कहा जाता है कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं। बच्चों के साथ जैसा व्यवहार किया जाता है, उनकी प्रवृत्ति में भी वैसा ही बदलाव कुछ समय बाद दिखने लगता है।घर हो या फिर घर के बाहर, आज के समय में बच्चे कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। आए दिन खबरों में ये सुर्खियों में रहता है कि घर के परिवार के सदस्य इनोसेंट बच्चे (Innocent children) के साथ दुर्व्यवहार (Abuse) कर रहे हैं। अगर बच्चा स्कूल जा रहा है तो वहां टीचर या अन्य सदस्य इनोसेंट बच्चे को यौन हिंसा का शिकार बना रहे हैं। बच्चों का अपहरण, उनके साथ हिंसा की घटना, काम पूरा न होने पर बच्चे को मौत के घाट उतार देना आदि घटनाएं इनोसेंट बच्चे के मन में बुरा प्रभाव डालते हैं। इंटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रन विक्टम ऑफ एग्रेशन (International Day of Innocent Children Victims of Aggression) के मौके पर जानिए कि किस तरह से इनोसेंट बच्चे एग्रेशन (Aggression) का शिकार हो रहे हैं।
इनोसेंट बच्चे (Innocent children) की सुरक्षा है आपकी जिम्मेदारी, यही है इस खास दिन का उद्देश्य
बच्चे का मन कोमल होता है। उन्हें शांति और सुरक्षा की जरूरत होती है। घर, पड़ोस, स्कूल, अस्पताल आधि जगहों में भी बच्चों को सुरक्षा की बहुत आवश्यकता है। बच्चों के ऊपर होने वाले वाइलेंस को हम सभी को मिलकर रोकना चाहिए। लोगों में अवेयरनेस को बढ़ाने के लिए ही ‘इंटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रन विक्टम ऑफ एग्रेशन (International Day of Innocent Children Victims of Aggression)’ सेलीब्रेट किया जाता है। हर साल 4 जून को इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को दुनियाभर में बच्चों के साथ हो रहे फिजिकल, मेंटल और इमोशनल एब्यूज (Child abuse) को समझाना है। इस दिन बच्चों के अधिकारों को लेकर भी लोगों को अवेयर किया जाता है।
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इनोसेंट बच्चे: दुनियाभर के आंकड़ें हैं चौंकाने वाले
अगर दुनिया के आंकड़ों की बात करें तो 2 से 4 साल के करीब 300 मिलियन बच्चे अपने करीबियों के कारण हिंसा का शिकार होते हैं। वहीं दुनियाभर में चार में 176 मिलियन) घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं। ये आंकड़ें बेहद चौंकाने वाले हैं। स्कूल जाने वाले करीब 130 मिलियन बच्चों के साथ खराब व्यवहार किया जाता है। ऐसा स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर या स्कूल के ही अन्य सदस्य द्वारा किया जाता है। दुनियाभर में 732 मिलियन बच्चों को स्कूल में हिंसा का सामना करना पड़ता है। इन बच्चों की उम्र छह से 17 साल है। करीब 15 मिलियन लड़कियों को अपने जीवन में यौन हिंसा का सामना भी करना पड़ता है। ये डाटा 30 देशों से एकत्रित किया गया है।
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वायलेंस का शिकार बच्चे (Children of violence): वायलेंस से बिहेवियर में बदलाव
इनोसेंट बच्चे अगर घर या फिर बाहर रहते हुए वायलेंस का शिकार होते हैं तो वो किसी से कुछ कह नहीं पाते हैं। पारिवारिक कलह या फिर वायलेंस के कारण बच्चों का मन कुंठित हो जाता है। इन्हीं कारणों की वजह से बच्चों के व्यवहार में भी धीरे-धीरे बदलाव आने लगता है। बच्चों को सही और गलत के बारे में जानकारी नहीं होती है, इसी कारण से बच्चे ऐसा कदम भी उठा सकते हैं, जो आगे चलकर बड़ी घटना में तब्दील हो सकता है। अगर घर के बाहर बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा है तो इस बात की जिम्मेदार माता-पिता होते हैं। कई बच्चों में आदत होती है कि वो माता-पिता के डर की वजह से उन्हें अपने साथ हो रहे गलत व्यवहार के बारे में जानकारी नहीं देते हैं। इसलिए घर में बच्चों के सामने कभी भी ऐसा व्यवहार ना करें जो उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करें और उनके व्यवहार में बदलाव का कारण बनें।
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घर में ही हिंसा का शिकार हो जाते हैं इनोसेंट बच्चे (Children become victims of violence at home)
सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं। कुछ बच्चे एक बार में बात मान जाते हैं, कुछ बच्चों को अलग ढंग से समझाना पड़ता है। अगर आए दिन खबरों पर विश्वास किया जाए तो बच्चों के साथ घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है। अगर घर में महिला के साथ घरेलू हिंसा होती है तो कई बार इनोसेंट बच्चे भी एब्यूज (Abuse) का शिकार बन जाते हैं। बच्चों को कभी भी मारें नहीं। अगर वे जिद कर रहे हैं तो किसी दूसरे तरीके से उन्हें अपनी बात समझाएं। ऐसा नहीं है कि बच्चों में लड़कियां ही फिजिकल, सेक्शुअल और इमोशनल एब्यूज का सामना करती हैं, बल्कि लड़कों के साथ ही ऐसी घटनाएं होती हैं। ये बात सच हैं कि लड़कियों को सेक्शुअल एब्यूज का ज्यादा सामना करना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में सिखाएं। उन्हें किसी अंजान व्यक्ति के साथ कहीं ना भेजें। जिन लोगों पर आप पूरा भरोसा करते हैं उनके साथ भी बच्चों को अकेला छोड़ने से पहले एक बार जरूर सोचें। क्योंकि अगर ऐसे मामलों में जान पहचान वाले लोग की गुनेहगार पाए जाते हैं।
वायलेंस का शिकार बच्चे: नहीं दर्ज किए जाते हैं मामलें
ऐसा नहीं है कि बच्चों के साथ होने वाली हिंसा या फिर यौन हिंसा के लिए कानून नहीं बनाया गया हो, लेकिन फिर भी ऐसे मामलें तेजी से बढ़ रहे हैं। साल 2012 में बच्चों के साथ होनी वाली यौन हिंसा को रोकने के लिए पास्को (POCSO) कानून बनाया गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि कानून बनने के करीब दो साल बाद पहला मामला दर्ज किया गया था। यानी बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के बारे में कम ही लोग बात करना चाहते हैं और बच्चों की सुरक्षा के लिए आगे बढ़ते हैं। ऐसे कई मामलें सामने आए हैं जिनमे रिश्तोदारों ने ही बच्चे के साथ गलत व्यवहार किया होता है और वो मामला न दर्ज करवाने पर दबाव डालते हैं।
इनोसेंट बच्चे न हो वॉयलेंस के शिकार, घर से ही उठाएं पहला कदम
आपने सुना होगा कि बच्चों की प्रथम पाठशाला उसका घर ही होता है। अगर घर का माहौल सही नहीं होगा तो बच्चों के मन में इसका गलत प्रभाव पड़ेगा। बेहतर होगा कि बच्चों को घर में अच्छा वातावरण देने की कोशिश करें। जब बच्चा स्कूल जाना शुरू कर दें तो उससे रोजाना स्कूल में होने वाली गतिविधियों के बारे में पूछें। बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें ताकि उसे कुछ भी छिपाने की जरूरत न पड़े। घर में भी खास ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं बच्चे के साथ कोई दुर्व्यवहार करने की कोशिश तो नहीं कर रहा है। अगर कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो बच्चे की सुरक्षा की जा सकती है। अगर बच्चे को अच्छा वातावरण दिया जा रहा है तो बच्चे के व्यवहार में भी आपको पॉजिटिव चेंज देखने को मिलेगा।
उम्मीद करते हैं कि आपको इनोसेंट बच्चे को वायलेंस से कैसे बचाना है इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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