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किन परिस्थितियों में तुरंत की जाती है सिजेरियन डिलिवरी?

किन परिस्थितियों में तुरंत की जाती है सिजेरियन डिलिवरी?

सिजेरियन डिलिवरी की जरूरत क्यों पड़ती है? (Reasons for Cesarean delivery)

सिजेरियन डिलिवरी जिसे सी-सेक्शन (Cesarean Section) भी कहते हैं। दुनिया भर के कई देशों में सिजेरियन डिलिवरी (C-Section) सबसे आम सर्जरी मानी जाती है, जो गर्भावस्था या जन्म के दौरान होने वाली परेशानियों को कम कर मां और शिशु के जीवन को बचा सकती है। बदलते वक्त में आजकल बेबी डिलिवरी भी प्लानिंग (Delivery planning) के साथ होने लगी है, लेकिन कई बार सिजेरियन डिलिवरी की अचानक से जरूरत पड़ सकती है। ऑस्ट्रेलियन गवर्मेंट के अनुसार हर 5 सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean Section) में 2 शिशु का जन्म इमरजेंसी की स्थिति में की जाती है।

इमरजेंसी सिजेरियन डिलिवरी की जरूरत क्यों पड़ती है? (Reasons for Emergency Cesarean delivery)

अनप्लांड सिजेरियन डिलिवरी की जरूरत निम्नलिखित स्थितियों में होती है। जैसे-

  • गर्भ में एक से ज्यादा शिशु का होना और डिलिवरी के दौरान परेशानी होना।
  • अत्यधिक वजायनल ब्लीडिंग (Vaginal bleeding) होना या प्री-क्लेम्पसिया (Preeclampsia)
  • गर्भ में शिशु की सेहत को नुकसान पहुंचना।
  • सामान्य से ज्यादा शिशु का बड़ा होना।

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सिजेरियन डिलिवरी (C-Section) कितनी तेजी से की जा सकती है?

सी-सेक्शन की आवश्यकता नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) के दौरान हो सकती है। अगर मां या शिशु दोनों में से किसी को भी जान का खतरा होने पर डॉक्टर एमरजेंसी की स्थिति में सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean delivery) कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में परिवार के सदस्यों को संयम बरतने की जरूरत होती है, क्योंकि इस दौरान डॉक्टर्स की टीम भी गर्भवती महिला और जन्म लेने वाले शिशु पर लगातार नजर बनाए रखते हैं।

इमरजेंसी सिजेरियन डिलिवरी (Emergency Cesarean delivery) की अलग-अलग कैटेगरी होती हैं।

कैटेगरी 1- मां या बच्चे की जान को खतरा होना।

कैटेगरी 2- गर्भवती महिला या शिशु को अचानक किसी तरह की जानलेवा परेशानी होना।

कैटेगरी 3- बच्चे को जल्द से जल्द गर्भ से बाहर निकालने की स्थिति में। इस दौरान मां के लिए कोई खतरा नहीं होता है।

कैटेगरी 4- सिजेरियन डिलिवरी तभी की जाएगी जब जरूरत होगी।

ज्यादातर मामलों में कैटेगरी 2 की स्थिति में सी-सेक्शन की जरूरत पड़ती है और डॉक्टर ऑपरेशन डिसाइड करने के आधे घंटे बाद डिलिवरी करवाते हैं। वही अगर कैटेगरी 1 की स्थिति जैसे मां या बच्चे दोनों में से किसी एक के जान को खतरा होने पर आधे घंटे के अंदर-अंदर सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean delivery) से शिशु का जन्म करवाते हैं।

सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean delivery) के बाद मां की भावनाओं पर क्या असर होता है?

मां की ममता … इस शब्द से तो हम सभी वाकिफ हैं। एक मां जब अपने बच्चे को स्वस्थ देख लेती है, तो चैन की सांस लेती है। सिजेरियन डिलिवरी भी ठीक वैसा ही है। दिल्ली में रहने वाली 37 वर्षीय कल्पना सिंह 6 साल के एक बच्चे की मां है। कल्पना के बेटे का जन्म सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean delivery) से हुआ था। कल्पना हैलो स्वास्थय से बात करते हुए अपने अचानक से हुई सिजेरियन डिलिवरी के एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए कहती हैं कि, ‘ कुछ कॉम्प्लिकेशन के कारण डॉक्टर से सिजेरियन डिलिवरी करवा दी। इस दौरान परिवार के सदस्य भी डरे हए थे, लेकिन सबकुछ अच्छा हुआ। जब मैंने शिशु को हेल्दी देखा तो मेरी और पति की सारी चिंताएं दूर हो गईं।’ वैसे कल्पना थोड़े ठहरते हुए भाव में ये जरूर बताती हैं  कि, सी-सेक्शन के बाद कुछ दिनों तक शिशु को ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) करवाने में थोड़ी सी परेशानी हुई। उठने-बैठने और तेजी से चलने की मनाही थी, लेकिन डॉक्टर ने उन्हें जो सलाह दी उसे उन्होंने फॉलो किया और वो जल्द ही ठीक भी हो गईं।

35 साल की प्रतिभा कुलपति दिल्ली में रहती हैं और वे 2 साल की एक बच्ची की मां हैं। प्रतिभा से जब हमने सिजेरियन डिलिवरी के बारे में जानना चाहा तो वो कहती है कि, ‘उनकी बेटी को गर्भ में ही जॉन्डिस (Jaundice) हुआ था। जिस वजह से डॉक्टर ने सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean delivery) करवाई। हालांकि वो नहीं चाहती थीं कि सिजेरियन हो, लेकिन सेहत के लिहाज से सी-सेक्शन जरूरी था इसलिए डॉक्टर ने किया।’

अनप्लांड सिजेरियन डिलिवरी होने पर हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के पहले या नेक्स्ट अपॉइंटमेंट बुक कर कपल को डॉक्टर से मिलकर बात करना चाहिए कि सिजेरियन डिलिवरी के पीछे क्या कारण था? क्या इससे अगली प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Pregnancy planning) पर कोई नकारात्मक असर पड़ेगा या उन्हें सेकेंड बेबी कब प्लान करना चाहिए या कपल के मन कोई और सवाल हो तो उस बारे में जरूर पूछना चाहिए।

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सिजेरियन डिलिवरी के बाद टांकों का ख्याल कैसे रखना चाहिए?

सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean Section)

सिजेरियन डिलिवरी के बाद टांकों की वजह से महिलाओं को चलने, उठने-बैठने में काफी तकलीफ होती है। हंसने, खांसने और छींकने के दौरान टांकों पर ज्यादा दवाब पड़ता है। सिजेरियन डिलिवरी के बाद टांके कई बार परेशानी का कारण भी बन सकते हैं। इसलिए इनकी उचित देखभाल न करने पर इंफेक्शन की संभावना भी बढ़ जाती है। यदि टांकों की देखभाल सही तरीके से की जाए तो महिला ठीक हो सकती हैं। इसलिए इस दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे –

  1. टांकों की सफाई करते वक्त ध्यान रखें।
  2. सिजेरियन डिलिवरी के बाद डॉक्टर कुछ टेप लगा देते हैं इसे न निकालें।
  3. ढ़ीले, आरामदायक और कॉटन (सूती) के कपड़े पहनें।
  4. नियमित रूप से कपड़े जरूर बदलें।
  5. स्तनपान के दौरान सतर्क रहें

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सी-सेक्शन प्लांड (Planned C-Section) हो या अनप्लांड ऐसे में आहार का ख्याल रखें

सिजेरियन या सी सेक्शन (C-section) के बाद निम्नलिखित आहार का सेवन करें। जैसे-

कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर डायट लें

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार स्तनपान करवाते वक्त महिला की बॉडी से कैल्शियम (Calcium) और विटामिन-डी (Vitamin-D) की काफी मात्रा दूध के माध्यम से शिशु की बॉडी में चली जाती है। इस स्थिति में उनकी बॉडी में कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी हो जाती है। इसकी पूर्ति के लिए महिलाओं को कैल्शियम और विटामिन से भरपूर डायट लेनी चाहिए। इसके लिए दूध, हरी सब्जियां जैसे- मेथी (Fenugreek), पालक (Spinach) आदि का सेवन कर सकती हैं।

यदि महिला नॉनवेजेटेरियन है तो वह अंडा भी खा सकती है। अंडे में कैल्शियम और विटामिन डी (Vitamin D) की मात्रा भरपूर होती है। इसके अलावा चीज, ब्रेड, ओट्स (Oats) और कॉर्न फ्लेक्स में भी विटामिन-डी मौजूद होता है।

डायट में प्रोटीन शामिल करें

प्रोटीन से नई कोशिकाओं के विकास और रिकवरी में मदद मिलती है। सिजेरियन डिलिवरी के मामले में प्रोटीन एक अहम भूमिका निभाता है। यह कोशिकाओं को रिपेयर कर मसल्स की ताकत को बरकरार रखता है। मछली (Fish), अंडे (Egg), चिकन (Chicken), डेयरी फूड्स (Diary products), मीट (Meat), मटर (Pies) और नट्स (Nuts) में प्रोटीन (Protein) की भरपूर मात्रा होती है। प्रोटीन के इन सोर्स को आसानी से पचाया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं को डायट में प्रोटीन जरूर शामिल करना चाहिए।

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विटामिन सी

विटामिन-सी (Vitamin-C) मसल्स को स्ट्रॉन्ग बनाने का काम करता है। सिजेरियन के बाद आपको विटामिन-सी संतुलित मात्रा में लेना है। यह आपको करौंदे, संतरे, तरबूज, पपीता, स्ट्रोबैरी, ग्रेपफ्रूट्स, शकरकंदी, टमाटर और ब्रोकली (Broccoli) में आसानी से मिल जाएगा।

डॉक्टर के अनुसार यदि महिला को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है, तो इस स्थिति में उसे घर का नॉर्मल खाना खाना चाहिए। ध्यान रखें कि खाना ज्यादा तीखा और चटपटा न हो।

अगर आप सिजेरियन डिलिवरी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहती हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Accessed on 09/12/2019

Delivery by Cesarean Section – https://www.healthychildren.org/English/ages-stages/prenatal/delivery-beyond/pages/Delivery-by-Cesarean-Section.aspx

C-sections – everything you need to know – https://www.tommys.org/pregnancy-information/labour-birth/c-sections-everything-you-need-know

Emergency caesarean – https://www.pregnancybirthbaby.org.au/emergency-caesarean

Cesarean Section – https://medlineplus.gov/cesareansection.html

The Global Numbers and Costs of Additionally Needed and Unnecessary Caesarean Sections Performed per Year: Overuse as a Barrier to Universal Coverage – https://www.who.int/healthsystems/topics/financing/healthreport/30C-sectioncosts.pdf

Current Version

17/03/2021

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Nidhi Sinha


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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/03/2021

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