
‘मेरा बच्चा पढ़ने में ध्यान नहीं देता है’, यह तो घर-घर की कहानी है। हर मां-बाप के जुबान पर यही शिकायत होती है कि उनका बच्चा बहुत चंचल है, पढ़ने में दिल नहीं लगाता आदि। मोबाइल गेम्स या दूसरे आउटडोर गेम्स खेलने, कहानियों की किताब पढ़ने, टी.वी. देखने में जितना मन लगता है या कॉन्सन्ट्रेट करता है, काश वह पढ़ने में उतना ही मन लगता, तो उनकी चिंता कम होती। ऐसी बातें आप आए दिन सुनते रहते होंगे। लेकिन ऐसी शिकायतों में सबसे पहले यह सोचने की जरूरत है कि हम जिनको लेकर यह शिकायत कर रहे हैं, आखिर वह बच्चे ही तो हैं। बच्चों में एकाग्रता की समस्या कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है। बस बच्चों की दिल की बात समझने की जरूरत होती है।
आज हम बच्चों में एकाग्रता की समस्या को लेकर बात करेंगे। यह समस्या इतनी भी बड़ी नहीं है कि यह हल न हो सके। इसके लिए हर माता-पिता को थोड़ा समझदारी दिखानी पड़ेगी। पता है, आजकल हर पैरेंट काम के सिलसिले में बहुत व्यस्त रहते हैं। उनके पास उतना समय नहीं होता है कि वह बच्चे को समय दें। यहां हम आपकी सारी परेशानियों को समझते हुए ऐसे कुछ टिप्स देंगे, जिससे आप आसानी से अपनी यह परेशानी को हल कर पाएंगें।
असल में बच्चे की उम्र जितनी कम होती है, उसका मन उतना ही चंचल होता है। जैसे-जैसे वह उम्र की दहलीज पार करते जाता है, उसकी चंचलता कम होती जाती है। पर सवाल अब यह आता है कि बच्चों में एकाग्रता टेलीविजन देखने के समय या वीडियो गेम्स खेलने के समय जितनी दिखती है, उतनी पढ़ने के समय क्यों नहीं दिखती। पहले बच्चों की तरफ से बात को समझते हैं। हम अक्सर उन्हीं चीजों में ज्यादा ध्यान देते हैं, जो हमें अच्छा लगता है या जिसको करने के लिए हमें ज्यादा एनर्जी खर्च नहीं करनी पड़ती है। तो जब बच्चों के पढ़ाई पर ध्यान देने की बात आती है, तब उनको इसके लिए ज्यादा मानसिक ऊर्जा या दबाव देने की जरूरत पड़ती है। क्योंकि वह पढ़ाई से जुड़ी चीजों को नहीं जानते और समझने की जरूरत होती है, इसलिए जल्दी ही वह पढ़ाई के काम से ऊब जाते हैं और उनका मन भटकने लगता है। तो इस विश्लेषण से हमारे सामने कुछ समस्याएं स्पष्ट होकर सामने आ गई हैं, वह हैं-
- बच्चों में एकाग्रता उन चीजों में आती हैं जिनमें उनका मन लगता है। तो हमें ऐसा कुछ करना चाहिए, जिससे उन्हें पढ़ाई बोझ नहीं, बल्कि खेल जैसा रूची वाली चीज लगे।
- बच्चों में एकाग्रता की कमी का दूसरा बड़ा कारण पढ़ाई का बोझ होता है। आजकल की पढ़ाई ऐसी हो गई है कि बच्चा दिन भर सब्जेक्ट और सिलेबस के जाल में फंसा रह जाता है।
- बच्चों में एकाग्रता कम होने का तीसरा कारण है, पढ़ाई के कारण चिंता या तनाव। आप खुद सोचिए, अगर हर दिन प्रोजेक्ट, होम वर्क मिलेगा और इसके साथ हमेशा सिर पर एक्जाम की तलवार लटकती रहेगी, तो कैसे बच्चे का दिल पढ़ाई में लगेगा।
- जाहिर है, इन्हीं कारणों से बच्चे चाहे भी तो पढ़ाई को लेकर एन्जॉय नहीं कर पाते हैं और उन चीजों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं, जिनके लिए उन्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।
- कम उम्र होने के कारण वह प्रकृति से चंचल होते हैं, इसलिए देर तक एक जगह पर बैठकर पढ़ना नहीं चाहते हैं।
चिंता न करें, कुछ ऐसे तरीकों के बारे में चर्चा करेंगे जिससे बच्चों का ब्रेन एक्टिव भी रहेगा और बच्चों में एकाग्रता की शक्ति भी बढ़ेगी। इन मेंटल एक्सरसाइज से याद रखने की क्षमता, समस्या का समाधान करने की सूझबुझ और कुछ नया सिखने की इच्छा जागृत होगी।
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बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : प्रोजेक्ट को ठीक से करने की ट्रिक्स
आजकल के सिलेबस में प्रोजेक्ट वर्क बहुत होता है। इसके लिए उनको कुछ ऐसी ट्रिक्स के बारे में बताना होगा, जिससे वह इसको एन्जॉय करके पूरा करें। सबसे पहले प्रोजेक्ट वर्क को कई हिस्सों में बांट लें। इससे काम को एक साथ करने की बोरियत से बच सकेंगे।
बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : ज्यादा हिदायत या डायरेक्शन न दें
यह हर मां-बाप की आदत होती है कि वह पढ़ाई को लेकर बहुत सारे निर्देश या हिदायतें देने लगते हैं। इंसान की यह प्रकृति होती है कि वह हिदायत सुनना ज्यादा पसंद नहीं करता। फिर वह तो आखिर बच्चे हैं, उन्हें कैसे अच्छा लगेगा। मसलन होमवर्क करने के लिए उन्हें यह कहें कि कौन-सा सबजेक्ट तुम्हें ज्यादा पसंद हैं, वह वाला पहले कर लो। फिर थोड़ा ब्रेक लेकर तुम जो सबजेक्ट चुनना चाहो वह करो।
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बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : समय की पाबंदी
समय की पाबंदी सबसे अहम चीज होती है। इसको मानकर करने से बहुत से जटिल काम आसान हो जाते हैं। अगर आप बच्चे के खेलने, किताब पढ़ने, गेम्स खेलने सबके लिए समय बांट दें, तो उसे कोई काम करने में बोरियत महसूस नहीं होगी। वह समय पर काम करना भी सीख जाएगा और हर काम को एन्जॉय करके करेगा।
बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : जैसे पढ़ना चाहे वैसे पढ़ने की आजादी दें
अक्सर मां-बाप को बोलते सुना होगा कि सुबह उठकर जोर-जोर से पढ़ने से सबक जल्दी याद होता है। लेकिन ऐसा नहीं होता, हर बच्चे का अपना कंफर्ट जोन होता है। कोई जोर-जोर से पढ़ना पसंद करता है, तो कोई मुंह बंद करके। कोई शांत परिवेश में या किसी विशिष्ट जगह पर पढ़ना पसंद करता है, तो कोई शोर में भी पढ़ लेता है। इसलिए बच्चे को उसकी प्रकृति के अनुसार पढ़ने की स्टाइल चुनने की आजादी देनी चाहिए।
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बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : तरह तरह के मेमोरी गेम्स खेलें
क्या आपको पता है कि खेल-खेल में भी आप बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने की सीख दे सकते हैं। मसलन, नेम चेन गेम खेलें। कुछ बच्चों को एक साथ बैठाएं। पहले बच्चे को एक नाम बताएं, फिर दूसरे बच्चे को उस नाम के साथ दूसरा नाम जोड़ने के लिए कहे। इस तरह चेन बढ़ाते रहें और देखें कि हर बच्चा कितने नामों को एक साथ बता रहा है। इस तरह वे हर नाम को एक साथ याद करके बोलने की कोशिश करेंगे और उनका मेमोरी पावर बढ़ेगा। साथ ही मन को एकाग्र करने की शक्ति भी बढ़ेगी।
बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : मेडिटेशन करवाएं
ध्यान या मेडिटेशन, योग अभ्यास का एक अंग होता है। जो सदियों को मन को एकाग्र करने का सबसे बड़ा साधन माना जाता रहा है। अगर आप बच्चे को कम से कम दिन में 10-15 मिनट तक ध्यान करना सिखाएंगे, तो उसे हर काम को एकाग्रता से करने में आसानी होगी।
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बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : योगासन
ध्यान की तरह ही ऐसे कुछ योगासन हैं, जो न सिर्फ मन को एकाग्रचित्त करने में मदद करते हैं, बल्कि मेमोरी पावर को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। इनमें प्राणायाम, मुद्रा, आसन बहुत कुछ शामिल होते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर आजकल कुछ स्कूलों में योग को एक्स्ट्रा-करीकुलर एक्टिविटीज में शामिल किया गया है। इसलिए आप भी बच्चे से योगासन का अभ्यास करवाएं।
बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : पढ़ने के समय का चयन
कुछ बच्चे सुबह उठकर शांत और सौम्य वातावरण में पढ़ना पसंद करते हैं, तो कुछ बच्चे रात को पढ़ना पसंद करते हैं। इसलिए उनको अपनी पसंद के अनुसार समय का चयन करने देना चाहिए। इससे उनका पढ़ने में दिल लगेगा। किसी भी बात को करने के लिए जबरदस्ती ना करें, उन्हें आपने मन से पढ़ाई करने की छूट दें।
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बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स : म्यूजिक थेरेपी
यह आजमाई हुई ट्रिक है। अगर बच्चा पढ़कर थक गया है या एक्जाम के समय बहुत स्ट्रेस में है, तो उसको उसकी पसंद का गाना सुनने के लिए कहें। इससे उसका मन शांत हो जाएगा और बच्चे का मन पढ़ाई में लगेगा।
आशा करते हैं यह सारे टिप्स बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने में बहुत मदद करेंगे। इनमें कोई भी टिप्स मुश्किल नहीं है, जो आप कर न सकें। ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
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