मुंबई में रहने वाली 29 साल की रितिका वर्मन 6 महीने के बच्चे की मां हैं। रितिका ने हैलो स्वास्थय से बात करते हुए प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया कि, उन्होंने अपने परिवार की महिला सदस्यों जैसे उनकी मां, सास और अपने ऑफिस की दोस्तों से समझने की कोशिश की कि डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग (Delivery Tips) रहने की सलाह तो सब देते हैं लेकिन, उन्होंने डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग रहने के लिए क्या-क्या किया था? सबकी बातें सुनने और समझने के बाद रितिका ने प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज, योग और डांस का सहारा लिया और उन्हें डिलिवरी के दौरान ज्यादा परेशानी भी नहीं हुई। गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार और एक्टिव रहने के कारण डिलिवरी के दौरान काफी स्ट्रॉन्ग महसूस कर रहीं थीं। आज जानेंगे डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग कैसे रहें?
डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग कैसे रहें? (How to be strong during delivery)
डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग रहने के लिए सबसे पहले लेबर पेन को समझना जरूरी है। लेबर पेन (Labor pain) की तीन स्टेज होती हैं।
1. फर्स्ट स्टेज
2. सेकेंड स्टेज
3. थर्ड स्टेज
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1. फर्स्ट स्टेज (First Stage)
फर्स्ट स्टेज कॉन्ट्रैक्शन के साथ शिशु नीचे (वजायना) की ओर आता है। गर्भाशय बच्चे को नीचे की ओर पुश करता है। इस दौरान सर्विक्स ओपन हो जाता है। फर्स्ट स्टेज के खत्म होने तक सर्विक्स पूरी तरह खुल जाता है और यह इतना बड़ा हो जाता है कि बच्चा उससे आसानी से बाहर आ सकता है। यह करीब 10 सेंटीमीटर तक बड़ा हो जाता है।
2. सेकेंड स्टेज (Second Stage)
दूसरा स्टेज सर्विक्स के पूरी तरह से खुल जाने के बाद शुरू होती है। यह कुछ मिनट से लेकर कई घंटों तक का हो सकता है। इस दौरान डॉक्टर या नर्स आपको लगातार पुश करने के लिए कहते रहेंगे और यह चरण बच्चे के जन्म के साथ ही पूरा होता है। पहले शिशु का सिर बाहर आता है और फिर धीरे-धीरे पूरा शरीर बाहर आता है।
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3. थर्ड स्टेज (Third Stage)
यह बच्चे के जन्म के बाद प्लासेंटा के बाहर आने पर पूरा होता है। वैसे इस दौरान आपको कुछ महसूस नहीं होगा। यह प्रक्रिया 10 से 30 मिनट के बीच पूरी हो जाती है।
डिलिवरी के दौरान होने वाले लेबर पेन (Labour pain) को समझना बेहद जरूरी होता है और एक फिजिकल प्रॉसेस है।
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डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग रहने के टिप्स (Tips for staying strong during delivery)
1. लेबर रूम में कंफर्टेबल रहें (Be comfortable in the labor room)
डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग रहने के लिए सबसे पहले लेबर रूम में खुद को कंफर्टेबल महसूस करें। आपके आसपास कई मेल-फीमेल डॉक्टर्स नर्स और अन्य हेल्थ एक्सपर्ट रहेंगे जो आपकी बॉडी का चेकअप लगातार करते रहेंगे। इसलिए इस समय शर्मिंदगी महसूस न करें और अपने आपको रिलैक्स रखने की कोशिश करें। डिलिवरी के दौरान गर्भवती महिला के साथ लाइफ पार्टनर, मां या कोई अन्य करीबी महिला साथी साथ रह सकते हैं।
2. लेबर के बारे में लाइफ पार्टनर को समझाएं (Explain about Labor to Life Partner)
गर्भधारण के साथ ही अपने लाइफ पार्टनर को गर्भावस्था और लेबर पेन से जुड़ी जानकारी दें। कपल प्रेग्नेंसी के दौरान पेरेंटिंग क्लास भी ज्वॉइन कर सकते हैं। इस क्लास में नवजात की परवरिश के साथ-साथ लेबर से जुड़ी जानकारी भी दी जाती है। गर्भवती महिला के लाइफ पार्टनर कैसे परफेक्ट बर्थ पार्टनर बन सकते हैं इसकी जानकारी भी दी जा सकती है। अगर पुरुष (Husband) को लेबर या गर्भावस्था में जुड़ी जानकारी नहीं होगी तो यह महिला (Wife) के लिए परेशानी का कारण हो सकता है, क्योंकि जानकारी के अभाव में डिलिवरी के दौरान वो भी परेशान हो सकते हैं।
3. डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट से समय-समय पर मिलें (See your doctor and health expert from time to time)
गर्भावस्था 9 महीने का लंबा वक्त होता है। प्रेग्नेंसी के 42 हफ्ते में गर्भवती महिला अलग-अलग अनुभव से गुजरती हैं। इस दौरान समय-समय चेकअप और वैक्सीन भी लेने पड़ते हैं। रूटीन चेकअप समय-समय पर करवाती रहें। कोई परेशानी महसूस होने पर अपने हेल्थ एक्सपर्ट से न छुपाएं। इससे बेबी डिलिवरी (Baby delivery) के दौरान परेशानी कम हो सकती है और आप अपने आपको स्ट्रॉन्ग महसूस कर सकती हैं।
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4. वॉटर बर्थ (Water Birth)
नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार वॉटर बर्थ से बेबी डिलिवरी के दौरान होने वाली परेशानी और एंग्जाइटी कम हो सकती है। ऐसे में डिलिवरी के दौरान परेशानी कम महसूस होने पर बनने वाली मां अपने आपको एंग्जाइटी (Anxiety) से बचा सकती हैं। इसलिए बेबी प्लानिंग (Baby planning) की तरह बेबी बर्थ प्लानिंग भी की जा सकती है। इससे बनने वाले मां, डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग महसूस कर सकती हैं।
5. प्रेग्नेंसी या लेबर पेन कोई बीमारी नहीं है (Pregnancy or labor pain is not a disease)
शिशु के जन्म के दौरान गर्भवती महिला और गर्भ पल रहे शिशु को लगातार डॉक्टर मॉनिटर करते रहते हैं। अगर इस दौरान आप बेड पर लेटे नहीं रहना चाहती हैं तो हेल्थ एक्सपर्ट से टेलीमेट्री मॉनिटरी यूनिट (Telemetry monetary unit) की सलाह ले सकती हैं। इस एक्यूपमेंट को गर्भवती महिला के शरीर से अटैच कर दिया जाता है। जिससे मां और शिशु दोनों की हेल्थ जानकारी मिलती रहती है। इस एक्यूपमेंट के बॉडी से अटैच होने के बावजूद भी गर्भवती महिला (Pregnant lady) अपने करीबी या हस्बैंड के साथ वॉक एंड टॉक कर सकती हैं। डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग रहने में मदद कर सकता है।
6. डिलिवरी से जुड़ी तैयारी पहले कर लें (Prepare for delivery in advance)
प्रेग्नेंसी के साथ ही कई तरह की तैयारी की जाती है, लेकिन इन्हीं तैयारियों के साथ-साथ डिलिवरी की डेट नजदीक आने से पहले हॉस्पिटल ले जाने वाले जरूरी सामानों को बैग में पैक कर लें। इससे आप स्ट्रेस फ्री (Stress free) रहेंगी और किसी भी वक्त लेबर पेन (Labor pain) शुरू होने पर आप बिना देरी के अस्पताल पहुंच सकती हैं। ये छोटी-छोटी चीजें हैं, लेकिन जरूरी बातें आपको खुद को स्ट्रॉन्गfडिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग रखने में मदद कर सकती हैं।
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7. म्यूजिक थेरिपी (Music Therapy)
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार डिलिवरी के दौरान म्यूजिक थेरिपी (Music therapy) की भी मदद ली जाती है। इससे गर्भवती महिला को डिलिवरी के दौरान परेशानी और एंग्जाइटी (Anxiety) कम हो सकती है। म्यूजिक थेरिपी अगर नहीं भी ले रहीं हैं तो आप पसंदीदा गाना सुन सकती हैं।
ऊपर दी गई इन टिप्स के अलावा अगर आप डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग रहने से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहती हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हमें उम्मीद है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में डिलिवरी के दौरान स्ट्रॉन्ग रहने को लेकर टिप्स दिए गए हैं। यदि आपका लेख से जुड़ा कोई सवाल है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
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