologist) का सहारा भी लिया जा सकता है। ट्रीटमेंट को आपके परिवार की विशिष्ट स्थिति के अनुसार मॉडिफाई करने की आवश्यकता होगी। इसके लिए बच्चे की विकासात्मक आयु (Developmental age of your child) और अन्य फैक्टर्स को भी ध्यान में रखना जरूरी है। ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले बच्चे के बाल रोग विशेषज्ञ (Child’s pediatrician) और बाल मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Child mental health specialists) से सलाह जरूर लें।
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पेरेंटल एलिएनेशन सिंड्रोम से जुड़ी खास बातें
शुरुआती समय में पेरेंटल एलिएनेशन सिंड्रोम को पहचानना जरूरी है क्योंकि अधिक गंभीर स्टेज के लिए ट्रीटमेंट फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। यदि रीयूनियन के लिए बच्चे को फोर्स किया जाता है तो बच्चा इसे पनिशमेंट के रूप में लेता है, जिससे बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे पेरेंटल एलिएनेशन सिंड्रोम का शिकार हो सकते हैं, तो बिना देर किए प्रोफेशनल हेल्प लें।
पेरेंटल एलिएनेशन सिंड्रोम को कभी भी मेडिकल या साइंटिफिक कम्युनिटीज द्वारा डिसऑर्डर या सिंड्रोम के रूप में एक्सेप्ट नहीं किया गया है, लेकिन यह सिंड्रोम बच्चे की मेंटल हेल्थ को खराब कर सकता है। इसलिए, अगर आप बच्चे को इस स्थिति में पाते हैं, तो एक योग्य मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल के साथ अपनी इंडिविजुअल सिचुएशन को शेयर करें और परामर्श लें।
उम्मीद करते हैं कि आपको पेरेंटल एलिएनेशन सिंड्रोम (Parental alienation syndrome) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।