“रात है गहराई, पर अब तक नींद नहीं आई, बोलो क्या करें भाई?” रोहन अपने रूममेट अतुल को रात के 2 बजे जगाते हुए ये बात कहता है। अतुल कहता है, “अरे! मेरे रातों के उल्लू, मैं तुम्हें कितनी बार बोलूं, पेट रखोगे ठीक, तभी आएगी जल्दी से नींद।” रोहन सोच में पड़ जाता है कि ‘मेरी नींद का पेट से क्या कनेक्शन है?!’ अतुल, रोहन को समझाते हुए कहता है कि “नींद हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है, जिसके डिस्टर्ब होने पर हमारे पूरी बॉडी का फंक्शन गड़बड़ हो सकता है और नींद में असंतुलन के कारण कब्ज की समस्या हो सकती है। इसलिए तुम अक्सर कहते हो कि सुबह ठीक से फ्रेश नहीं हो पाया। इसी वजह से तुम ऑफिस में अपनी अच्छी परफॉर्मेंस नहीं दे पाते हो, हमेशा टेंशन में दिखते हो और कई बार तो एम्बेरेस्ड फेस बना कर एक कोने में जाकर बैठे रहते हो। ऐसा इसलिए है कि नींद की कमी के कारण अब तुम्हें कॉन्स्टिपेशन (constipation) की भी समस्या हो गई है। कोई बात नहीं! तुम्हारी इस समस्या का इलाज है और वह भी गैरन्टीड।”
अतुल, रोहन को तभी एक टैबलेट देते हुए कहता है कि “ये लो टैबलेट खाओ और भूल जाओ अपनी नानी के नुस्खे। जो काम जरूर करते हैं, पर जड़ से तकलीफ को खत्म नहीं करते और इसलिए ये हाल बेहाल हालत तुम्हारे साथ-साथ मुझे भी हर रात परेशान करने आ जाती है।” रोहन का कंफ्यूस्ड फेस देख अतुल बोला, ‘पलट के सो जाता है! अब ये डिसाइड करो कि रोज रात जागरण करना है या टेंशन फ्री रात के साथ अपने दिन को भी एंजॉय करना है।
रोहन की तरह क्या आप भी मानते हैं कि वाकई में नींद में असंतुलन के कारण या कहें कि अनिद्रा के कारण कब्ज की समस्या हो सकती है? इस सवाल का जवाब है बहुत सीधा, लेकिन कब्ज और नींद में क्या संबंध है ये जानने से पहले समझनी होगी कुछ बातें। तो आइए, आप भी फायदा उठाइए इस लेख का।
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क्या आप जानते हैं कब्ज (Constipation) और नींद (Sleep) एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं?
न्यूरोगैस्ट्रोइंटेरोलॉजी एंड मोटीलिटी नामक किताब के अनुसार, “इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (IBS) पूरी नींद न लेने के कारण हो सकता है। जिसकी शुरुआत कब्ज से होती है।” यानी कि कब्ज और नींद में संबंध है और नींद की कमी के कारण कब्ज हो सकता है। इस रिसर्च के अनुसार इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (IBS) नींद को प्रभावित करता है और नींद की कमी के कारण कब्ज (constipation) की समस्या हो जाती है। इसका मतलब है कि ये दोनों तकलीफें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इसी विषय पर बात करते हुए शालीमार बाग स्थित फॉर्टिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ प्रदीप जैन (मेटाबॉलिक सर्जरी) ने बताया, “नींद पूरी ना होने पर गैस्ट्रोइंटेस्टिनल सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है और कब्ज भी इसी से जुड़ी तकलीफ में से एक माना जाता है। अनिद्रा के कारण कब्ज होना सामान्य है। जब नींद में कमी की वजह से व्यक्ति के दिमाग पर प्रभाव पड़ता है, तो आगे चलकर यही उसके मोशन को भी प्रभावित करता है। ” तो आप अब तो समझ ही गए होंगे कि नींद और कब्ज के बीच संबंध है और नींद में असंतुलन के कारण कब्ज की समस्या आपको परेशान कर सकती है।
तो फिर स्लीप एप्निया (Sleep Apnea) और कॉन्स्टिपेशन (Constipation) का ताल्लुक भी होगा गहरा?
स्लीप एप्निया ऐसी तकलीफ है, जिसमें नींद के दौरान सांस लेने में समस्या होती है। नींद में व्यक्ति की सांसें बार-बार बंद हो जाती हैं। जिससे उसके दिमाग और शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। स्लीप एप्निया में व्यक्ति को पता ही नहीं चल पाता कि सोते समय उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इस विषय पर बात करते हुए डॉ जैन ने आगे बताया कि “स्लीप एप्निया से परेशान व्यक्ति को कब्ज की समस्या होना आम बात है। स्लीप एप्निया की वजह से इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (IBS) की समस्या होती है, जिसकी शुरुआत कब्ज से ही होती है।”
साथ ही जर्नल ऑफ रिसर्च इन मेडिकल साइंसेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट में स्लीप एप्निया और इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (IBS) के बीच संबंध बताया गया है। इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (IBS) के कारण कब्ज, अपच और गैस की समस्या होती है। इस रिसर्च में 200 लोगों को शामिल किया गया था। जिसमें 100 लोग ऐसे थे, जो स्लीप एप्निया से परेशान थे और 100 लोगों को स्लीप एप्निया की कोई शिकायत नहीं थी। इसके बाद एक साल तक उनकी नींद और पेट की सेहत की निगरानी की गई। जिसमें ये देखा गया कि स्लीप एप्निया से परेशान लोगों में कब्ज, अपच और गैस जैसी समस्याएं हैं। लेकिन जिन लोगों को स्लीप एप्निया नहीं था, उनके पेट का स्वास्थ्य ठीक पाया गया। इस रिसर्च में ये बात सामने आई कि स्लीप एप्निया के कारण व्यक्ति की नींद बाधित होती है, जिससे पेट से जुड़ी तकलीफ हो सकती है।
साथ ही आज कल के नए स्लीपिंग पैटर्न्स के चलते, काफी लोगों ने अपनी नींद को बैक बेंच पर रखा हुआ है; चाहे देर रात तक काम करने के चक्कर में या OTT प्लैटफॉर्म्स पर अपनी फेवरिट सीरीज को बिंज वॉच करने के कारण। लोग सोने का एक वक्त तय नहीं कर पा रहे। ऐसे में नींद में असंतुलन के कारण कब्ज होना आम बात है। तो क्या किया जाए कि कब्ज (constipation) की तकलीफ से आप बच जाएं? आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ और बातें।
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कहीं नींद की कमी तो नहीं बन रही पेट की तकलीफों की वजह? – Inadequate sleep leads to constipation
नींद हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है, नींद की कमी के कारण कब्ज तो होता ही इससे हमारे रोजाना के कामों पर असर होता है। जिस दिन आप कम सोते हैं, उस दिन आपका रूटीन बिगड़ जाता है। नींद की कमी से पूरे दिन आपको आलस महसूस होता है और आप काम पर ध्यान नहीं दे पाते। नींद की कमी से आपको पेट से जुड़ी तकलीफ हो सकती है, क्योंकि पेट से ही हमारा इम्यून सिस्टम, हॉर्मोनल बैलेंस, इलेक्ट्रोलाइट बैंलेस आदि जुड़े हुए हैं। आइए जानते हैं कि नींद में असंतुलन के कारण या कहें कि अनिद्रा के कारण कब्ज (constipation) के साथ और कौन सी परेशानियां हो सकती हैं?
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न्यूट्रिशनल डायट (Nutritional Diet) लेने से दिखेगा आपका रिपोर्ट कार्ड: 100 में से 100
अक्सर हम सुबह ठीक से नाश्ता नहीं करते और कई बार तो दिन में काफी स्नैक्स और मीठी चीजों का सेवन कर लेते हैं, जैसे- चाय या कॉफी। इन सब से हम अपनी नींद को तो दूर कर लेते हैं, लेकिन पेट और पाचन (digestion) से जुड़ी तकलीफों को बढ़ा देते हैं। वैसे भी आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग कम नींद लेते हैं, जिससे वे कब्ज के शिकार हो जाते हैं। जब नींद में असंतुलन के कारण कॉन्स्टिपेशन होता है, तो हमें अपने खानपान और सोने का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अब तक आप ये तो समझ ही गए होंगे कि कब्ज और नींद में सबंध है।
- अपनी एक दिनचर्या तय करें
- समय पर खाना खाएं
- समय पर सोएं
- कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लें
- भरपूर मात्रा में पानी पिएं
- सही मात्रा में फाइबर युक्त आहार लें
इन सब के बावजूद अगर आपको कब्ज की शिकायत हो रही है, तो बिसाकोडिल फॉर्मूला से बनी टैबलेट का सेवन रात में सोने से पहले करें। जिसके सिर्फ एक डोज से ही रात भर में ही आपके कॉन्स्टिपेशन (constipation) की समस्या दूर हो जाएगी।
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इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (IBS) – बस नाम ही काफी है!
इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (IBS) पेट से जुड़ी ऐसी तकलीफ है, जिसमें कब्ज, अपच और गैस जैसी समस्या हो जाती है। इसके अलावा आपको नींद की कमी के कारण इन्फ्लमेटरी बॉवल डिजीज, क्रोहन्स डिजीज आदि समस्याओं से भी जूझना पड़ सकता है। ऐसा होने के पीछे का कारण हमारा इम्यून सिस्टम होता है। कम सोने से या नींद में कमी होने पर इम्यून सेल्स (Immune Cells) इन्फ्लमेटरी साइटोकाइन्स (inflammatory cytokines) नाम का लिक्विड बना सकती है, जिससे पेट से जुड़ी समस्याओं को बढ़ावा मिलता है। इसलिए सोने का समय और भरपूर नींद हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी मानी जाती है।
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अलार्म क्लॉक के अलावा कॉन्स्टिपेशन भी नहीं बनने देता आपकी मॉर्निंग को #गुडमॉर्निंग
नींद में कमी के कारण कब्ज और पेट की समस्याएं होती हैं, ये बात आप पहले ही जान चुके हैं। अब ये समझते हैं कि अनिद्रा के कारण कब्ज के साथ ही पेट में दर्द या सूजन कैसे होती है। जब हम कम नींद लेते हैं या कम सोते हैं, तो हमारा ब्रेन प्रभावित होता है। जिससे ब्रेन से ऐसे सिग्नल और हॉर्मोन्स स्रावित होते हैं, जो आंतों में होने वाले मूवमेंट को प्रभावित करते हैं। जिससे पेट में दर्द और सूजन की समस्या होती है। इसके साथ ही कई बार आंतों के मूवमेंट में इरेग्युलेशन होने के कारण भी कब्ज (constipation) की शिकायत होती है। इसलिए आपको अपना सोने का समय निश्चित करना चाहिए। ये तो हो गई नींद की कमी के कारण होने वाली पेट संबंधी समस्याएं। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ज्यादा सोने के कारण भी आपको कब्ज हो सकता है! अगर नहीं तो आइए जानते हैं इस बारे में…
अगर कम सोना (Less sleep) है कॉन्स्टिपेशन का कारण, तो ज्यादा सोने से भी नहीं लगेगा जैकपॉट
कम सोने से कब्ज होने की बात समझ में आती है, लेकिन ज्यादा सोने से भी कब्ज की समस्या हो सकती है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे मुमकिन है? डॉ प्रदीप जैन की माने, तो “जरूरत से ज्यादा सोने पर आपको कब्ज की तकलीफ से जूझना पड़ सकता है। इसका कारण सोने के दौरान लो बीएमआर (BMR) को माना जाता है। जब सोने की वजह से हम कम पानी पीते हैं और जब इंटेस्टाइन (Intestine) ज्यादा पानी सोखता है, तब भी कब्ज (constipation) की तकलीफ हो सकती है। यानी अनिद्रा के कारण कब्ज और अधिक निद्रा के कारण भी कब्ज हो सकता है”
इसके साथ-साथ जब सोने के दौरान हमारे शरीर में किसी भी प्रकार की कोई हलचल नहीं होती है, जिससे इंटेस्टाइन में होने वाले मूवमेंट में कमी आ जाती है। इसलिए इंटेस्टाइन की मसल्स सही तरीके से वेस्ट मटेरियल को रेक्टम तक नहीं पहुंचा पाती, और तब भी कब्ज की शिकायत हो सकती है। इस स्थिति में आप दो चीजें करें – आठ घंटे से ज्यादा ना सोएं और दूसरी कि कॉन्स्टिपेशन की समस्या से बचने के लिए लैक्सेटिव का सेवन करें। ये तो बात हो गई कब्ज होने के कारणों की, आइए अब जानते हैं कि किन तरीकों से आप पा सकते हैं गेरेंटीड आराम?
अब तक हमने ये तो देखा कि किन-किन आदतों की वजह से हमारी पेट की तकलीफ बढ़ सकती है। लेकिन किन उपायों से इसका तोड़ निकला जा सकता है, ये नहीं जाना! तो चलिए अब जानते हैं कब्ज (Constipation) को ठीक करने के ऐसे इलाज, जो सिर्फ एक रात में ही आपकी तकलीफ को छूमंतर कर सकते हैं।
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अगर पाना है कब्ज से ओवर नाइट निजात, तो अपनाएं ये फुलप्रूफ इलाज – From Grumpy to fresh mornings
नींद की कमी के कारण कब्ज होने पर आप अपनी लाइफस्टाइल को ठीक तो रखें ही, लेकिन तुरंत राहत पाने के लिए क्या करें? अक्सर हार्श लगने वाली मेडिसिन ही सही मायनों में आपके स्ट्रेसर्स को दूर भागाती है और अंदर से प्रॉब्लम पर काम करती है। तो आइए जानते हैं कि किस तरह आप लैक्सेटिव्स का सही इस्तेमाल कर सकते हैं?
बिसाकोडिल (Bisacodyl), डॉक्यूसेट (Docuset), पॉलीइथाइल ग्लाइकॉल (Polyethyl Glycol) ये सभी लैक्सेटिव में शामिल कम्पाउंड्स हैं। इन जेनेरिक फॉर्मूला से बनी दवाओं का सेवन आप कब्ज की समस्या में इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इसकी दवा में प्रेजेंस आपको पहली रात से ही देगी राहत और देगी पेट के लॉकडाउन से आजादी। साथ ही ये उस इम्पॉर्टेंट अर्ली मॉर्निंग मीटिंग से पहले आपको तैयार करेगी, जो काम घरेलू नुस्खे नहीं इंस्टेंटली नहीं कर पाएंगे। भले ही अनिद्रा के कारण कब्ज हुआ हो किसी दूसरी वजह से यह सब पर असर करेगा।
जी हां, रोहन ने भी ये तरकीबें इस्तेमाल की, जिससे उस वक्त तो राहत मिल गई, लेकिन जड़ से प्रॉब्लम का सफाया नहीं पाया। भले ही आज तक आप भी घरेलू उपायों को कब्ज के उम्दा इलाज की तरह देखते आए हों, लेकिन इससे लंबे समय के बाद भी आराम मिले, ऐसा जरूरी नहीं। इसलिए लैक्सेटिव का इस्तेमाल कब्ज (Constipation) में करना आपके लिए एक जल्दी और गैरेंटीड उपाय साबित होता है। आप जब भी इन दवाओं का सेवन करें, तो अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। फिर आप बिंदास हो कर सो जाएं। अगली सुबह आपका पेट पूरी तरह से साफ हो जाएगा और आप सुबह टेंशन-फ्री उठेंगे, जिससे आप पूरे दिन पॉजिटिव और एनर्जेटिक महसूस करेंगे।
कब्ज में बिसाकोडिल (Bisacodyl) कैसे आपके पेट के लॉकडाउन के लिए बनता है एक ‘गो-टू’ ऑप्शन?
ये तो आप जान ही गए होंगे कि बिसाकोडिल का इस्तेमाल कब्ज के इलाज के लिए किया जाता है। बिसाकोडिल एक प्रकार का लैक्सेटिव होता है। जो सक्रिय मेटाबोलाइट्स बनाने के लिए आंतों के एंजाइम और बैक्टीरिया को हाइड्रोलाइज करता है। जिससे यह सीधे कोलन के मूवमेंट के लिए इंटेस्टाइन म्यूकोसा (Intestinal Mucosa) पर असर करता है, जिससे कब्ज (constipation) का इलाज होता है। आसान भाषा में अगर समझें, जब हम खाना खाते हैं, तो फूड पाइप से लेकर आंतों तक भोजन नलिका, पेट, आंत के सिकुड़ने और फैलने की प्रक्रिया चलती रहती है। कब्ज होने पर आंतों के सिकुड़ने और फैलने की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिसे बिसाकोडिल ठीक करता है। बिसाकोडिल वेस्ट मटेरियल को बल्क के रूप में रेक्टम (Rectum) में जमा कर के आसानी से पेट साफ कराने में मदद करता है, जिससे कॉन्स्टिपेशन की समस्या से छुटकारा मिलता है। कब्ज से राहत पाने के लिए बिसाकोडिल का सेवन आपको रात में सोने से पहले लगभग 5 से 15 मिलीग्राम तक करना होगा। लेकिन ध्यान रखें कि किसी भी दवा का सेवन डॉक्टर के निगरानी में करना चाहिए।
इसलिए कब्ज से छुटकारा पाना अगर आपको आसान ना लगता हो, तो मेडिकेशन का चुनाव गलत नहीं होगा। इसके अलावा ये ध्यान रखने वाली बात है कि एक स्वस्थ्य जीवन के लिए सभी को आठ घंटे की नींद जरूरी है। इससे आप नींद में असंतुलन के कारण कब्ज की समस्या से बच जाएंगे और आपका अनिद्रा के कारण कब्ज की समस्या भी नहीं होगी। साथ ही डायजेस्टिव लॉकडाउन खुल तो जाएगा ही और साथ-साथ होगा काफी कुछ अनलोड।
हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है। इसलिए किसी भी प्रकार की दवाओं का सेवन डॉक्टर की निगरानी में करना बेहतर विकल्प माना जाएगा।
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