हमारे शरीर में उम्र के साथ बदलाव होते रहते हैं। जब एक महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसके शरीर में तेजी से बदलाव होता है। कछ बदलाव महिलाओं को परेशान भी कर सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव होना आम बात है। डिलिवरी हो जाने के बाद शरीर पहले की तरह हो जाता है। लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स (Late Pregnancy Warning Signs And Tips) के बारे में महिलाओं को जानकारी होना बहुत जरूरी है। कई बार महिलाओं के शरीर में होने वाले कुछ बदलाव सामान्य नहीं होते हैं। प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों यानी थर्ड ट्राइमेस्टर के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को रात में नींद नहीं आती है, दूसरी ओर थकावट का भी अधिक एहसास होता है। लेट प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ लक्षण ऐसे भी होते हैं,जो होने वाले बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही अहम टिप्स भी बताएंगे।
और पढ़ें: Pregnancy Symptoms: कितना सामान्य है प्रेग्नेंसी के लक्षणों का आना-जाना?
लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स (Late Pregnancy Warning Signs And Tips)
जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है। प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों में पीठ में दर्द होना, उठने या बैठने में समस्या होना, रात में नींद ना आना आदि समस्याएं आम होती है। वहीं कुछ महिलाओं को अन्य लक्षण भी दिख सकते हैं, जोकि प्रेग्नेंसी के दौरान खतरनाक माने जा सकते हैं। अगर आपको ऐसे लक्षण नजर आते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यहां पर हम आपको लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स (Late Pregnancy Warning Signs And Tips) के बारे में बता रहे हैं, जो प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य नहीं माने जाते हैं।
- वजायनल ब्लीडिंग (Vaginal bleeding)
- वजायनल एम्निऑटिक फ्लूड लीक होना (Vaginal leaking of amniotic fluid)
- वजायनल डिस्चार्ज (vaginal discharge) का बढ़ जाना
- चेहरे, हाथ और फिंगर्स (face, hands or fingers) में अचानक सूजन आना
- सिरदर्द (headache) की समस्या बनी रहना
- लोअर एब्डॉमेन में दर्द (lower abdomen) या क्रैंप
- यूरिनेशन के दौरान जलन
- बुखार का बार-बार आना
- वॉमिटिंग या मितली (Vomiting or nausea) का बने रहना
- चक्कर आना या धुंधला दिखना (blurred vision)
- बेबी का मूवमेंट (baby’s movement) कम होना
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको दिए गए उपरोक्त लक्षणों में किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आते हैं, तो आपको बिना देरी किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अगर आप देरी कर देते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के साथ ही आपके बच्चे के स्वास्थ के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। सही समय पर कराया गया ट्रीटमेंट आपके और आपके बच्चे को बड़े खतरे से बचाने का काम कर सकता है। आप अपने शरीर को बेहतर तरीके से जानती हैं। अगर आपको शरीर में किसी प्रकार का गंभीर बदलाव नजर आता है, इसे नजरअंदाज बिल्कुल भी न करें। लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स (Late Pregnancy Warning Signs And Tips) में समस्या के लक्षणों की जानकारी बहुत जरूरी है।
और पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान खाने की लालसा और अरुचि की समस्या क्यों होती है?
प्रेग्नेंसी के दौरान जांच है बहुत जरूरी!
आपको गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर द्वारा बताई गई जांचों या टेस्ट को समय पर करवाना चाहिए। डॉक्टर 28 से 36 सप्ताह के बीच नियमित जांच करते हैं। आपको टेस्ट के लिए डॉक्टर से पहले जानकारी ले लेना चाहिए। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (ACOG) ने हाल ही में हार्ट संबंधी बीमारियों से बचने के लिए प्रसव से पहले जांच और देखभाल के दिशा निर्देश जारी किए हैं। ऐसा करने से होने वाले बच्चे को हार्ट संबंधी बीमारियों से बचाया जा सकता है। लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स (Late Pregnancy Warning Signs And Tips) बहुत अहम होते हैं।
अगर प्रेग्नेंसी से पहले या प्रेग्नेंसी के दौरान मां को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है, तो ऐसे में डॉक्टर की देखरेख बहुत जरूरी हो जाती है। हार्ट संबंधी बीमारियों से ग्रसित महिलाओं को समय-समय पर डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए ताकि होने वाले बच्चे को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा ना रहे। ऐसे में आपको क्या सावधानी रखनी चाहिए और कौन-से टेस्ट कराने चाहिए, इस बारे में जानकारी जरूर हासिल करें। जिन महिलाओं को हार्ट संबंधित समस्याओं का मध्यम से अधिक जोखिम है, उन्हें कॉर्डियोलॉजिस्ट के संपर्क में रहना चाहिए साथ ही प्रेग्नेंसी से पहले, प्रेग्नेंसी के दौरान और प्रेग्नेंसी के बाद में मेडिकल सेंटर में जाकर समय-समय पर जांच करानी चाहिए।
और पढ़ें: प्रेग्नेंसी टेस्ट में इवैपुरेशन लाइन का क्या मतलब है, जानें यहां इसके बारे में..
लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स: लेट प्रेग्नेंसी के खतरों से जुड़े हो सकते हैं ये रिस्क फैक्टर्स!
लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स में आपको लेट प्रेग्नेंसी के खतरों से जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए। हृदय रोग और संबंधित हृदय स्थितियों के लिए कुछ रिस्क फैक्टर्स जिम्मेदार हो सकते हैं।
- 40 से अधिक की उम्र होना
- मोटापे की समस्या
- हाय ब्लड प्रेशर
- जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes)
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होना (Obstructive sleep apnea)
- प्रीटर्म डिलिवरी की हिस्ट्री
- कार्डियोटॉक्सिक दवाओं का एक्सपोजर (Exposure to cardiotoxic drugs)
और पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान इवनिंग सिकनेस होने पर इन बातों का रखें ध्यान!
प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशन से पूरी तरह से नहीं बचा जा सकता है लेकिन फिर भी कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर्स होते हैं, जिन्हें कम किया जा सकता है। अगर आप कंसीव करना चाहती हैं, तो उससे पहले आप डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें फैमिली हेल्थ हिस्ट्री के बारे में भी बताएं। प्रेग्नेंसी के दौरान आपको हेल्दी डाइट लेनी चाहिए। आपको प्रेग्नेंसी के दौरान 300 से 500 कैलोरी प्रतिदिन अधिक चाहिए होती है। साथ ही प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज करने से भी आप फिट रह सकते हैं। आपको बहुत अधिक वेट गेन नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन ना करें। अगर आपको पहले से दांत संबंधी कोई समस्या है, तो बेहतर होगा कि प्रेग्नेंसी के दौरान चेकअप जरूर कराएं। रोजाना प्रीनेटल विटामिंस जरूर लें। प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia) होने से हाय ब्लड प्रेशर (high blood pressure), कार्डियोवस्कुल डिजीज, किडनी डिजीज आदि का खतरा बढ़ जाता है। आपको इस संबंध में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
और पढ़ें: पीरियड डिले मेडिकेशन (Period delay medication) क्या प्रेग्नेंसी पर डाल सकती हैं असर, जानिए यहां
स्वस्थय मां ही स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है।अगर आप बच्चे को जन्म देने की तैयारी कर रही हैं, तो बेहतर होगा कि अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें। अगर आपको किसी प्रकार की समस्या हो, तो आपको डॉक्टर से जांच कराने चाहिए और ट्रीटमेंट भी कराना चाहिए। पूरी तरह से ठीक होने के बाद आप कंसीव कर सकती हैं और हेल्दी बच्चे को जन्म दे सकती हैं। बेहतर होगा कि प्रेग्नेंसी की प्लानिंग अधिक उम्र में ना करें। कुछ बातों का ध्यान रख आप लेट प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले रिस्क से बच सकती हैं। प्रेग्नेंसी संबंधित किसी प्रकार की जानकारी चाहती हैं, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
इस आर्टिकल में हमने आपको लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स (Late Pregnancy Warning Signs And Tips) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
[embed-health-tool-ovulation]