जन्म से लेकर 2 साल के बच्चों को सेक्स एजुकेशन (sex education)
रवि तनेजा (बिजनेस मैन) कहते हैं कि इस उम्र में मैंने अपने बच्चे को नोटिस किया है कि जब भी हम उसे नहलाते थे या उनके डायपर बदलते थे, या सोते समय, वह अपने गुप्तांगों को छूता था। ऐसी स्थिति में मैं और मेरी पत्नी पहले-पहले उस पर झल्ला जाते थे। ऐसे में हम यह कहेंगे कि बच्चों को डांटने या उन पर गुस्सा करने के बजाए उन्हें समझाना चाहिए। बच्चों को प्यार से हिदायत भी दे देंगे तो काफी है। आप बच्चे को यह समझाएं कि ऐसी हरकत घर के बाहर या किसी मेहमान के सामने न करे। नहीं तो लोग उसे गंदा बच्चा कहेंगे। ज्यादातर पेरेंट्स बच्चों से इस तरह की बात करने से कतराते हैं, जबकि आपको अपने बच्चे को उनके अंगों के बारे में सही-सही बताना अच्छा होगा।
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3 से 5 साल की उम्र तक की उम्र के बच्चों को सेक्स एजुकेशन (sex education)
जब बच्चे तीन से पांच साल के बीच होते हैं, तो एक-दूसरे के शरीर के प्रति जिज्ञासा जागने लगती है। शरीर के स्ट्रक्चर को लेकर उनके मन में कई सवाल आते हैं। इस उम्र के बच्चे ‘बच्चों के जन्म’ से जुड़े सवाल भी पूछ सकते हैं। इसलिए उन्हें उनके सवालों का जवाब धैर्य के साथ दें। यह भी ध्यान रखें कि आपको उनको पूरी बात इस उम्र में नहीं समझानी है। लेकिन, इतनी बात जरूर बताएं, जिससे उनकी जिज्ञासा शांत हो सके। अगर आपका बच्चा/बच्ची दूसरे लिंग के बच्चों के साथ ‘डॉक्टर-मरीज खेल रहे हों, तो इसके लिए डांटे नहीं। क्योंकि, ऐसा वे जिज्ञासा से करते हैं न कि विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण के कारण। हां, यह जरूर समझाएं कि उनके गुप्त अंगों को सिर्फ हम (पेरेंट्स) या वह ही छू सकते हैं। साथ ही बच्चे को गुड टच और बैड टच के बारे में भी बताएं।
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6 से 9 साल की उम्र तक के बच्चों को सेक्स एजुकेशन (Sex education to children from 6 to 9 years of age)
इस उम्र में आने के बाद बच्चों में थोड़ी समझदारी आ चुकी होती है। लेकिन, यौन संबंध आदि के बारे में उसके मन में बहुत से सवाल बन रहे होते हैं। आजकल के बच्चे हाईटेक हैं। छोटी उम्र से ही उनके पास टेलीविजन, इंटरनेट और रेडियो के माध्यम से ऐसे कई शब्द आते हैं, जिन्हें वे जानने की कोशिश करते हैं। इंटरनेट के वजह से बच्चे अपनी उम्र से पहले ही परिपक्व होने लगे हैं। इस उम्र में बच्चों के अंदर बहुत तेजी से विकास हो रहा होता है। इसलिए इस एज ग्रुप के बच्चों के मन में आने वाली जिज्ञासाओं को एक मेंटर और मार्गदर्शक की तरह हल करने की कोशिश करें। बच्चों में शारीरिक बदलाव का यह महत्वपूर्ण दौर होता है। इसलिए बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने और इसको लेकर बात करने के लिए आप भी तैयार रहें।
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