प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन पर उम्र का प्रभाव
एनसीबीआई में ‘इफेक्ट ऑफ एजिंग ऑन दि फीमेल रीप्रोडक्टिव फंक्शन’ नाम से प्रकाशित शोध के मुताबिक, कॉर्पस ल्यूटियम (सी एल) एक विशेष एंडोक्राइन स्ट्रक्चर है। यह एक ऐसा स्ट्रक्चर है, जिससे इसके विकास, रखरखाव और रिग्रेसन को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। इसका प्रमुख कार्य प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन को प्रोड्यूस करना है। यह हॉर्मोन गर्भ ठहरने और उसके रखरखाव में सबसे ज्यादा जरूरी होता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
ऑव्युलेशन के बाद 8-10 दिनों के भीतर यह हाॅर्मोन तेजी से बनता है। उम्र के हिसाब से इसका प्रोडक्शन कम हो जाता है। उम्र के बढ़ने से शरीर की कोशिकाएं और अंग सामान्य तरीके से कार्य नहीं करते हैं। इस स्थिति में ओवरियन, ओविडक्ट, यूट्रस और इम्यून सिस्टम की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
ऐसे में सेल्युलर सेंसेशन बढ़ने से महिला की प्रजनन क्षमता ओवरी की कोशिकाओं की गुणवत्ता कम होने से प्रभावित हो सकती है। उम्र के साथ इनफर्टिलिटी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या के रूप में इंगित किया है। अधिक उम्र में फर्टिलिटी की समस्या का यह एक बड़ा कारण है।इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
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फर्टिलिटी की समस्या: उम्र के बढ़ने से घटते हैं फॉलिकल्स