हर गर्भवती महिला को प्रसव से पहले और बाद में कंपकंपाहट महसूस होती है। डिलिवरी भले ही सामान्य हो या फिर सिजेरियन। प्रसव के दौरान और इसके बाद शरीर का कांपना सामान्य है। प्रसव के दौरान महिलाओं के शरीर में हॉर्मोंस का स्तर ऊपर-नीचे होता है, जिसके चलते कंपकंपाहट महसूस होती है। हॉर्मोंस के स्तर में मामूली बदलाव होने से कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन आते हैं। कुछ ऐसा ही गर्भावस्था के दौरान भी होता है। प्रसव से पहले गर्भावस्था के दौरान शरीर क्यों कांपता है? इसके लिए सबसे पहले आपको प्रसव की प्रक्रिया को समझना पड़ेगा। प्रसव के तीन चरण होते हैं। डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट में कोई भी चिंता करने वाली बात नहीं है, इससे न तो आपको और न ही आपके बच्चे को नुकसान पहुंचेगा।
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गर्भावस्था एक महिला के जीवन का एक ऐसा चरण है, जिसमें उसके गर्भ में एक नया जीवन विकसित होता है। जब भ्रूण गर्भ के अंदर बढ़ता है और मां से अपना भोजन प्राप्त करता है, तो ऐसे में गर्भवती महिला को कमजोरी होना लाजमी है। इस चरण के दौरान, एक महिला को कई हार्मोनल परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है और इस दौरान महिला इम्युनिटी भी कमजोर होने लगती है।
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इन कारणों के चलते एक गर्भवती महिला को कई स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। इसमें डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट भी शामिल है। गर्भावस्था के दौरान कंपकंपी लगभग हर महिला द्वारा अनुभव की जाने वाली एक आम समस्या है और कभी भी डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट के गंभीर परिणाम दर्ज किए गए हैं।
डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट दिखे या न दिखे या भले ही यह गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय दिखाई दे लेकिन गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान इसका दिखना आम है। गर्भावस्था के दौरान कंपकंपी ज्यादातर तब भी अधिक दिखाई देती है, जब गर्भवती महिला यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन से प्रभावित हो।
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गर्भावस्था के दौरान इस तरह का संक्रमण बहुत आम है और साथ ही इस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा गर्भावस्था और डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट उन महिलाओं में भी देखने को मिल सकती है, जो वायरल गेस्ट्रोएंटेरिटिस से जूझ रही हों।
गर्भवास्था या डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट के गर्भवती महिलाओं में निमोनिया, एपेंडिसाइटिस, प्रीक्लेम्पसिया और साल्मोनेलोसिस भी कुछ अन्य कारण हो सकते हैं। एनीमिया से पीड़ित महिलाएं भी डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट महसूस कर सकती हैं।
कभी-कभी, महिलाओं को यह सामान्य सर्दी या बुखार के लक्षण के रूप में भी हो सकता है। कई बार डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट ठंडे परिवेश के कारण भी हो सकती है। साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि अगर गर्भावस्था या डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट दो दिन से अधिक समय तक रहती है, तो ऐसे में महिला रोग विशेषज्ञ को दिखाना जरूरी है।
गर्भावस्था या डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट होने पर बहुत कम मामलों में ही किसी इलाज की आवश्यकता होती है। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना गर्भावस्था या डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट से छुटकारा पाने का सही तरीका है। पानी के अलावा जूस और सूप का सेवन भी इस समस्या में मदद कर सकता है। यूरिनरी ट्रैक्ट के कारण होने वाली कंपकपाहट के इलाज के लिए क्रैनबेरी जूस पीने की सलाह दी जाती है
साथ ही यूरिनेरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या से जूझ रही महिलाओं को कैफीन, कार्बोनेट चॉकलेट और खट्टे फूड आयटम्स के सेवन से बचना चाहिए। ये इंफेक्शन को और भी बढ़ा सकते हैं।
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डिलिवरी के दौरान कंपकपाहट का घरेलू इलाज
गर्भावस्था या डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट के लिए अगर घरेलू उपचार ढ़ुढ रहे हैं, तो दिन में दो बार अदरक की चाय को अपनाया जा सकता है। यह न केवल इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती है बल्कि इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाती है। यदि गर्भावस्था के दौरान कंपकंपाहट का कारण एनीमिया है, तो ऐसे में एक या दो कच्चे टमाटर खाना आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान डायट में ताजे और फल सब्जियां शामिल करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है। यह इम्युन सिस्टम को तो मजबूत बनाता ही है और साथ ही डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट में आराम दिला सकता है।
डिलिवरी के दौरान कंपकपाहट क्यों होती है?
पहला चरण
इसमें गर्भाशय में कॉन्ट्रैक्शन का अहसास हो सकता है। गर्भाशय लगभग 10 सेंटीमीटर्स तक सिकुड़ जाता है। यह प्रसव की सक्रिय प्रक्रिया है। गर्भाशय में आपको इसका अहसास 60-90 सेकेंड्स तक हो सकता है। हर दो मिनट बाद आपको इनका अहसास होता रहता है।
दूसरा चरण
इस दौरान आप सामान्य तरीके से बच्चे को जन्म देती हैं या ऑपरेशन के जरिए आपके बच्चे को बाहर निकाला जाता है। बदलाव के इस चरण में कई महिलाओं को उबकाई और उल्टी होने का अहसास होता है। भले ही उनके शरीर को सुन्न किया गया हो या नहीं। महिलाओं के लिए यह सबसे कठिन समय होता है।
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तीसरा चरण
प्रसव का यह आखिरी चरण होता है। इसमें महिलाओं का गर्भनाल बाहर आ जाता है। आमतौर पर शिशु के जन्म लेने के बाद महिलाओं का गर्भाशय साफ हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान प्रसव से पहले इन तीनों चरणों में महिलाओं को कभी भी कंपकपाहट का अहसास हो सकता है। अक्सर, महिलाओं को प्रसव के बाद भी कंपकपाहट का अहसास होता है। सामान्य तौर पर ऐसा शरीर के तापमान में बदलाव होने और हार्मोंस की एड्रेनेलिन प्रतिक्रिया की वजह से होता है।
पबमेड में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, कंपकंपाहट के पीछे तापमान और हार्मोंस के स्तर में बदलाव को मिलाकर कई कारण होते हैं। शोध में इस बात की पुष्टि की गई की प्रसव के दौरान शरीर में थरथराहट नॉन-थर्मोरेगुलेटरी है। वहीं, इस शोध के लेखक ने यह भी पाया कि इस दौरान पसीना आना भी नॉन-थर्मोरेगुलेटरी है।
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शोध के आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट और पसीना आने के पीछे कई कारण हैं। शोध में इस बात को माना गया कि प्रसव के बाद जिन महिलाओं को कंपकपाहट का अहसास होता है, उनमें कमरे के तापमान या वहां के वातावरण की अहम भूमिका होती है।
हमे उम्मीद है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में डिलिवरी के दौरान कंपकंपाहट से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल है तो कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके प्रश्नों का उत्तर दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे।
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