जब दुनिया भर में लोग कोरोना वायरस के कहर से डरे हुए हैं, ऐसे में चीन की कोरोना वायरस से पीड़ित महिला ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया है। नॉर्थ ईस्ट चाइना के हार्बिन में पीड़ित महिला ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया है। महिला ने बच्चे को 30 जनवरी को जन्म दिया था। बच्चे का वजन 3.05 किलो है और उसे डॉक्टर्स ने 10 एपगार स्कोर ( Apgar score) दिया है। इस केस के बारे में सुनकर प्रेग्नेंट महिलाओं के मन में ये बात आना वाजिब है कि क्या प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस का जोखिम रहता है। कोरोना वायरस क्या मां से बच्चे तक भी पहुंच सकता है। कोरोना वायरस क्या बच्चे की पेट में ही जान ले सकता है। ये सब वो सवाल हैं, जिन पर जल्दबाजी में किसी भी डॉक्टर के लिए कह पाना मुश्किल होगा। जहां एक ओर कोरोना वायरस के वैक्सीन को लेकर डॉक्टर्स और रिसर्चर की टीम दिन-रात जुटी हुई है, ऐसे में प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस का क्या जोखिम है, ये जानना भी जरूरी हो जाता है।
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प्रेग्नेंसी में कोराना वायरस से पीड़ित हो गई थी महिला
प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस की शिकार हुई महिला को आइसोलेशन में रखा गया था। प्रेग्नेंसी में कोरोनावायरस किसी भी तरह की समस्या न खड़ी करे, इसलिए डॉक्टर्स की टीम ने महिला को परामर्श भी दिए थें। महिला को डिलिवरी के दौरान किसी प्रकार की समस्या न हो, इसलिए डॉक्टर्स ने महिला की सी-सेक्शन के माध्यम से डिलिवरी करवाई। होने वाले बच्चे के भी तुरंत टेस्ट किए गए। डॉक्टर्स की टीम ये जानकर बहुत खुश थी कि होने वाले बच्चे के टेस्ट निगेटिव आए हैं। बच्चा कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आया था। प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस की चपेट में आ चुकी महिला की डिलिवरी के दौरान डॉक्टरों को शंका थी कि कहीं वायरस बच्चे तक न पहुंच जाए।
प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस का जोखिम
डॉक्टर्स का मानना है कि प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस हो गया है तो वाकई ये गंभीर समस्या हो सकती है। न्यूजीलैंड जर्नल ऑफ मेडिकल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस होने वाले बच्चे के लिए भी जोखिम बढ़ा सकती है। बच्चे में भी कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना रहती है। हो सकता है कि वायरस मां से बच्चे में न पहुंच पाया। लेकिन बच्चे में भविष्य में संक्रमण के लक्षण दिख सकते हैं। कुछ लक्षण जैसे कि फीवर, कफ और सांस लेने में समस्या आदि लक्षण दिख सकते हैं। जर्नल में छपी रिपोर्ट में मुताबिक 425 लोग जो कि कोरोना वायरस से पीड़ित थे, उनका एनालाइजेशन किया गया। सभी की मिडियन एज 59 थी और जिन लोगों की मृत्यु हुई उसमे 36 साल तक के लोग शामिल थे। यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना वायरस से मरने वालों की उम्र 15 से कम नहीं है। ये केवल स्टडी के माध्यम से दी गई जानकारी है। इसके साथ ही बीजिंग में नौ महीन के बच्चे में कोरोना वायरस ( 2019-nCoV)डायग्नोज किया गया है।
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कोरोना वायरस बच्चे को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस जोखिम बढ़ाने का काम कर सकता है। लेकिन बॉयोलॉजी के अकॉर्डिंग वयस्कों की अपेक्षा बच्चों में कोरोना वायरस का संक्रमण अपेक्षाकृत तेजी से नहीं फैल पाता है। बच्चों की सेल्स वायरस के रहने के लिए छोटी होती है और उन्हें रेप्लीकेट होने में भी समस्या होती है। वहीं कुछ फ्लू के लिए पांच साल से छोटे बच्चे अधिक आसानी से प्रभावित हो जाते हैं। अभी कोरोना वायरस का वैक्सीन नहीं तैयार हुआ है। प्रेग्नेंट महिला के साथ ही बच्चों को सुरक्षा के लिए वैक्सीन लेना जरूरी है। ऐसा करने से संक्रमण के प्रति सुरक्षा होगी। एक्सपर्ट के मुताबिक मां से फीटस में वायरस पहुंचने की संभावना कम ही है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं की क्षमता वायरस या फ्लू से लड़ पाने के लिए सक्षम नहीं होती है या कह ले कि कम सक्षम होती है। ऐसे में मां को जोखिम बढ़ जाता है।
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गर्भावस्था में कोरोना वायरस क्या कर सकता है असर ?
प्रेग्नेंसी में कोराना वायरस का अधिक प्रभाव दिख सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के इम्युन सिस्टम डिप्रेस्ड होते हैं। इस कारण से महिला में कुछ लक्षण जैसे कि इंफ्लुएंजा, चिकनपॉक्स आदि आसानी से दिख सकते हैं। क्लीवलैंड क्लिनिक में एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. स्टीवन गॉर्डन प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस के जोखिम के बारे में कहते हैं कि ऐसी महिलाओं में निमोनिया के लक्षण अधिक दिखने की संभावना रहती है।
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अब तक हो चुकी हैं 425 मौंते
हांगकांग में मंगलवार को कोरोना वायरस की वजह से एक व्यक्ति की मौत की खबर आई है। अब तक कोरोना वायरस से 425 लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही 20,000 से ज्यादा लोगों कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। सिंगापुर ने भी लोकल कोरोना वायरस ट्रांसमिशन की बात कही है। थाइलैंड में कोरोना वायरस के छह कंफर्म केस आ चुके हैं। भारत में भी कोरोना वायरस से तीन लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि केरल में 1600 से ज्यादा लोगों को निगरानी में रखा गया है।
नोवल कोरोना वायरस से बचाव सावधानी रखने के बाद ही किया जा सकता है। इसके नए टाइप पर साइंटिस्ट शोध में लग गए हैं। अगर आपको संक्रमण के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर किसी भी व्यक्ति को ये संक्रमण हो चुका है तो पूरी संभावना है कि आसपास के व्यक्ति भी इस संक्रमण से प्रभावित हो जाए। बेहतर होगा कि इंफेक्शन का पता चलते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और लोगों से दूरी बना लें।
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प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस के लक्षण ठीक वैसे ही नजर आ सकते हैं जैसे कि एक नॉर्मल व्यक्ति में दिख सकते हैं। अगर आपको भी प्रेग्नेंसी के दौरान फ्लू के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो बेहतर होगा कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और चेकअप कराएं। आपको क्या सतर्कता रखनी चाहिए, इस बारे में डॉक्टर से जरूर पूछें। प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस से बचने के लिए उन्हीं नियमों का पालन करें जो देश भर में लागू किए जा रहे हैं। साफ-सफाई के साथ ही ऐसे व्यक्ति के संपर्क में बिल्कुल न आएं, जिन्हें सर्दी-जुकाम की समस्या है। आपको बताते चले कि कोरोना वायरस के कारण दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। कोरोना वायरस से सावधानी ही इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।
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