परिचय
इंटेस्टाइनल इस्किमिया क्या है?
इंटेस्टाइनल इस्किमिया एक ऐसी समस्या है जो तब होती है जब आंत को खून की सप्लाई करने वाली एक या अधिक धमनियां एवं रक्त वाहिकाएं सिकुड़ या अवरुद्ध हो जाती हैं। इंस्टेस्टाइनल इस्किमिया आमतौर पर छोटी आंत, बड़ी आंत या दोनों को प्रभावित करता है। यह एक गंभीर समस्या है जो तेज दर्द होता है और आंत सही तरीके के कार्य नहीं कर पाता है। कुछ गंभीर मामलों में आंत में रक्त का प्रवाह रुकने से आंत के टिश्यू डैमेज हो जाते हैं जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
व्यक्ति के शरीर में पेट की तीन मुख्य रक्त वाहिकाएं जैसे सेलिएक धमनी, सुपीरियर मेसेंट्रिक धमनी और इनफिरियर धमनी होती हैं। इंस्टेटाइनल इस्किमिया होने पर इनमें से दो या तीन धमनियां काम करना बंद कर देती हैं। अगर समस्या बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
कितना सामान्य है इंटेस्टाइनल इस्किमिया होना?
इंटेस्टाइनल इस्किमिया एक गंभीर बीमारी है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग इंटेस्टाइनल इस्किमिया से पीड़ित हैं। यह बीमारी आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करती है लेकिन किसी भी उम्र के लोग इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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प्रकार
इंटेस्टाइनल इस्किमिया को आमतौर पर दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है –
कोलन इस्किमिया (इस्केमिक कोलाइटिस)
इस प्रकार का इंटेस्टाइनल इस्किमिया सबसे आम होता है। यह तब उत्पन्न होता है जब कोलन में रक्त प्रवाह धीमे हो जाता है। इस धीमे रक्त प्रवाह के कारण के बारे में हमेशा पता नहीं लगाया जा पाता है लेकिन कोलन इस्किमिया होने के पीछे अन्य बिमारियों का संकेत हो सकता है, जैसे की –
- कोलन को रक्त पहुंचाने वाली धमनी में खून का थक्का जमना।
- आंतों का मूड जाना या हर्निया के कारण आंतों में किसी चीज का फस जाना।
- कोकेन का इस्तेमाल करना
- बेहद तीव्र गति से व्यायाम करना, जैसे की लंबे समय तक तेजी से दौड़ना
- अन्य रक्त संबंधी बीमारियां, जैसे की रक्त वाहिकाओं में सूजन होना (वस्क्युलाइटिस), लूपस या सिकल सेल एनीमिया।
- खतरनाक रूप से लो ब्लड प्रेशर (हाइपोटेंशन), जो की हृदय विफलता, किसी सर्जरी, ट्रामा या शॉक संबंधी हो सकता है।
- ऐसे दवाओं का इस्तेमाल करना जिनसे रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं जैसे की हृदय रोग या माइग्रेन की दवा।
- हॉर्मोनल दवाएं जैसे की गर्भनिरोधक गोलियां
- किसी टिशू के क्षतिग्रस्त होने या ट्यूमर के कारण बॉवेल ऑब्स्ट्रक्शन होने की वजह से आंतों का अत्यधिक बढ़ जाना।
एक्यूट मेसेंटेरिक इस्किमिया
इंटेस्टाइनल इस्किमिया का यह प्रकार आमतौर पर छोटी आंत को ही प्रभावित करता है। इसकी आकस्मिक शुरुआत होती है जिसके पीछे निम्न वजहें हो सकती हैं –
खून का थक्का जमना – खून के थक्के का हृदय से अलग हो कर रक्त प्रवाह के जरिए किसी धमनी को रोक देना। ऐसा आमतौर पर सुपीरियर मेसेंटेरिक आर्टरी के साथ होता है जो कि आंतों को ऑक्सीजन से भरपूर रक्त पहुंचाने का कार्य करती है। यह एक्यूट मेसेंटेरिक इस्किमिया होने का सबसे सामान्य कारण होता है। इसकी वजह से एकत्र हृदय विफलता, अनियमित दिल की धड़कन या दिल का दौरा पड़ सकता है।
आर्टरी में रुकावट आना – आंतों की मुख्य धमनियों में रुकावट आने के कारण रक्त प्रवाह का कम या पूरी तरह से रुक जाना। यह धमनी की दीवार के पास फैटी डिपाजिट के इकट्ठा होने के कारण होता है। इस प्रकार का आकस्मिक इस्किमिया क्रोनिक इंटेस्टाइनल इस्किमिया वाले लोगों में होता है।
लो ब्लड प्रेशर के कारण असंतुलित रक्त प्रवाह – हृदय विफलता, शॉक, किडनी फेलियर या विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन करने के कारण लो बीपी हो सकता है जिससे रक्त प्रवाह असंतुलित होने का खतरा बना रहता है। इस प्रकार की स्थिति उन लोगों में उत्पन्न होती है जो पहले से ही अन्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होते हैं। इस प्रकार के एक्यूट मेसेंटेरिक इस्किमिया को नॉनओक्लूसिवइस्किमिया भी कहा जाता है क्योंकि यह किसी धमनी में आई रुकावट के कारण नहीं हुआ होता है।
लक्षण
इंटेस्टाइनल इस्किमिया के क्या लक्षण है?
इंटेस्टाइनल इस्किमिया के लक्षण अचानक विकसित होते हैं और धीरे-धीरे काफी गंभीर हो जाते हैं। हर व्यक्ति में इंटेस्टाइनल इस्किमिया के लक्षण अलग-अलग नजर आते हैं। समय के साथ एक्यूट इंटेस्टाइल इस्किमिया के ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
- पेट में अचानक गंभीर दर्द
- पेट में मरोड़
- मल त्यागने में परेशानी
- मल में खून आना
- मतली और उल्टी
- कार्डियोवैस्कुलर डिजीज
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से कुछ व्यक्तियों में मेंटल कन्फ्यूजन जैसे लक्षण नजर आते हैं।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम के अंग भोजन के पाचन में मदद करते हैं। लेकिन जब इन अंगों में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है तो भोजन पचने में कठिनाई होती है। जिसके कारण क्रोनिक इंटेस्टाइनल इस्किमिया के निम्न लक्षण नजर आते हैं :
- भोजन के बाद पेट में दर्द
- वजन घटना
- खानपान की आदतों में बदलाव
- कब्ज एवं डायरिया
- स्ट्रोक
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज
- हार्ट अटैक
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर इंटेस्टाइनल इस्किमिया अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। अगर पेट में अचानक दर्द हो या बेचैनी एवं घबराहट महसूस हो तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं।
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कारण
इंटेस्टाइनल इस्किमिया होने के कारण क्या है?
इंटेस्टाइनल इस्किमिया आमतौर पर एथेरोस्क्लेरोसिस यानी रक्त वाहिकाओं की दीवार पर फैटी एसिड और प्लेक के बनने के कारण वाहिकाएं संकरी या अवरुद्ध होने के कारण होता है। इसके अलावा यह बीमारी धमनियों में रक्त का थक्का जमने और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण भी होती है। साथ ही जब इंटेस्टाइन अपनी जगह से खिसक जाती है तो रक्त का प्रवाह रुक जाता है और व्यक्ति को हार्निया हो सकता है, इसके कारण भी इंटेस्टाइनल इस्किमिया हो सकता है।
इसके अलावा निम्न रक्त चाप या हाइपोटेंशन, हार्ट फेल, शॉक,कोलन में खून जमने, ट्यूमर के कारण आंत बढ़ने, हृदय रोग और माइग्रेन की दवाओं का सेवन करने, हार्मोनल मेडिकेशन, बर्थ कंट्रोल पिल्स, कोकीन और मेथेम्फेटामिन का सेवन, तेज एक्सरसाइज, लंबे दूरी तक दौड़ने के कारण भी इंटेस्टाइनल इस्किमिया की समस्या हो सकती है। सिगरेट या किसी अन्य रुप में तंबाकू का सेवन करने, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, रक्त का थक्का जमने की समस्या और डायबिटीज के कारण भी इंटेस्टाइनल इस्किमिया का जोखिम बढ़ सकता है।
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जोखिम
इंटेस्टाइनल इस्किमिया के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
इंटेस्टाइनल इस्किमिया से पीड़ित व्यक्ति को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। यदि आंत में रक्त का प्रवाह अचानक या पूरी तरह बंद हो जाते या आंत के टिश्यू डैमेज हो जाएं तो व्यक्ति के जीवन को खतरा पहुंच सकता है। इसके अलावा आंत की परत में छेद हो सकती है जिससे आंत से पेट में रिसाव हो सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं इंटेस्टाइनल इस्किमिया के कारण आंत में गंभीर संक्रमण भी हो सकता है। इंटेस्टाइनल इस्किमिया के कारण व्यक्ति को पेरिटोनिटिस हो सकता है।
इसके साथ ही व्यक्ति की आंत में अधिक मात्रा में ऊतकों के डैमेज होने से पोषक तत्वों का अवशोषण बाधित हो सकता है। एक स्थिति ऐसी भी उत्पन्न हो सकती है जब व्यक्ति को इंजेक्शन से पोषक तत्व देना पड़ सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
इंटेस्टाइनल इस्किमिया का निदान कैसे किया जाता है?
इंटेस्टाइनल इस्किमिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
- ब्लड टेस्ट – मरीज के रक्त का सैंपल लेकर सफेद रक्त कोशिकाओं का पता लगाया जाता है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइन में ब्लीडिंग की जांच की जाती है।
- इमेजिंग टेस्ट – एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई के जरिए मरीज के आंतरिक अंगों की जांच की जाती है और इंटेस्टाइनल इस्कीमिया का निदान किया जाता है।
- एंडोस्कोपी- व्यक्ति के मुंह के माध्यम से डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के अंदर एक उपकरण डालकर छोटी आंत में असामान्यता का पता लगाया जाता है।
- कोलोनोस्कोपी- रेक्टम के अंदर लाइट और कैमरे से युक्त एक लचीला उपकरण डालकर कोलन की जांच की जाती है।
- एंजियोग्राफी- यह टेस्ट करने के लिए मरीज की धमनी में एक पतला और लंबा ट्यूब डाला जाता है और संकरी धमनियों का पता लगाया जाता है।
कुछ मरीजों में इंटेस्टाइनल इस्किमिया का पता लगाने के लिए ब्लडस्ट्रीम में एसिड बढ़ाया जाता है। इसके साथ ही पेट का डॉप्लर अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इसके साथ ही इंटेस्टाइनल इस्किमिया के निदान के लिए कई बार सर्जिकल प्रक्रिया की भी जरुरत पड़ती है।
इंटेस्टाइनल इस्किमिया का इलाज कैसे होता है?
इंटेस्टाइनल इस्किमिया का इलाज संभव है। कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में इंटेस्टाइनल के असर को कम किया जाता है। इंटेस्टाइनल इस्किमिया के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
- इंफेक्शन से बचाने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। साथ ही कंजेस्टिव हार्ट फेल, इरेगुलर हार्टबीट को कम करने के लिए भी दवाएं दी जाती हैं।
- धमनियों में रक्त का थक्का बनने से रोकने के लिए एंटीकॉगुलेंट दवाएं जैसे कैमाडिन, वारफेरिन दिया जाता है।
- इंटेस्टाइनल इस्किमिया के इलाज के लिए एंजियोप्लास्टी या स्टेनिंग की जाती है। जिसमें बैलून कैथेटर से धमनियों को खोलने के लिए इसके अंदर एक छोटा स्टेंट रखा जाता है।
- बंद धमनियों को खोलने के लिए सर्जरी से रक्त के थक्के को बाहर निकाला जाता है और इंटेस्टाइन के डैमेज हिस्से को रिपेयर किया जाता है। इसके साथ ही कुछ दवाओं से थक्के को पिघलाया जाता है और रक्त वाहिकाओं को पतला किया जाता है।
इसके अलावा कुछ मरीजों में कोलोन के डैमेज होने पर सर्जरी से मृत ऊतकों को बाहर निकाला जाता है और आंत की अवरुद्ध धमनियों को खोला जाता है। कुछ मामलों में कोलोस्टॉमी और इलियोस्टॉमी की भी आवश्यकता पड़ती है। इस विधि से बंद धमनियों को चौड़ा किया जाता है और इंटेस्टाइनल इस्किमिया के प्रभाव को कम किया जाता है। इसके साथ ही इंटेस्टाइनल इस्किमिया से पीड़ित व्यक्ति को नियमित स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए। डायट में बदलाव करके भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।
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घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे इंटेस्टाइनल इस्किमिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
अगर आपको इंटेस्टाइनल इस्किमिया है तो डॉक्टर लिक्विड डाइट पर रहने के लिए बताएंगे और अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीने के लिए कहेंगे। यह समस्या होने पर डिहाइड्रेशन से बचने के लिए लगातार तरल पदार्थ का सेवन करते रहना चाहिए और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए। इंटेस्टाइनल इस्किमिया के प्रभाव को कम करने के लिए धूम्रपान और एल्कोहल से पूरी तरह परहेज करना चाहिए और नियमित एक्सरसाइज करना चाहिए।
सिर्फ इतना ही नहीं पीड़ित व्यक्ति को संतुलित आहार लेने की भी आवश्यकता होती है। जीवनशैली और आदतों में बदलाव से भी इस बीमारी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। इंटेस्टाइनल इस्किमिया के असर को कम करने के लिए निम्न फूड्स का सेवन करना चाहिए:
इंटेस्टाइनल इस्किमिया से बचने के लिए इरेगुलर हार्टबीट और हाई ब्लड प्रेशर एवं उच्च कोलेस्ट्राल की समस्या होने पर इन्हें कंट्रोल करने का प्रयास करना चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं समय पर हार्निया का इलाज कराने से इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। इसके अलावा मधुमेह को भी नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए। जीवनशैली और दिनचर्या को हेल्दी रखने से इंटेस्टाइनल इस्किमिया का असर कम होता है।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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