कहते हैं कि बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह और माता-पिता कुम्हार की तरह होते हैं। आप अपने बच्चे को जैसे ढालेंगे, वो वैसा ही बनेगा। अभिभावक के व्यवहार का बच्चे पर बहुत गहरा असर पड़ता है। एक अभिभावक के रूप में बच्चों की परवरिश करते समय आप अपने बच्चों को जीवन में एक अच्छी शुरुआत करते हैं। आप उनका पोषण करते हैं, उनकी सुरक्षा करते हैं और उनका सही मार्गदर्शन भी करते हैं। पेरेंटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपके बच्चे को स्वतंत्र रूप से जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार करती है। जैसा कि आपका बच्चा बढ़ता है और विकसित होता है, ऐसे कई काम हैं जो आप अपने बच्चे की मदद करने के लिए कर सकते हैं। ये आर्टिकल आपको न केवल सही पेरेंटिंग टिप्स (Parenting tips) देगा बल्कि आपके बच्चे के जीवन के प्रत्येक चरण में उसके विकास, पॉजिटिव पालन-पोषण, सुरक्षा और स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानने में मदद करेगा।
वैसे बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ उनमें कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। अगर, बच्चों में मानसिक बदलाव की बात करें, तो सभी जानते हैं कि बच्चे स्वतंत्र होने के लिए काफी उत्सुक होते हैं। इस दौरान माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि हद से ज्यादा आजादी बच्चों को बिगाड़ भी सकती है और जरूरत से ज्यादा अनुशासन बच्चे को निराशा का शिकार भी बना सकती है। इससे उनके स्वाभाव में चिड़चिड़ापन और दुर्व्यवहार पनपने लगता है। यह मां-बाप के सामने सबसे बड़ी असमंजस भरी स्थिति हो जाती है, आखिर वो करें तो करें क्या? आपकी इसी दुविधा को दूर करने के लिए हम आपको बताते हैं पॉजिटिव पेरेंटिंग के कुछ खास टिप्स, जो एक बेहतर पेरेंटिंग स्टाइल को जानने में आपकी मदद करेंगे।
और पढ़ें : बच्चों में जिद्दीपन: क्या हैं इसके कारण और उन्हें सुधारने के टिप्स?
1. पेरेंटिग टिप्स (Parenting tips)- पॉजिटिव पेरेंटिंग से अपेक्षाओं को पूर्व निर्धारित करें
कई बार बच्चों से अपेक्षाएं भी उनकी सफलता और लक्ष्य को प्राप्त करने में पॉजिटिव पेरेंटिंग मददगार साबित हो सकती हैं, क्योंकि इससे बच्चों को पता होता है कि आपकी उनसे क्या अपेक्षा है। ऐसा करना उनके अंदर प्रोत्साहन के साथ अनुशासन की भावना भी बनाने में मददगार है। हां, बस एक बात का ख्याल रखें कि बच्चों से आपकी अपेक्षा वास्तविक हो।
2. पेरेंटिंग टिप्स- पॉजिटिव पेरेंटिंग (Positive Parenting) में बच्चों के सामने नकारात्मक शब्दों का प्रयोग न करें
जरूरी नहीं है कि बच्चे की हर जरूरत को पूरी किया जाए। कई बार आपको बच्चों को कई चीजों के लिए मना भी करना पड़ता है, लेकिन कई बार उन्हें सीधा न शब्द बोलने पर इसका बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। इससे वह और भी ज्यादा जिद्दी बन सकते हैं। इसलिए जब भी उन्हें कभी न कहना हो, तो कोशिश करें कि आप उन्हें उसकी वजह भी बेहतर तरीके से समझाएं। अगर मुमकिन हो तो उन्हें बेहतर विकल्प का सुझाव भी दें।
3. पेरेंटिंग टिप्स- पॉजिटिव पेरेंटिंग (Positive Parenting) की मदद से सही और गलत में फर्क करना समझाएं
बच्चों को आप जिस काम को करने से रोकते हैं, वह उतना ही उसकी तरफ आकर्षित होते हैं। इसी के साथ उनका स्वाभाव भी जिददी हो जाता है। इसलिए बच्चों को आदेश देने की जगह, उन्हें सही और गलत में फर्क करना समझाएं, ताकि उन्हें सही निर्णय लेना में मदद मिले। कई जगह, उन्हें खुद ही फैसले लेने दें। वहीं, पॉजिटिव पैरेंटिंग वही होती है जब आप बच्चों के मालिक नहीं उनके मार्गदर्शक और दोस्त बनने की कोशिश करें।
और पढ़ें : यदि आपके बच्चे को होती है बोलने में समस्या तो जरूर कराएं स्पीच थेरेपी
4. पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips)- पॉजिटिव पेरेंटिंग से बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी उठाएं
बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए उन्हें अपना समय देना बेहद महत्त्त्वपूर्ण है। इसलिए उनके साथ अधिक समय बिताने की कोशिश करें। उनके दोस्तों से मिलें, उनके परिवेश को जानें, जिनके साथ वह दिन—रात उठते बैठते हैं। बच्चों से उनके लक्ष्य के बारे में भी बात करें। उन्हें यह भरोसा दिलाएं के वो उस लक्ष्य को पा सकते हैं। इन सब बातों के लिए रात में डिनर का समय बेहद उचित हो सकता है।
5. पेरेंटिंग टिप्स- पॉजिटिव पेरेंटिंग (Positive Parenting) के लिए बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें
बच्चे जितना शब्दों से नहीं सीखते हैं, उससे ज्यादा वह जो देखते हैं, उससे सीखते हैं। इसलिए अपने बच्चों के लिए खुद एक आदर्श उदहारण बनाएं। इसके लिए आप स्वस्थ खाएं, व्यायाम करें, पढ़ें, अपनें समुदाय में सक्रिय रहें। अपने परिवार और साथियों के साथ सम्मानजनक और दयालु संबंध रखें। जीवन के इस पड़ाव का आनंद लें। यही वो समय होता है जब आप अपने बच्चे के सबसे अच्छे दोस्त बन सकते हैं। तो सुनिश्चित करें कि आपका अपने बच्चे के साथ एक मजबूत रिश्ता हो।
6. पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips)- बच्चे की हर मांग को पूरा न करें
किसी भी तरह से बच्चों को जिद्दी होने से बचाएं। बच्चों को हर चीज उसकी मांग से पूरा कर देना बच्चे को जिद्दी बना सकता है। बच्चे की हर मांग पूरी करने से अच्छा यह है कि, पहले मांगें मानने या मना करने से पहले उसकी आवश्यकता की जरूरत को समझें। बच्चों को छोटी उम्र से ही घर के रूल्स एंड रेग्यूलेशन समझा दें। ये सब कुछ आप अकेले ही कर रहे हैं।
और पढ़ें: बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाएं?
7. पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips)-बच्चों के उम्मीद बस आप हैं, बातों को इग्नोर न करें
अगर आप सिंगल पेरेंट हैं, इसलिए आपकी बच्चों के प्रति जिम्मेदारियां भी ज्यादा बढ़ी हैं। बच्चों को अधिक से अधिक समय दें और उनके साथ कुछ अच्छा समय भी बीताएं। ऐसा करने से बच्चे आपकी निगरानी में भी रहेंगे और करीब भी। बच्चों से उनके दोस्तों के बारे में बात करें, इनसे आपको बच्चों के दोस्त के बारे में बच्चे अपने खाली वक्त में दोस्तों के साथ क्या करता है, जान सकते हैं।
8. पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips)- मदद लेने से परहेज न करें
इस बात की आप गांठ बांध लें कि आप बच्चों से जुड़े हर काम आप ‘अकेले कर सकते हैं’ पर इसके अलावा भी सोचना चाहिए। आसपास के लोगों से जरूरत पड़ने पर मदद मांगे। कई ऐसे लोग हैं, जो आपकी और आपके बच्चे की मदद करना चाहते हैं। आप अपने बच्चे के परवरिश में अपने वरिष्ठ जनों से मदद की उम्मीद रख सकते हैं।
[mc4wp_form id=”183492″]
9. पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips) – सबकुछ न छुपाएं
आमतौर पर, सिंगल पेरेंट्स अपने बच्चों से कुछ झूठ बोलते हैं, ताकि उन्हें कोई मानसिक तकलीफ न हो। लेकिन, अपने तलाक के बारे में या बच्चे के पापा/मम्मी के बारे में या फिर कुछ और अन्य जरूरी बातों के बारे में जरूर बताना चाहिए। इससे आपका बच्चा आपसे जुड़ेगा और आपकी भावनाओं को समझेगा। अगर आप बच्चे से झूठ बोलेंगे और बच्चे को बाद में सच्चाई पता चलेगी तो उसे ज्यादा तकलीफ होगी। ऐसा भी हो सकता है कि बच्चा आप पर फिर भरोसा न कर सके।
यह भी पढ़ें: बच्चों के डिसऑर्डर पेरेंट्स को भी करते हैं परेशान, जानें इनके लक्षण
10. अपने बच्चे के आत्मसम्मान को बढ़ावा देना
जब बच्चे खुद को अपने माता-पिता की नजर से देखते हैं, तो बच्चे स्वयं के प्रति अपनी जिम्मेदारी को महसूस करना शुरू कर देते हैं। आपका बोलना, आपकी बॉडी लैंग्वेज और आपकी हर आदत आपके बच्चे पर प्रभाव डालती है। एक अभिभावक के रूप में आपका रहन-सहन, बोलना और कार्य किसी अन्य चीज से अधिक उनके विकासशील आत्मसम्मान को प्रभावित करते हैं। बच्चों को स्वतंत्र रूप से काम करने देने से वे सक्षम और मजबूत महसूस करेंगे। इसके अलावा उनके और किसी अन्य बच्चे के बीच तुलना करना आपके बच्चे के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है।
11. बच्चे को दयालु बनाएं
‘दया’ बच्चों की परवरिश का बहुत ही अहम हिस्सा होता है। शुरूआत से ही बच्चों में दया की भावना पैदा करनी चाहिए। इसके लिए आप अपने बच्चों को कहानी सुना सकते हैं। अपने घर में एक छोटा डॉग या कोई अन्य पालतू जानवर भी रख सकते हैं। दरअसल ऐसा कहा जाता है कि घर में पालतू जानवर रखने से छोटे-बड़े प्रत्येक लोगों के स्वभाव में परिवर्तन आता है। यदि शुरूआत से ही बच्चों के साथ इन्हें रखा जाए तो इसका बच्चों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। उन्हें सीखाएं कि जानवरों का ख्याल कैसे रखें, उन्हें बताएं कि हम जिनकी मदद कर सकते हैं, उससे कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। इस प्रकार शुरुआत से हम उनके स्वभाव को और बेहतर बना सकते हैं।
और पढ़ें: बच्चों के इशारे कैसे समझें, होती है उनकी अपनी अलग भाषा
12. पेरेंटिंग सलाह (Parenting Advise) : स्वंय को बनाएं रोल मॉडल
जो भी पेरेंट्स अपने बच्चे की अच्छी परवरिश करना चाहते हैं, तो उसके लिए सबसे पहले उनको अपने स्वभाव में परिवर्तन करके अपने आपको एक आदर्शवादी पेरेंट्स बनाना पड़ेगा। वो कहते हैं न बच्चों की पहली शिक्षा की शुरुआत उनके घर से होती है। इसका मतलब है कि आप जिस तरह से अपने घर में न केवल बच्चों से बल्कि बाकी लोगों के सामने पेश आते हैं। आपका बच्चा भी आपको देखकर वही सीखता है। लेकिन जब आप एक आदर्श पेरेंट्स बनकर उनके सामने व्यवहार करते हैं, तो आपका बच्चा आपको अपना रोल मॉडल समझता है। आपकी तरह बनने के बारे में सोचता है, इसलिए बच्चों की परवरिश करते समय आपका स्वयं भी एक आदर्श पिता या मां बनना जरूरी है।
13. उन्हें बताएं प्यार एक ‘अनकंडीशनल लव’ है!
हम और आप दोनों जानते हैं कि प्यार एक ‘अनकंडीशनल लव’ है, जिसमें कोई शर्त नहीं रखी जाती है। लेकिन बच्चों को भी यह सीखाना बहुत जरूरी होता है। कहीं, वो आगे चलकर किसी गलत संगत में पड़कर प्यार की परिभाषा को गलत तरह से न समझ लें। इससे बेहतर है कि आप शुरूआत से ही उन्हें लव की सही परिभाषा सीखाएं। उन्हें बताएं कि आप जिससे भी प्यार करते हैं, उसके पीछे कोई कंडीशन (शर्त) या फायदा नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए उन्हें बताएं जैसे- एक बच्चे और मां के बीच जो प्यार होता है, वह एक ‘अनकंडीशनल लव’ है और उसमें कोई शर्त नहीं होती है। इसी प्रकार आप किसी से प्यार करते हैं, तो वो प्यार बेशर्त होना चाहिए।
और पढ़ें: बच्चों का लार गिराना है जरूरी, लेकिन एक उम्र तक ही ठीक
14. पेरेंटिंग सलाह (Parenting Advise) : बच्चों को मारना-पीटना सही नहीं
कुछ ऐसे मां बाप होते हैं, जिन्हें लगता है कि बच्चों को डांटकर या मारकर हम कंट्रोल में रख सकते हैं और कुछ भी सीखा सकते हैं। उन्हें लगता है इस तरह उनकी परवरिश अच्छी हो सकती है। लेकिन यह सच नहीं है, बच्चों को मारकर आप उन पर दबाव बनाकर कंट्रोल में रख सकते हैं। लेकिन, यदि आप उन्हें कोई बात सही तरीके से सीखाकर, समझाकर बताते हैं, तो वह खुशी-खुशी आपकी हर बात मानते और समझते हैं। प्यार से समझाई और सीखाई गई आपकी हर बात उन्हें ताउम्र याद रहती है। जबकि मारने-पीटने से वो हमेशा आपसे दूर जाने के बारे में सोचते रहते हैं। वो एक मौके की तलाश करते हैं, जब वो आपसे दूर होकर आजाद हो सकें। यदि आप इसे एक अच्छी पेरेंटिंग टिप्स समझते हैं, तो यह गलत है। इसे बदलने के बारे में सोचें।
[embed-health-tool-vaccination-tool]