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रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) प्रेग्नेंसी को किस तरह करता है प्रभावित ?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/11/2023

    रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) प्रेग्नेंसी को किस तरह करता है प्रभावित ?

    यूट्रस पियर के शेप का अंदर से खोखला अंग होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान यूट्रस में भ्रूण का विकास होता है। हेल्दी बच्चे के लिए गर्भाशय या यूट्रस का स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है। कभी-कभी शरीर में किसी समस्या की वजह से यूट्रस में भी तकलीफ हो सकती है। इस स्थिति को रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) कहते हैं। जब हैलो स्वास्थय ने फोर्टिस हॉस्पिटल कोलकाता की कंसल्टेंट गायनोलॉजिस्‍ट डॉ. अर्चना सिन्हा से इस बारे में बात की उन्होंने कहा किरेट्रोवर्टेड यूट्रस की स्थिति में गर्भाशय नीचे की ओर झुक जाता है। अगर किसी भी महिला को इस तरह की समस्या है तो उसे प्रेग्नेंसी के दौरान घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसी महिलाएं भी नॉर्मल डिलिवरी के जरिए बच्चे को जन्म दे सकती हैं। साथ ही प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस के कारण किसी भी प्रकार कि समस्या होने पर डॉक्टर उसे अपनी तरह से डील करता है।’ इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस की वजह क्या किसी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

    प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) से क्या मतलब है?

    आमतौर पर महिला का यूट्रस पेल्विस में सीधी, वर्टिकल पुजिशन में स्थित होता है। कुछ महिलाओं में यूट्रस झुका हुआ सा या कुछ उलझा हुआ होता सकता है। जब यूट्रस पेल्विस के अंदर पीछे की ओर कुछ झुका हुआ होता है तो ऐसी स्थिति को रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) कहते हैं। झुका हुआ गर्भाशय होने के कई कारण हो सकते हैं।

    रेट्रोवर्टेड यूट्रस करीब 20 परसेंट वुमन में पाए जाने की संभावना हो सकती है। आपको बताते चले कि रेट्रोवर्टेड यूट्रस का कारण जेनिटकली यानी अनुवांशिक भी हो सकता है। अगर किसी महिला के परिवार में रेट्रोवर्टेड यूट्रस की समस्या है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है उस महिला में भी ये समस्या हो। कुछ महिलाओं में डिलिवरी के बाद गर्भाशय वापस अपनी अवस्था में आ जाता है वहीं कुछ महिलाओं में यूट्रस वापस सही पुजिशन में नहीं आ पाता है।

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    प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) होने पर क्या दिक्कत हो सकती है ?

    ये कह पाना मुश्किल है कि जिस भी महिला को रेट्रोवर्टेड यूट्रस है, उसे समस्या का सामना करना ही पड़े। कुछ महिलाओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है। वहीं, कुछ महिलाओं को इस प्रकार के गर्भाशय के कारण दर्द की समस्या हो सकती है। इस दौरान कुछ लक्षण दिख सकते हैं जैसे-

    1. डिस्परिउनिआ ( Dyspareunia ) – इस स्थिति के पाए जाने पर महिलाओं को इंटरकोर्स के दौरान दर्द की समस्या महसूस हो सकती है।

    2.  डिस्मेनोरिआ ( Dysmenorrhea)  – इस स्थिति में यूट्रस के झुका होने के कारण पीरियड्स के समय  (प्रेग्नेंसी के पहले और बाद में) गंभीर दर्द की समस्या हो सकती है।

    रेक्टम में प्रेशर पड़ने के कारण दोनों ही स्थिति में दर्द की समस्या होती है। यूट्रस की ऐसी स्थिति होने पर कुछ लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं जैसे-

    • मूत्र पथ में संक्रमण।
    • टैम्पोन का उपयोग करने में दर्द और कठिनाई का सामना करना।
    • इंटरकोर्स के दौरान पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना।
    • बॉवेल मूमेंट और यूरिनेशन के दौरान समस्या का सामना करना।
    • इनफर्टिलिटी की समस्या

    यदि इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक बना रहता है, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और रेट्रोवर्टेड यूट्रस का इलाज करवाना चाहिए।

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     प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) या झुका हुआ गर्भाशय से क्या समस्या हो सकती है?

    • रेट्रोवर्टेड यूट्रस होने के कारण प्रजनन क्षमता प्रभावित नहीं होती है।
    • अल्ट्रासाउंड के दौरान हो सकता है कि बच्चे को देखने में समस्या हो या फिर बेबी को देखने के लिए वजायना में छड़ी नुमा चीज को डालना पड़ सकता है।
    • प्रेग्नेंसी के महीने बढ़ने के साथ ही हो सकता है कि आपको दर्द की समस्या भी हो।
    • जिन महिलाओं में यूट्रस की ऐसी स्थिति पाई जाती है उनमें विभिन्न लक्षण पाए जाते हैं।
    • सेकेंड ट्राइमेस्टर के दौरान यूट्रस आगे की ओर टिल्ट हो जाता है। बच्चे के बढ़ने के साथ ही पेट का आकार भी बढ़ने लगता है।

    प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस से समस्या

    प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस के कारण कई बार महिलाओं को इंफेक्शन की समस्या हो सकती है। साथ ही विकसित हो रहे भ्रूण को भी समस्या हो सकती है। आमतौर पर लगभग 14 से 16 सप्ताह के दौरान अगर संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं तो निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

    • पेशाब करने में कठिनाई या असमर्थता
    • मूत्र असंयम
    • पेट में दर्द की समस्या
    • कब्ज
    • मलाशय में तकलीफ महसूस होना

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     प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) या झुके हुए यूट्रस के क्या कारण है?

    महिला में झुके हुए गर्भाशय के कई कारण हो सकते हैं।

    1. पेल्विक मसल्स की कमजोरी

    मोनोपॉज या डिलिवरी के बाद  यूट्रस को सपोर्ट करने वाले लिगामेंट कमजोर हो सकते हैं। इस कारण से गर्भाशय झुकी हुई स्थिति में आ जाता है। डॉक्टर से इस बारे में आप जानकारी ले सकती हैं।

    2. ट्यूमर के कारण बढ़ा हुआ गर्भाशय

    कई बार फाइब्राइड्स या ट्यूमर हो जाने के कारण भी यूट्रस झुकी हुई अवस्था में आ जाता है। ट्यूमर कैंसरस है या फिर नहीं, इस बारे में जांच के बाद ही जानकारी मिलती है।

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    3. पेल्विक में स्कारिंग

    कुछ कंडिशन के कारण भी यूट्रस में झुकाव आ जाता है जैसे एंडोमेट्रियोसिस, इंफेक्शन या फिर पहले कभी हुई सर्जरी के कारण। ये स्कार टिशू यूट्रस को पीछे की ओर खींच लेते हैं और इसे झुका देते हैं।

    4. जेनेटिक रीजन

    कई बार महिलाएं झुके हुए गर्भाशय के साथ ही पैदा होती हैं। जेनेटिक रीजन के कारण महिलाओं में रेट्रोवर्टेड यूट्रस पाया जाता है।

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    रेट्रोवर्टेड यूट्रस (Retrovarted uterus) क्या परेशानी का कारण है?

    अगर आपको जांच के दौरान ये पता चला है कि आपका गर्भाशय भी झुका हुआ है और आपको प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस है तो घबराएं बिल्कुल नहीं। ज्यादारतर मामलों में रेट्रोवर्टेड यूट्रस के कारण प्रेग्नेंसी में कोई समस्या नहीं आती है। रेट्रोवर्टेड यूट्रस फर्टिलिटी को भी प्रभावित नहीं करता है। अगर इनफर्टिलिटी की समस्या उत्पन्न हो रही है तो साथ में कोई और कारण भी शामिल होगा। डॉक्टर जांच करने के बाद समस्या का समाधान निकाल लेते हैं। लेबर या फिर डिलिवरी के समय भी रेट्रोवर्टेड यूट्रस से किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है।

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    प्रेग्नेंसी में रेट्रोवर्टेड यूट्रस और बाइकॉर्नुएट यूट्रस में अंतर

    स्ट्रक्चर और शेप में विभिन्नता के चलते यूट्रस की आकृति बदल जाती है। बाइकॉर्नुएट यूट्रस उन्हीं अनियमितताओं में से एक है। बाइकार्नेट यूट्रस की जानकारी महिलाओं को पहले से नहीं होती है। जब उनकी जांच की जाती है तो अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में ये बात सामने आती है। यूट्रस पेल्विस के अंदर पीछे की ओर कुछ झुका हुआ होता है तो ऐसी स्थिति को रेट्रोवर्टेड यूट्रस कहते हैं। बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी है तो डॉक्टर इसे हाई रिस्क मान कर चलते हैं। इस दौरान डॉक्टर आपकी अधिक बार जांच कर सकता है और साथ ही शिशु के प्रति बढ़ती समस्याओं की भी देखरेख की जाएगी। अगर किसी भी प्रकार का जोखिम है तो डॉक्टर उसे कम करने का प्रयास करेगा।

    रेट्रोवर्टेड यूट्रस होने पर की जा सकती है ये एक्सरसाइज

    अगर महिला के रेट्रोवर्टेड यूट्रस के बारे में डॉक्टर को जानकारी मिलती है तो यूट्रस को मैनुअली मैनुपुलेट करने की कोशिश की जाती है और साथ ही अपराइट पुजिशन में लाने की कोशिश की जा सकती है। वहीं डॉक्टर महिला को कुछ एक्सरसाइज करने की सलाह भी दे सकते हैं। कुछ एक्सरसाइज की हेल्प से यूट्रस की लिगामेंट को स्ट्रेंथ मिलती है और साथ ही यूट्रस को अपराइट पुजिशन में लाने में सहायता भी मिलती है। ऐसी महिलाओं को डॉक्टर कीगल एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैं। जानिए और कौन-सी एक्सरसाइज महिलाओं के लिए करना सही रहता है।

    नी टू चेस्ट स्ट्रेच (Knee-to-chest stretches)

    नी टू चेस्ट स्ट्रेच

    नी टू चेस्ट स्ट्रेच एक्सरसाइज में फर्श पर लेटकर घुटने को मोड़ लें। अब धीरे-धीरे घुटने को अपनी छाती तक ऊपर उठाएं। आप 20 सेकेंड के लिए इसी स्थिति में रहें। आप एक्सरसाइज के दौरान अगर कोई समस्या महसूस कर रहे हैं तो धीमे-धीमे एक्सरसाइज का प्रयास करें। आप ठीक ऐसा दूसरे पैर के सहायता से भी करें। आप पांच से दस बार इस एक्सरसाइज को कर सकती हैं। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं कि गर्भाशय के झुके होने पर क्या सावधानी रखनी चाहिए और कौन-सी एक्सरसाइज करना बेहतर रहेगा।

    पेल्विक कॉन्सट्रेक्शन ( Pelvic contractions)

    पेल्विर फ्लोर एक्सरसाइज

    पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज पेल्विक फ्लोर मसल्स को स्ट्रेंथ देने का काम करती है। इस एक्सरसाइज में सबसे पहले पीठ के बल जमीन में लेट जाएं। अब हाथों को जमीन में रखें और कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं। सांस छोड़ते हुए आप अपने बैक यानी कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं और फिर कुछ सेकेंड बाद नीचे कर लें। ये क्रिया आप पांस से दस बार दोहरा सकते हैं।

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    रेट्रोवर्टेड यूट्रस के लिए पेसरी डिवाइस का यूज

    रेट्रोवर्टेड यूट्रस को अपराइट पुजिशन में लाने के लिए पेसरी डिवाइस का उपयोग भी डॉक्टर कर सकता है। पेसरी डिवाइस (Pessary device) के उपयोग की सलाह दी जा सकती है। पेसरी डिवाइस (Pessary device) का उपयोग डॉक्टर टेम्परेरी या फिर परमानेंट बेसिस पर उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं। इस डिवाइस को वजाइना की हेल्प से अंदर इनसर्ट किया जाता है ताकि यूट्रस को अपराइट पुजिशन में लाया जा सके। पेसरी डिवाइस का उपयोग प्रेग्नेंसी के दौरान करना है या फिर नहीं, आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर प्राप्त करें।

    प्रेसरी का उपयोग करने से निम्नलिखित समस्या हो सकती है,

    • डिस्चार्ज के समय महक आना (foul-smelling discharge)
    • यूरीनरी ट्रेक इंफेक्शन ( urinary tract infections)
    • ब्लीडिंग की समस्या
    • एक्सरसाइज के दौरान या फिर खांसी और छींक के दौरान यूरिन का छूट जाना
    • सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान परेशानी महसूस होना ।

    अगर आपको डिवाइस का उपयोग करने के दौरान उपरोक्त दी गई समस्याएं महसूस होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

    ध्यान दें

    प्रेग्नेंसी के दौरान अगर आपको उपरोक्त दिए गए लक्षणों में किसी भी प्रकार की समानता लगती है तो एक बार अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। डॉक्टर समस्या का उचित समाधान निकालने में आपकी मदद करेंगे। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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