कब्ज! और कब्ज के साथ आनेवाली सौ तकलीफें! कभी ब्लोटिंग, कभी पेट दर्द, कभी सिरदर्द तो कभी एसिडिटी। बस यही तकलीफें आपको हमेशा घेरे रहती हैं और आप सोच नहीं पाते कि आपको दिन भर में कितने काम खत्म करने थे। लेकिन ऐसा हमेशा तो नहीं चल सकता न! इसलिए आज हम आए हैं ऐसी इन्फॉर्मेशन के साथ, जो आपको बताएगी कि कब्ज और एसिडिटी के हमले से कैसे बचा जाए! इसे आप कब्ज, एसिडिटी की दवा भी मान सकते हैं तो चलिए.. हम शुरू करते हैं आज की बातचीत! कब्ज के कारण एसिडिटी, अब ये तकलीफ तो सोते हुए को नींद से जगाने के लिए काफी है! वही पेट में जलन, खट्टी डकारें (acid reflux), डिस्कम्फर्ट और मोशन में गड़बड़ी.. सही कह रहे हैं न हम? ऐसे में तो भाई साहब अच्छे-अच्छों को नाकों तले चने चबाने पड़ सकते हैं, लेकिन कभी आपने सोचा है कि ये एसिडिटी कैसे होती है? चलिए हम आपको बिलकुल आसान शब्दों में समझाते हैं।
दरअसल, जब आप खाना खाते हैं, तो पेट में मौजूद ग्लैंड्स एसिड सीक्रेट करते हैं। कभी-कभी जब आप तला-भुना (oily/fried food) खाना ज्यादा खा लेते हैं या आप लम्बे समय तक भूखे रहते हैं, तो ये ग्लैंड्स ज्यादा एसिड सीक्रेट करने लगती हैं, जिसकी वजह से एसिडिटी (Acidity) की तकलीफ हो सकती है। कभी-कभी किसी खास दवा के कारण भी आपको एसिडिटी की तकलीफ झेलनी पड़ सकती है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या इस मुसीबत से भरी सिचुएशन का कोई हल नहीं? तो भाई साहब, क्यों नहीं है इलाज? है न इलाज! लेकिन उससे पहले जरा इस एसिडिटी को अच्छे से तो समझ लें। हमारा मतलब है मेडिकल भाषा में आप नहीं जानना चाहेंगे कि ये मुसीबत कहां से शुरू होती है?
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कभी काली रतियां – कभी दिन सुहाने, एसिडिटी (Acidity) की बातें तो, एसिडिटी ही जानें!
ये लाइन उस हर इंसान को समझ आएगी, जो एसिडिटी की तकलीफ से दो-दो हाथ कर चुका है। ये तकलीफ है ही ऐसी कि व्यक्ति को परेशान करके रख देती है। उस पर यदि आप कॉन्स्टिपेशन (Constipation) के मरीज हैं, तो कहना ही क्या! फिर तो ये कंडिशन, आपके लिए सिरदर्द बन जाती है। अगर आपको कब्ज के कारण एसिडिटी (Constipation Induced Acidity) हुई है, तो आपको कुछ खास सिम्पटम्स दिखाई दे सकते हैं।
वर्ल्ड गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजी ऑर्गनाइजेशन (World Gastroenterology Organisation) की मानें, तो एसिडिटी, हार्ट बर्न और एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux), ये सभी गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) के कॉमन सिम्पटम्स माने जाते हैं। साथ ही इस तकलीफ में आपको एपीगैस्ट्रिक पेन (Epigastric Pain), नॉन कार्डिएक चेस्ट पेन (Non-Cardiac Chest Pain), सोर थ्रोट (Sore Throat) और क्रॉनिक कफ (Chronic Cough) जैसे सिम्पटम्स भी सिखाई दे सकते हैं। ऐसे में आपको जरूरत है सबसे पहले ये जानने कि एसिडिटी का कारण असल में है क्या!
ज्यादातर केसेज में ये तकलीफ आपको कब्ज (constipation) के कारण ही होती है। ऐसे में जरूरत है तो कब्ज की तकलीफ को नौ-दो-ग्यारह करने की। और वो कैसे होगी? सिंपल… लैक्सेटिव से! दरअसल लैक्सेटिव ऐसा पदार्थ है, जो आपके पेट में मौजूद जाम को, आसानी से खोल देता है और एक ही रात में आपको कब्ज से गैरेंटीड राहत पहुंचाता है। वैसे तो लैक्सेटिव के कई प्रकार हैं, लेकिन इसमें भी बेस्ट है स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव, जिसमें आप बिसाकोडिल (Bisacodyl) पर भरोसा कर सकते हैं। बस आपको रात में इसे लेना है और सुबह ये कब्ज की तकलीफ को ऐसे बाहर का रास्ता दिखाएगा कि ये अपने साथ-साथ एसिडिटी को भी साथ लेकर जाएगा। यानी कि इसमें कब्ज, एसिडिटी की दवा टू इन वन है।
हमें पता है अब आपके मन अब चिंता के बादल किस ओर रुख कर रहे हैं! कब्ज के कारण एसिडिटी होती कैसे है, यही सोच रहे हैं न आप? तो टेंशन किस बात की है! हम आपको अभी बता देते हैं कि दोनों तकलीफें (गैस कब्ज एसिडिटी) कैसे एक-दूसरे के रिश्ते में लगने वाले भाई-बहन है!
कब्ज: “एसिडिटी (Acidity) तो मेरी कजिन है!”
एसिडिटी की तकलीफ वही समझ सकता है, जिसने ये तकलीफ झेली हो। ये तकलीफ है ही ऐसी, जो आपको चैन से नहीं बैठने देती। और जब साथ में कब्ज की भी दिक्कत हो जाए, तब तो कहना ही क्या! लेकिन यहां पर यह जानना जरूरी है कि कब्ज और एसिडिटी आपस में रिश्तेदार कैसे बने? वर्ल्ड गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजी ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि कॉन्स्टिपेशन एक पॉलीसिम्प्टमैटिक (Polysymptomatic) तकलीफ है। जिसमें आपको एक्ससेसिव स्ट्रैनिंग, हार्ड स्टूल, पूरी तरह से पेट साफ न होने का एहसास आदि सिम्पटम्स दिखाई दे सकते हैं। इन्ही सिम्पटम्स में एसिडिटी भी अपने लिए जगह बनाती है।
इसके बारे में मुंबई के फॉर्टिस हॉस्पिटल की गेस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ नूतन देसाई का कहना है कि “एसिडिटी से बचा तब जा सकता है, जब हम अपना खान-पान ठीक करें। हमें अपने खाने से स्पाइसी (spicy) और खट्टी (sour) चीजों को कम करना चाहिए। इसके अलावा चीज, चॉकलेट, तली हुई चीजें और एल्कोहॉल (alcohol) से दूरी बनानी जरूरी है।”
डॉ नूतन ने आगे बताया, “एसिडिटी को रोकने के लिए खाने के अलावा और भी फैक्टर्स पर ध्यान दिया जा सकता है, जिसमें स्मोकिंग न करना (Quit smoking), ओवर द काउंटर मेडिसिन्स और पेनकिलर्स (OTC Drugs, Medicines and Painkillers) का ज्यादा इस्तेमाल ना करना, वजन घटाना (weight loss), टाइट कपड़े ना पहनना (tight clothing), खाने के बाद एक्सरसाइज ना करना (no exercise), खाने के तुरंत बाद ना सोना इत्यादि कामों को जोड़ा जा सकता है।”
एसिडिटी को इस तरह भी समझा जा सकता है – स्मॉल इंटेस्टाइन से लार्ज इंटेस्टाइन में जो मूवमेंट होती है, उसके बाद ही हमारा पेट साफ होता है। जब हमारा खाया हुआ खाना स्मॉल इंटेस्टाइन में जाता है, तो वहां डायजेस्टिव एंजाइम के साथ मिल जाता है, जिसके कारण खाना डायजेस्ट होता है। इसके बाद जो वेस्ट मटेरियल है, वो लार्ज इंटेस्टाइन में चला जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को पेरिस्टलसिस (Peristalsis) कहा जाता है। जब आपको कॉन्स्टिपेशन की तकलीफ होती है, तो यही पेरिस्टलसिस (क्रमाकुंचन) की प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है,जिसके कारण पेट में गैस बनती है और यही आगे चलकर एसिडिटी की वजह बनती है। इस तरह कॉन्स्टिपेशन के कारण एसिडिटी की दिक्कत होती है।
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तो अब आप समझे कैसे ये एसिडिटी कब्ज (constipation) के साथ मिलकर आपका जीना दूभर कर देती है! वैसे हमने आपको इसका इलाज पहले ही बता दिया है। वो इलाज है लैक्सेटिव! जैसा कि आप जानते हैं, हमने पहले भी लैक्सेटिव का जिक्र किया है। अब हम आपको बताते हैं कि लैक्सेटिव असल में है क्या! दरअसल लैक्सेटिव एक ऐसा पदार्थ है, जो पेट में जाकर वहां जमा कई दिनों के कचरे को एक साथ बाहर का रास्ता दिखा देता है। जिससे आप सुबह जब टॉयलेट जाते हैं, तो आसानी से आपका पेट साफ हो जाता है। बस रात को एक गोली लें और सुबह फ्रेश हो जाएं। इसलिए कब्ज का इलाज लैक्सेटिव (बिसाकोडिल) के साथ करें और एसिडिटी अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर अपने आप चली जाएगी। लीजिए कब्ज, एसिडिटी की दवा आपको एक साथ मिल गई।
एक काम और भी आप कर सकते हैं! और वो है आपके खाने-पीने में प्रिकॉशन (Food Precautions) लेना। यानी कि आपको कब क्या खाना है और किस तरह के खाने से दूरी बनानी है, ये जान लीजिए! बस आपकी दिक्कत अपने आप खत्म होती चली जाएगी। चलिए, इसके बारे में थोड़ा डीटेल में जान लेते हैं।
अपनी ‘अनहेल्दी’ हैबिट्स से ‘अन’ निकाल दें, तो होगी काफी मदद!
जैसा कि आपको हम पहले बता चुके हैं, खाने से जुड़ी अगर आप सही चॉइसेस अपनाते हैं, तो आपको बहुत हद तक कॉन्स्टिपेशन से निपटने में मदद मिल सकती है। हालांकि अगर ये तकलीफ क्रॉनिक बन गई है, तो आपको दवाइयों की राह लेनी चाहिए, लेकिन ये फूड हैबिट्स (healthy eating habits) आपको शुरूआती तौर पर तो कब्ज (constipation) से जंग में जीत दिलाने की शुरुआत कर सकती है। इसलिए कब्ज के कारण एसिडिटी की तकलीफ को शह और मात देनी है, तो आपको अपनी चाल सोच-समझकर चलनी होगी। आइए देखते हैं किन फूड्स की मदद से आप कब्ज को पटखनी दे सकते हैं।
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फाइबर (Fiber) – ऐसा साथी, जो कभी ना छोड़े हाथ
अब जब बात छिड़ ही गई है फाइबर की, तो ये जान लीजिए कि अलग-अलग उम्र में शरीर को फाइबर (fiber/fibre) की अलग-अलग मात्रा चाहिए होती है। दरअसल एक एडल्ट को दिन भर में 25 से 31 ग्राम तक फाइबर की जरूरत पड़ती है, लेकिन उम्र के साथ लोगों में फाइबर (fiber/fibre) की कमी देखी जा सकती है। इसका कारण क्या है जानते हैं? क्योंकि उम्र के बढ़ने पर लोगों का मन खाने से उठने लगता है। जाहिर है उनके शरीर में फाइबर की कमी पाई जाती है, लेकिन अगर आप एक एडल्ट हैं, तो आपको अपने टीम में इन खिलाडियों को जगह देनी चाहिए।
अनाज (Grains) – दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम
अनाज में आप चाहें, तो ग्रेन्स को शामिल कर सकते हैं। जिसमें आप होल व्हीट ब्रेड, पास्ता, ओटमील और सीरियल फ्लेक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। नहीं तो आपको ब्लैक बीन्स, सोयाबीन, किडनी बीन्स और चना दाल को अपने खाने में तवज्जो देनी चाहिए। साथ ही नट्स में आप बादाम (almonds) और मूंगफली (Peanuts) को अपने खाने में जगह दे सकते हैं।
फल (Fruits) – यही तो सेहत बनाने का एक रसीला तरीका है!
अब जब फलों की बात चली है, तो इन्हें खाना किसे पसंद नहीं होगा? मीठे-रसीले फल आपको स्वाद के साथ-साथ तंदुरुस्ती का तोहफा भी तो देते हैं! फलों की बात करें, तो अलग-अलग तरह की बैरीज (berries), सेब (apple), पीयर्स (pears) और संतरा (orange) कब्ज की एंट्री को आपकी जिंदगी से ब्लॉक कर सकते हैं।
सब्जियां (Vegetables/Veggies) – गैस, कब्ज, एसिडिटी को रखे दूर!
जब आप खाना खाने बैठते हैं, तो क्या आपकी थाली टेस्टी सब्जियों के बगैर पूरी हो सकती है भला! नहीं ना! इसलिए हम आपके लिए आप ऐसी ही सब्जियां लेकर आए हैं, जो कब्ज (constipation), गैस, एसिडिटी की छुट्टी कर सकती है। इन सब्जियों में आप गाजर (Carrot), ब्राेकली (Broccoli), मटर (Green Peas) और भी हरी सब्जियों (Green leafy vegetables) को भी जगह दे सकते हैं।
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खाने की ये सभी चीजें आपके शरीर में फाइबर की कमी को पूरा कर सकती हैं। और..जहां फाइबर सही मात्रा में आपके शरीर में एंट्री लेगा, वहीं दूसरी ओर से कब्ज और एसिडिटी को एग्जिट लेना पड़ेगा, लेकिन फाइबर के अलावा एक और ऐसी चीज है, जो कब्ज में जादू की तरह काम करती है। क्या है जानते हैं? नहीं? तो आगे पढ़िए!
पानी (Water) – पीना इसी का नाम है! (H20 comes to help)
अब समझे ना! क्यों आपको हमेशा एक्सपर्ट्स पानी का इंटेक (water intake) बढ़ाने की हिदायत देते हैं? क्योंकि पानी का सही इंटेक कब्ज ही नहीं, बल्कि एसिडिटी को भी ठीक कर सकता है। जब आप पानी पीते हैं, तो बॉडी में मौजूद फाइबर अच्छी तरह से काम करता है। साथ ही आपकी बॉडी पूरी तरह से हायड्रेटेड (hydrated) रहती है, जिससे आप एनर्जी से भरपूर बने रहते हैं। एक और जरूरी बात आप ये भी जान लीजिए कि आपको पानी के साथ-साथ फलों के जूस, सूप आदि का भी इंटेक बढ़ाना चाहिए। जिससे होगा ये कि ये आपके शरीर को हायड्रेटेड बनाए रखेंगे और कॉन्स्टिपेशन को मजबूरी में ही सही, दरवाजे से बाहर जाना पड़ेगा।
ये तो थी कब्ज और एसिडिटी के कुछ बेसिक इलाज, लेकिन ये इलाज पूरी तरह से कारगर हैं, ऐसा कहना भी सही नहीं होगा। कई बार कब्ज और एसिडिटी क्रॉनिक (IBD) बन जाते हैं, जिसके लिए आपको लैक्सेटिव्स का सहारा लेना ही पड़ता है और ये इलाज सही भी है, क्योंकि लैक्सेटिव के इस्तेमाल से सिर्फ एक रात में आप पेट के रुके हुए रास्ते खोल सकते हैं। लेकिन ये इलाज कैसे काम करता है, ये समझना भी बेहद जरूरी है। चलिए अब ये भी जान लेते हैं।
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बिसाकोडिल (Bisacodyl) – अब कीजिए पेट के लॉकडाउन के लिए अनलॉक 2.0 की तैयारी
लैक्सेटिव एक ऐसा पदार्थ माना जाता है, जो आपका पेट साफ़ करने में माहिर होता है। इसकी एक गोली रात को लेते ही पेट की सफाई का काम शुरू हो जाता है और जब आप सुबह टॉयलेट जाते हैं, तो फ्रेश होकर ही बाहर निकलते हैं! इसे कब्ज, एसिडिटी की दवा भी कह सकते हैं।
अब आपने ये तो जान लिया कि लैक्सेटिव क्या होता है, अब इससे जुड़ी कुछ खास बातें भी जान लीजिये। लैक्सेटिव चार तरह के होते हैं, जिनके नाम स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव (Stimulant Laxatives), ल्यूब्रीकेंट लैक्सेटिव (Lubricant Laxatives), स्टूल सॉफ्टनर्स (Stool Softeners) और ऑस्मोटिक लैक्सेटिव (Osmotic Laxatives) हैं।
- कब्ज (constipation) की तकलीफ के लिए स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव (Stimulant Laxative) सबसे ज्यादा मददगार साबित होते हैं क्योंकि यह आपकी आंतों के कॉन्ट्रैक्शन को बढ़ाने में मदद करते हैं और उनकी मूवमेंट में तेजी लाते हैं। जिससे स्टूल आसानी से बाहर की तरफ आने लगता है। अगर आप स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव लेने की सोच रहे हैं, तो बिसाकोडिल (Bisacodyl) सबसे शानदार ऑप्शन हो सकता है क्योंकि, इसके काम करने और राहत पहुंचाने की स्पीड काफी तेज है।
- ल्यूब्रिकेंट लैक्सेटिव (Lubricant Laxative) पेट में आपके स्टूल पर एक चिकनी परत बनाता है, जिससे उसमें नमी और पानी के कण बने रहते हैं और वह नर्म हो जाता है। यह चिकनी परत स्टूल को आसानी से निकलने में भी मदद करती है। इस प्रकार के लैक्सेटिव में मिनरल ऑयल खास एलिमेंट होता है।
- स्टूल सॉफ्टर्नस लैक्सेटिव (Stool Softener Laxative) के नाम से ही समझ आता है कि यह स्टूल को मुलायम बनाने में मदद करते हैं। यह लैक्सेटिव पेट में मौजूद फ्लूइड की मदद से आपके स्टूल को मुलायम बनाता है और आसानी से बाहर निकलने लायक बनाता है। इसमें डॉक्यूसेट सोडियम और डॉक्यूसेट कैल्शियम का इस्तेमाल किया जाता है।
- ऑस्मोटिक लैक्सेटिव (Osmotic Laxative) आपके शरीर में मौजूद पानी को पेट में लाते हैं और स्टूल को मुलायम बनाते हैं। जिसfसे मोशन आसानी से हो जाता है। ऑस्मोटिक लैक्सेटिव में पॉलीइथिलीन ग्लाइकॉल (Polyethylene Glycol) का इस्तेमाल किया जाता है।
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अब तो यकीन हो गया ना कि बिसाकोडिल (Bisacodyl) कैसे कब्ज और एसिडिटी की तकलीफ में आपकी मिनटों में मदद कर सकता है। पेट के अंदर मची तबाही पर ठंडी हवा का झोंका चाहते हैं, तो चॉइस आपके हाथों में है और जवाब हमारे आर्टिकल में! तो इस शानदार कब्ज, एसिडिटी की दवा का उपयोग करने के लिए तैयार हो जाइए।
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