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पाइलोरिक स्फिंक्टर फंक्शन क्या है?

पाइलोरिक स्फिंक्टर फंक्शन क्या है?

पाइलोरिक स्फिंक्टर (Pyloric sphincter) मसल्स की बनी एक सॉफ रिंग है, जो पेट और छोटी आंत को जोड़ती है। यह पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पाचन को विनियमित करने और पाचन तंत्र के स्वस्थ फंक्शन को बनाए रखने से संबंधित कई कार्य करता है। पेट की शारीरिक रचना के इस हिस्से को पाइलोरिक वाल्व के रूप में भी जाना जाता है। गैस्ट्रिक स्राव की प्रक्रिया को तीन चरणों (सिफेलिक, गैस्ट्रिक और आंतों) में विभाजित किया जा सकता है जो प्राथमिक तंत्र पर निर्भर करता है जो गैस्ट्रिक म्यूकोसा को गैस्ट्रिक जूस को स्रावित करने का कारण बनता है। पाइलोरिक स्फिंक्टर (Pyloric sphincter) का शरीर और पाचन में क्या रोल है, आइए जानते हैं:

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पाइलोरिक स्फिंक्टर फंक्शन क्या है (What is Pyloric Sphincter Function?)

पाइलोरिक स्फिंक्टर का मुख्य कार्य आंतों की सामग्री को पेट में फिर से प्रवेश करने से रोकना है। जब छोटी आंत सिकुड़ने लगती है और आंत में बड़े खाद्य कणों से ब्लॉक होने लगती है। पाइलोरिक स्फिंक्टर की आंतरिक सतह, एक श्लेष्म-झिल्ली लेयर से ढकी होती है, जो गैस्ट्रिक जूस को स्रावित करती है। यह झिल्ली लिपोप्रोटीन से भरपूर होती है, जो एसिड के हमले के लिए प्रतिरोधी होती है। गैस्ट्रिक म्यूकोसा प्रति दिन 1.2 से 1.5 लीटर गैस्ट्रिक जूस स्रावित करता है। गैस्ट्रिक जूस भोजन के कणों को घुलनशील बनाता है, पाचन (विशेष रूप से प्रोटीन) की शुरुआत करता है, और गैस्ट्रिक सामग्री को चाइम नामक एक अर्ध-तरल द्रव्यमान में परिवर्तित करता है, इस प्रकार इसे छोटी आंत में आगे पाचन के लिए तैयार करता है। गैस्ट्रिक जूस पानी, हाइड्रोक्लोरिक एसिड, इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, फॉस्फेट, सल्फेट और बाइकार्बोनेट), और कार्बनिक पदार्थों (बलगम, पेप्सिन और प्रोटीन) का एक चर मिश्रण है। अस्तर के नीचे, वृत्ताकार मांसपेशी ऊतक पाइलोरिक स्फिंक्टर को खोलने या बंद करने का संदेश देती है, जिससे भोजन का आगे की प्रक्रिया में जाने की अनुमति मिलती है। जब भोजन वही ब्लॉक होना शुरू हो जाता है, तो पाइलोरिक स्फिंक्टर सिकुड़ जाता है और ब्लॉक होने लगता है। लेकिन पेरिस्टाल्टिक वेव्स फिर भोजन को आंत की तरफ धकेलते हैं। चूंकि पाइलोरिक स्फिंक्टर अपेक्षाकृत संकीर्ण होता है, केवल थोड़ी मात्रा में अच्छी तरह से पायसीकृत भोजन ही इसके खुले होने पर भी गुजर सकता है।

हम यह भी कह सकते हैं कि पाइलोरिक स्फिंक्टर ब्लॉक होने पर पाचन प्रक्रिया के अगले चरण में प्रवेश नहीं कर पाता है। यदि पाचन बाधित हो जाता है और पेट की समाग्री ठीक से पच नहीं पाता है। तो लोगों को दिक्कत पेट की दिक्कत तो आती है, साथ में  उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन का पूरा पोषण का पूरा लाभ मिल नहीं पाता है। पाइलोरिक स्फिंक्टर को समझने के लिए आपको इसके फंक्शन को भी समझना होगा। भोजन के दौरान, पेट को पाचन प्रक्रिया के लिए गैस्ट्रिक स्राव के उत्पादन का संकेत मिलता है। जब भोजन पेट में प्रवेश करता है, तो यह तुरंत इन स्रावों के साथ मिश्रित होकर एक गाढ़ा अम्लीय तरल रूप ले लेता है, जिसे चाइम कहा जाता है। इस समय के दौरान पाइलोरिक स्फिंक्टर बंद रहता है। पाइलोरिक स्फिंक्टर का एक अन्य प्रमुख कार्य काइम और पित्त की सम्स्या को रोकना है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • उल्टी होने की समस्या और कई बार उल्टी के साथ रक्त के भी निशान आ सकते हैं।
  • लगातार भूख लगना, जिन्हें पाइलोरिक स्टेनोसिस होता है, वे अक्सर उल्टी के तुरंत बाद खाना चाहते हैं।
  • पेट में संकुचन होने की समस्या होना।
  • मल त्याग में परिवर्तन होना चूंकि पाइलोरिक स्टेनोसिस भोजन को आंतों तक पहुंचने से रोकता है, इस स्थिति वाले लोगों को कब्ज हो सकता है।
  • पाइलोरिक स्टेनोसिस एक बच्चे को वजन बढ़ने से रोक सकता है, और कभी-कभी वजन घटाने का कारण बन सकता है।

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पाइलोरिक स्फिंक्टर की जटिलताएं बढ़ाने वाले कारक (Factors that increase complications of pyloric sphincter) 

पाइलोरिक स्फिंक्टर की जटिलाओं के कई कारण हो सकते हैं, यह सभी के शरीर पर निर्भर करता है। इसके कारणों में शामिल है:

गैस्ट्रिक कारक (Gastric factor)

पेट में भोजन की मात्रा भी पाइलोरिक स्फिंक्टर को भी प्रभावित करती है। जब पेट में भोजन बड़ी मात्रा में मौजूद होता है, तो यह पेट की दीवारों को फैलाता है, जो बदले में स्ट्रॉन्ग पेरिस्टाल्टिक वेव्स पैदा करता है और पाइलोरिक स्फिंक्टर को अचानक बंद होने से रोकता है।  कुछ खाद्य पदार्थ पेट खाली करने के लिए कुछ हाॅर्मोनल रिलीजको गति प्रदान करते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ पेट के खाली होने की गति को तेज कर देते हैं, जबकि प्रोटीन युक्त भोजन बहुत धीमी गति से रिलीज होते हैं और उच्च वाले भोजन पचने में सबसे अधिक समय लेते हैं। इसमें काइम का pH भी एक अन्य नियामक कारक है। जब पेट में अधिक अम्लता होती है, तो पाइलोरिक स्फिंक्टर खुल जाता है, और जब अम्लीय सामग्री ग्रहणी में चली जाती है, तो अम्लता का स्तर बढ़ जाता है और दबाव कम भी हाे जाता है।

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डयूोडेनल फैक्टर (Duodenal factor)

डयूोडेनल में उच्च अम्लता और उच्च स्तर के वसा या प्रोटीन उत्पाद एक एंटरोगैस्ट्रिक रिफ्लेक्स का कारण बनते हैं, जो तंत्रिकाओं के माध्यम से डयूोडेनल की वॉल से होकर गुजरता है और पाइलोरिक स्फिंक्टर को बंद करने काम कारक बनता है। ताकि काइम को प्रवेश करने से रोका जा सके।  एंटरोगैस्ट्रोन्स पाइलोरिक स्फिंक्टर की गतिविधि को भी प्रभावित करते हैं। ये एक हाॅर्मोन हैं, जो स्फिंक्टर को बंद करने की गति में तेजी लाता है। । कोलेसीस्टोकिनिन (सीसीके) तब निकलता है जब डयूोडेनल में वसा का उच्च स्तर होता है और पेट में निकलने वाले गैस्ट्रिन के प्रभाव को रोकता है। गैस्ट्रिक इनहिबिटरी पेप्टाइड (जीआईपी) नामक एक अन्य हाॅर्मोन भी इसे उसी तरह प्रभावित कर सकता है, लेकिन कुछ हद तक।

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पायलोरिक स्टेनोसिस (Pyloric stenosis)

पाइलोरिक स्टेनोसिस तब होता है, जब स्फिंक्टर की मांसपेशी असामान्य रूप से बड़ी या मोटी हो जाती है। जिस कारण पेट से सामान्य प्रवाह प्रतिबंधित हो जाता है। यह रोग ज्यादातर नवजात बच्चों में देखने को मिलता है। इसे बेबी हाइपरट्रॉफिक पाइलोरिक स्टेनोसिस कहा जाता है। यह खाने के बाद गंभीर उल्टी जैसे लक्षणों का कारण बनता है और कई बार उल्टी में रक्त के निशान भी हो सकते हैं। इसमें बच्चे का वजन कम होने लगता है और बच्चा कुपोषण के कारण लगातार भूख लगना और डिहायड्रेशन जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं। पाइलोरिक स्टेनोसिस का कारण अभी भी अज्ञात है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह जेनेटिक भी हो सकता है। जिन माता-पिता को बचपन में यह बीमारी थी, उनके बच्चों में इसके होने का जोखिम (20%) अधिक होता है। वर्तमान में, बढ़ी हुई मांसपेशियों के प्रभावों को उलटने के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। वयस्कों को भी इस बीमारी का खतरा होता है लेकिन संकुचन आमतौर पर कैंसर, वृद्धि, सूजन या अल्सर से होने का कारण बन सकता है।

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पाइलोरोस्पाज्म (Pylorospasm)

पाइलोरोस्पाज्म तब होता है जब स्फिंक्टर के मांसपेशी फाइबर समय से पहले सिकुड़ जाते हैं और सूजन पैदा करने और पाचन प्रक्रिया को आगे ले जाने में विफल हो जाते हैं। इससे डयूोडेनल में काइम के प्रवाह में रुकावट आती है और पेट अत्यधिक भरा महसूस हो सकता है। जिससे खाने के बाद उल्टी और दर्द जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इस विकार का इलाज मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाओं से किया जा सकता है।

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पाइलोरिक स्फिंक्टर के बारे में आपने जाना यहां। इसका इलाज आपके कारण और लक्षणों पर निर्भर करता है। इसके लिए डॉक्टर आपका कुछ जरूरी ब्लड टेस्ट, स्टूल टेस्ट  और जरूरत होने पर पेट का इमैजिंग स्कैन भी करवा सकते हैं। फिर आपकी रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर आपको मेडिकेशन की सलाह देंगे। जिन मामलों में सर्जरी की जरूरत है, डॉक्टर वो बताएंगे। पाइलोरिक स्फिंक्टर के इलाज के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Pyloric Sphincter: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/pyloric-stenosis/symptoms-causes/syc-20351416 Accesses 31 Jan 2022

Pyloric Sphincter: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/775971/ Accesses 31 Jan 2022

Pyloric Sphincter: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/29709494/ Accesses 31 Jan 2022

Pyloric Sphincter: https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/21463-h-pylori-infection Accesses 31 Jan 2022

Pyloric Sphincter: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK555931/ Accesses 31 Jan 2022

 

Current Version

01/02/2022

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare


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Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/02/2022

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