सी-सेक्शन के बाद मां की भावनाएं क्या और कैसी होती हैं, वे इस दौरान कैसा अनुभव करतीं हैं? इसको समझना हर किसी के लिए पॉसिबल नहीं है क्योंकि ये बात मां को ही पता होती है कि उसने डिलिवरी के वक्त क्या महसूस किया? प्रेग्नेंसी के नौ महीने इंतजार के बाद एक दिन आता है जब अहसनीय दर्द सहने के बाद एक नई जिंदगी आपके सामने होती है। नए जीवन को इस दुनिया में लाने के लिए मां को संघर्ष करना पड़ता है।
डिलिवरी के समय का संघर्ष हर मां के लिए अलग हो सकता है। सी-सेक्शन के दौरान और बाद में मां को फिजिकल केयर के साथ ही इमोशनल केयर (emotional care) की भी जरूरत पड़ती है। एक मां को इन सब के बीच हिम्मत की जरूरत होती है। ऐसे में बच्चे के होने वाले पिता को मां की भावनाएं समझनी चाहिए और लेबर पेन से लेकर डिलिवरी तक हर पल अपने पार्टनर का साथ देना चाहिए।
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सी-सेक्शन के बाद फिजिकल केयर
मां की भावनाएं डिलिवरी के बाद काफी ऊपर-नीचे होती हैं। इस दौरान महिला को ये कुछ बातें समझनी चाहिए-
- सी-सेक्शन सर्जरी के 24 घंटे बाद नर्स आपको उठने के लिए कहेगी। सर्जरी के बाद उठने में दिक्कत होती है। सर्जरी के एक दिन बाद तक महिला उठने की हालत में नहीं रहती। 24 घंटे बाद नर्स आपको वॉशरूम जाने के लिए कहेगी ताकि आप उठने की कोशिश करें।
- बेड से उठने के बाद आपको कमजोरी और चक्कर महसूस हो सकते हैं।
- वॉशरूम में यूरिनेशन के समय दर्द हो सकता है। आपको अपनी नर्स से सही और आरामदायक तरीके के बारे में पूछना चाहिए।
- हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होते समय टांकों को हटा दिया जाता है। अगर टांको में अधिक तकलीफ हो रही हो तो डॉक्टर से तुरंत इसका उपाय पूछें।
- डिलिवरी के बाद आपको हैवी ब्राइट रेड कलर की ब्लीडिंग होगी। ब्लीडिंग छह सप्ताह तक हो सकती है। आपको इस दौरान मेंस्ट्रुअल पैड का यूज करना चाहिए क्योंकि ऐसे समय में पीरियड्स हैवी होते हैं।
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सी-सेक्शन के बाद इमोशनल केयर
ऑपरेशन के जरिए हुए प्रसव के बाद महिला भावनात्मक रूप से थोड़ा कमजोर हो जाती है। ऐसे में घरवालों को मां की भावनाएं जैसी भी हो उनको समझना चाहिए। साथ ही न्यू मॉम के लिए कुछ टिप्स बताए जा रहे हैं। जैसे-
- तनाव को कम करने के लिए ऐसी एक्टिविटी करनी चाहिए जो आपकी पसंदीदा हो।
- डिलिवरी के दौरान की अपनी निगेटिव फीलिंग को आप पार्टनर के साथ शेयर करें। ये आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने का काम करेगा।
- सी-सेक्शन के बाद एक्सट्रा फिजिकल केयर की जरूरत पड़ती है। अगर आपको कोई दिक्कत हो रही है तो तुरंत अपने पार्टनर या फिर क्लोज फ्रेंड से कहें।
- अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से बेहिचक सवाल पूछें ताकि आपके मन में कोई भी सवाल न रह जाएं।
- सिजेरियन डिलिवरी के बाद मां की भावनाएं सबसे ज्यादा इस बात से आहत होती हैं कि उनका नवजात शिशु से संपर्क नहीं हो पाता है। बच्चे के साथ बॉन्ड बनाने के लिए एक्सट्रा टाइम निकालें।
- अगर आपको बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने में दिक्कत हो रही है तो अपने लेक्टेशन कंसल्टेंट से बात करें।
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न्यू मॉम की फीलिंग: सिजेरियन के बाद मां की देखभाल
सिजेरियन प्रसव के बाद नई मां ज्यादा से ज्यादा आराम करें। सर्जरी के बाद बॉडी को रिकवर होने में समय लगता है। महिला को ठीक होने में कम से कम छह सप्ताह तक का समय लग सकता है। न्यू मॉम की पूरी केयर हो सके। इसके लिए उसे पर्याप्त नींद लेने की आवश्यकता होती है जिससे शरीर को काफी आराम मिलता है। इससे मां की भावनाएं भी थोड़ा स्टेबल होती हैं। सी-सेक्शन के बाद सामान्य दिनचर्या को अपनाने में समय लग सकता है। इसलिए, व्यायाम, ड्राइविंग या ऑफिस जाने से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श लें।
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मां की भावनाएं: मांओं ने बताएं अनुभव
न्यू मॉम की फीलिंग: रिकवरी रूम में नहीं आ रही थी नींद
मुंबई की हेमा धौलाखंडी सी-सेक्शन के बाद की भावनाएं शेयर करते हुए कहती हैं कि जब मुझे ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया तो मैं थोड़ा सा डरी हुई थी। ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ने मेरी बच्ची को बाहर निकाला तो मुझे दर्द का एहसास तो नहीं हुआ था, लेकिन मुझे सभी चीजें समझ आ रही थी, जैसे बच्चे के रोने की आवाज और रिकवरी रूम ले जाने के दौरान का वाकया।
मुझे रिकवरी रूम में चार घंटे रखा गया ताकि मुझे नींद आ जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे बेचैनी हो रही थी। मुझे अपने बच्ची और फैमली को देखना था। जब दवा का असर खत्म हुआ तो मुझे पेट में संकुचन महसूस होने लगा। ये बहुत ही दर्दनाक था मेरे लिए। मुझे तीव्र दर्द हो रहा था और रोना भी आ रहा था। मैंने बच्ची को देखने के बाद उसे लेट कर ही दूध पिलाया। फिर घर जाने के बाद कुछ हफ्तों तक पार्टनर और फैमली ने मुझे पूरा समय दिया। उन्होंने एक नई मां की भावनाएं समझी। उनके साथ ने डिलिवरी के दौरान हुए दर्द को भुलाने में मेरी मदद की।
न्यू मॉम की फीलिंग: नॉर्मल के बाद सी-सेक्शन था डरावना
दिल्ली की अंजु त्रिपाठी सी-सेक्शन के दौरान मां की भावनाएं कैसी होती हैं? इस बारे में बताया। बातें शेयर करते हुए कहती हैं कि ये मेरे लिए डरावना था क्योंकि मेरी पहली डिलिवरी नॉर्मल थी। जब मैं हॉस्पिटल आई थी तो मन में यही बात थी कि नॉर्मल डिलिवरी होगी। मैं सी-सेक्शन के लिए अंदर से बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। जब डॉक्टर ने बच्चे की पुजिशन को लेकर नॉर्मल डिलिवरी को लेकर समस्या बताई तो मुझे डर लगा कि कहीं ऑपरेशन न हो।
मेरा डर सही निकला। ऑपरेशन से पहले उन्होंने एक इंजेक्शन दिया था। उसके बाद मुझे थोड़ा बहुत दर्द महसूस हुआ। फिर कुछ समय बाद जब बच्चा मेरे सामने था तो मुझे संतुष्टि मिली। घर आने के कुछ समय बाद तक मुझे दर्द रहा, लेकिन एक महीने के बाद सब नॉर्मल हो गया। कई बार बिना मन के काम होने पर मन में डर घर कर जाता है। मेरे साथ ऐसा ही हुआ था, लेकिन थोड़ी सी हिम्मत ने सब ठीक कर दिया।
इन वाकयों को पढ़कर लगता है कि डिलिवरी के समय का सभी का एक अलग अनुभव होता है। हर मां की भावनाएं भी अलग-अलग होती हैं। फैमिली और पार्टनर को मां की भावनाएं समझते हुए इस पूरी प्रक्रिया में सपोर्ट करना चाहिए। इससे मां की भावनाएं धीरे-धीरे मजबूत होती हैं। थोड़ी हिम्मत और फैमिली के सपोर्ट से सी-सेक्शन के दर्द से भी निकला जा सकता है। है ना?
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