फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी क्या है?
प्रेग्नेंसी के नौवें महीने के आखिरी में लेबर पेन शुरू होता है और आप हॉस्पिटल पहुंच जाती हैं। आप काफी समय (दो या तीन घंटे) से बच्चे को पुश करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर एक इंस्ट्रूमेंट की सहायता से बच्चे को निकालने की कोशिश करेगा। इस इंस्ट्रूमेंट को फॉरसेप्स कहते हैं। बच्चा पैदा होने में समस्या होने पर फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी का सहारा लिया जाता है। इसका ज्यादा उपयोग नहीं किया जाता है। नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिक्स के अनुसार 2013 में केवल 3 प्रतिशत फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी की गई जबकि 32 परसेंट बर्थ सी-सेक्शन के माध्यम से हुए। इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि इस डिलिवरी की जरूरत कितनी कम पड़ती है।
कैसा होता है फॉरसेप्स?
फॉरसेप्स इंस्ट्रूमेंट होता है जिसे डिलिवरी के समय फीटस को बाहर निकालने के लिए यूज किया जाता है। अभी तक कई प्रकार के फॉरसेप्स को डिजाइन किया जा चुका है। ज्यादातर फॉरसेप्स टू मिरर इमेज मेटल इंस्ट्रूमेंट होते हैं। इसका यूज फीटल के हेड को पकड़ने के लिए किया जाता है। डिलिवरी के समय ये इंस्ट्रूमेंट बच्चे को बाहर निकालने में मदद करता है।
वहीं वैक्यूम सक्शन कप (suction cup) की तरह दिखाई देता है। सक्शन कप यानी वैक्यूम को बेबी के हेड में लगाया जाता है। वैक्यूम को बेबी के हेड में लगाने के बाद खिंचाव लगाया जाता है। फॉरसेप्स की तरह वैक्यूम से भी बेबी का सिर बाहर की ओर खींचा जाता है।
ब्लेड का क्या होता है काम?
फॉरसेप्स की ब्लेड फीटस को पकड़ने का काम करती है। ब्लेड का आकार कर्व होता है। कई ब्लेड 90 डिग्री तक कर्व हो जाती है जिससे फीटल के हेड को पकड़ने में आसानी होती है।
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फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी की जरूरत क्यों पड़ती है?
ऑपरेशनल वजायनल डिलिवरी मैथड का यूज लेबर के सेकेंड स्टेज में किया जाता है। जब गर्भाशय ग्रीवा से बच्चा आसानी से नहीं निकल पाता है तो फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी का सहारा लिया जाता है। कुछ कारण जैसे-
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फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी तब होती है जब बेबी आसानी बाहर नहीं आता है
लेबर के दौरान डॉक्टर होने वाली मां को बच्चा पुश करने के लिए कहती है। जब बच्चा एक से दो घंटे बाद भी बाहर नहीं आ पाता है तो फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी का सहारा लिया जाता है।
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फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी की जरूरत तब पड़ती है जब मां बहुत थक गई हो
लेबर के दौरान मां को असहनीय दर्द होता है। दर्द के दौरान मां बच्चे को पुश करने की पूरी कोशिश करती है। एक समय ऐसा भी आता है जब मां पूरी तरह से थक जाती है। कई बार सांस लेने में भी समस्या हो जाती है और डॉक्टर को ऑक्सिजन मास्क लगाना पड़ता है। डॉक्टर कुछ समय लेते हैं और मां को फिर से बच्चे को पुश करने के लिए कहते हैं। जब महिला पूरी तरह से मना कर देती है या फिर बच्चा पुश करने के लिए समर्थ नहीं होती है तो डॉक्टर फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी का सहारा लेते हैं।
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फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी तब की जाती है तब बेबी की हार्टबीट में समस्या का पता लगता है
फेटल मॉनिटर में अगर बच्चे की हार्टबीट में डॉक्टर को बदलाव नजर आता है तो डॉक्टर फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी कर सकते हैं। कई बार ड्यू डेट के बाद भी लेबर पेन नहीं होता है। ऐसे में बच्चे का मूमेंट भी कम हो जाता है। डॉक्टर जांच के देखते हैं कि कहीं बच्चे की हार्ट बीट धीमी तो नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में वैक्यूम डिलिवरी का सहारा ले सकते हैं।
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हेल्थ हिस्ट्री के चलते पड़ कर सकती है फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी की जरूरत
अगर होने वाली मां को पहले कार्डिएक डिजीज की समस्या रह चुकी है तो बच्चे को पुश करने में समस्या आती है। ऐसे में डॉक्टर फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी का सहारा ले सकते हैं।
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कब फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी नहीं की जाती है?
- जब बच्चे के सिर की सही पुजिशन के बारे में नहीं पता चलता है।
- बेबी नीचे की ओर (बर्थ केनाल) मूव नहीं करता है।
- बेबी की किसी कंडिशन की वजह से हड्डियों की स्ट्रेंथ और ब्लीडिंग डिसऑर्डर प्रभावित हो।
- जब बेबी का साइज गर्भाशय ग्रीवा में सही तरह से फिट न हो रहा हो।
वैक्यूम डिलिवरी से बच्चे को होने वाले खतरे
अगर वैक्यूम एक्सट्रेक्शन का सही तरह से उपयोग किया जाता है तो इसके रिस्क कम हो जाते हैं। कई बार ज्यादा फोर्स अप्लाई होने से बच्चे को समस्या हो सकती है।
- स्कैल्प में घाव और ब्लीडिंग।
- गर्दन में नर्व की स्ट्रेचिंग समस्या, इसकी वजह से ब्रेकियल प्लेक्सस इंजुरी (Brachial plexus injury) होने का खतरा रहता है।
- स्किन या फिर ब्रेन के अंदर ब्लीडिंग होने का खतरा।
- आंखों में ब्लीडिंग की समस्या।
- स्कल फ्रैक्चर की समस्या।
- ब्रेन डैमेज के कारण परमानेंट डिसेबिलिटी।
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वैक्यूम डिलिवरी के कारण मां को होने वाले खतरे
वैक्यूम एक्सट्रेक्शन के दौरान वैक्यूम कप की हेल्प से सक्शन किया जाता है। इस विधि का प्रयोग सी-सेक्शन से बचने के लिए किया जाता है। किसी कारणवश खिंचाव ज्यादा हो जाने के कारण होने वाली मां को भी रिस्क रहता है।
- लोअर जेनिटल ट्रेक में डैमेज और टिअरिंग की समस्या।
- लेबर और डिलिवरी के बाद पेरेनियम में दर्द।
- ब्लड लॉस और एनीमिया की समस्या।
- पेल्विक ऑर्गन के आसपास मसल्स और लिगामेंट की वीकनेस की समस्या।
- स्टूल और यूरिन के दौरान आने वाली समस्याएं।
फॉरसेप्स वैक्यूम डिलिवरी डॉक्टर तभी अपनाते हैं जब बेबी आसानी से बाहर नहीं आता है। इस तरीके का ज्यादा यूज इसलिए नहीं किया जाता है क्योंकि इससे बच्चे को सिर में इंजुरी का खतरा भी हो सकता है। कई बार ये प्रक्रिया आसानी से हो जाती है। इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आपकी डिलिवरी फाॅरसेप्स डिलिवरी होगी या वैक्यूम डिलिवरी। इसका निणर्य आप नहीं ले सकती। ये निणर्य डिलिवरी के वक्त डॉक्टर के द्वारा ही लिया जाता है।
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