मुश्किल से मुश्किल रास्ते भी आसान लगने लगते हैं, जब अपनों का साथ मिल जाता है। अगर आप किसी परेशानी का हल निकाले बिना ही उसे अपना नसीब समझने लगे, तो आप वहीं थम जाएंगे। अगर आप हिम्मत के साथ आगे कदम बढ़ाएंगे, तो यकीनन खुशियों के हकदार होंगे। भारत में सिंगल मदर बनने की चाहत रखने वाली कई महिलाएं हैं लेकिन उनके मन में समाज को लेकर डर है। भोपाल की संयुक्ता बनर्जी की कहानी कई महिलाओं को हिम्मत से भर देगी और सोचने पर मजबूर करेगी कि अगर फैसला आपका है, तो बिना डरे या घबराएं आगे बढ़ना चाहिए। संयुक्ता ने ‘समाज में लोग क्या कहेंगे’ या फिर लोगों का रिएक्शन क्या होगा, इन बातों से इतर एक फैसला लिया और उन्हें अपने परिवार के साथ ही दोस्तों का पूरा साथ मिला। संयुक्ता की शादी 2008 में हुई थी और बाद में पति से अलग हो गईं। इसके बाद उन्होंने मां बनने का फैसला लिया। बच्चे को गोद लेने के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा लेकिन बात नहीं बन पाई। फिर उन्होंने 37 साल की उम्र में स्पर्म डोनेशन यानी इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) की मदद से मां बनने का फैसला लिया। उन्होंने अगस्त में बेटे को जन्म दिया। हैलो स्वास्थ्य ने संयुक्ता से उनके इस सफर के बारे में बात की।
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सवाल: इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) के बारे में आपको कहां से जानकारी मिली? क्या ये आपकी पहली चॉइस थी?
नहीं, इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) मेरी पहली चॉइस नहीं थी। मैंने लगभग 7-8 साल तक अडॉप्शन के लिए कोशिश की लेकिन किन्हीं कारणों से ये संभव नहीं हो पाया। फिर मेरे फैमिली डॉक्टर ने मुझे आईवीएफ (In vitro fertilization), आईयूआई (Intrauterine insemination) और ICI यानी इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) के बारे में जानकारी दी। इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) यानी आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन (Artificial insemination) की प्रोसेस में स्पर्म डोनर के सीमन का इस्तेमाल किया जाता है। स्पर्म डोनर (Sperm donor) की पहचान गुप्त रखी जाती है। सीमन को महिला के रिप्रोडेक्टिव ट्रैक्ट (Reproductive tract) में ट्रांसफर किया जाता है। फिर फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tubes) में फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस होती है। दिमाग में कई बातें आई लेकिन मैंने सोचा कि मुझे सिंगल मदर (Single mother) बनना है, तो आगे परेशानी तो आएगी ही, इसलिए मैंने इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) को चुना। मैंने पहली बार में ही कंसीव कर लिया था। मैंने कंसीव करने के आठ माह बाद बेटे को जन्म दिया। मैंने सरोगेसी के बारे में भी जानकारी ली थी लेकिन ये बहुत ही महंगी प्रोसेस है। इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन मुझे बेहतर विकल्प लगा। परिवार के सभी सदस्यों और दोस्तों ने भी मेरा पूरा साथ दिया।
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सवाल: हिम्मत भरा फैसला लेने पर परिवार ने आपका साथ दिया लेकिन क्या आपको अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा?
इस सवाल का जवाब देते हैं हुए संयुक्ता कहती हैं कि एल्डर प्रेग्नेंसी या अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी (Geriatric pregnancy) को लेकर मेरे मन में बहुत से सवाल थे। मेडिकल साइंस के अनुसार 30 से 33 की उम्र में प्रेग्नेंसी ‘एल्डर प्रेग्नेंसी’ के अंतर्गत आती है। अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी के कारण महिलाओं में हाय बीपी के साथ ही जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational-diabetes) का खतरा बढ़ जाता है, जो महिला के साथ ही होने वाले बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री के कारण मुझे प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational-diabetes) को लेकर शंका थी लेकिन भगवान का शुक्र है कि मुझे ऐसी कोई परेशानी नहीं हुई।
अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी से बच्चे में डाउन सिंड्रोम (Down syndrome) का खतरा भी बढ़ जाता है। पहले ट्राइमेस्ट के दौरान टेस्ट हुए और मेरी सभी रिपोर्ट्स ठीक थी। डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की पुजिशन उल्टी है, जो आमतौर पर चिंता का विषय नहीं होती है। मेरे लिए प्रेग्नेंसी के आखिरी के तीन महीने मुश्किल भरे थे क्योंकि डॉक्टर ने जांच के बताया कि सर्विक्स (Cervix) का माउथ ओपन हो गया है। सर्विक्स (Cervix) वजायना और युट्रस (Uterus) को कनेक्ट करने वाले टिशू को कहते हैं। इस कंडीशन में युट्रस बच्चे का भार नहीं उठा पाता है। ऐसे में मिसकैरिज (Miscarriage) के चांसेज बढ़ जाते हैं। ऐसे में मुझे सर्जरी की सलाह दी गई थी। ये मेरे लिए कठिन समय था।
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सवाल: आप वर्किंग वुमन हैं, ऐसे में सर्जरी के बाद वर्क और हेल्थ में कैसे बैलेंस किया?
संयुक्ता कहती हैं कि मेरे लिए राह आसान नहीं थी। मुझे काम के साथ ही अपनी हेल्थ का भी पूरा ध्यान रखना था। डॉक्टर ने मुझे बेड रेस्ट की सलाह दी थी लेकिन मैं ऑफिस से तीन महीने की छुट्टियां नहीं ले सकती थी। शुरुआत में कोरोना महामारी के कारण घर से काम हो जाता था लेकिन बाद में कुछ घंटे के लिए ऑफिस जाना जरूरी था। मैंने सर्जरी के बाद कुछ दिन आराम किया और फिर 30 से 40 मिनट की ड्राईव करके ऑफिस भी गई। मेरी डिलिवरी 8वें महीने में हो गई थी। मैने सिजेरियन सेक्शन (Caesarean section) के जरिए बच्चे को जन्म दिया। राहें कठिन थी लेकिन अपनों के साथ ने कई परेशानियों को दूर कर दिया। 70 साल की मां के साथ ही मेरे फ्रेंड्स ने मेरा पूरा ख्याल रखा।
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सवाल: क्या ICI यानी इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) भी महंगी प्रक्रिया है या फिर इसे आसानी से अपनाया जा सकता है?
इस सवाल के जवाब में संयुक्ता कहती हैं कि सरोगेसी या आईवीएफ (IVF) प्रोसेस महंगी प्रक्रिया है, जो हर महिला अफोर्ड नहीं कर सकती है। जबकि ICI यानी इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) प्रोसेस में ज्यादा खर्च नहीं होता है। आपको इसमें स्पर्म डोनेशन के लिए ही पे करना पड़ता है। मेरे केस में मैंने पहली बार में ही कंसीव कर लिया था। आपको कौन-सी प्रोसेस अपनानी चाहिए, ये बात आपकी हेल्थ पर पूरी तरह से डिपेंड करती है। डॉक्टर जांच के बाद इस बारे में आपको उचित राय दे सकते हैं। बेहतर होगा कि आप उनसे इस बारे में अधिक जानकारी लें।
सवाल: जो महिलाएं इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) या आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन अपनाना चाहती हैं, आप उन्हें क्या सलाह देना चाहेंगी?
इस सवाल का जवाब देते हुए संयुक्ता बनर्जी कहती हैं कि आपको टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए। अगर आप सिंगल मदर बनना चाहती हैं, तो खुद को मानसिक रूप के साथ ही शारीरिक रूप से भी फिट रखना बहुत जरूरी है। आपको इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं लेना चाहिए। कहने का मतलब है कि आप इस बारे में विचार करें और खुद को पूरी तरह से प्रिपेयर करें लेकिन अधिक उम्र के साथ ही कॉम्प्लीकेशंस भी बढ़ जाते हैं। आप डिसीजन लेने के बाद डॉक्टर से उन समस्याओं के बारे में भी बात कर सकते हैं, जो आपके मन में हैं।
इंट्रा सर्विकल इंसेमिनेशन (Intra cervical insemination) की मदद से मां बनी संयुक्ता बनर्जी ने जो फैसला लिया, वो हर महिला के लिए आसान नहीं होता है। जब समाज में कोई ऐसा सराहनीय कदम उठाता है, तो ये अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बनता है। जब भी समाज में कुछ नया होता है, लोग प्रश्न जरूर खड़ा करते है, ऐसे में खुद पर पूरा भरोसा और अपनों का साथ दर्द में भी मुस्कुराने का साहस देता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको संयुक्ता की रियल स्टोरी जरूर पसंद आई होगी। अगर आपको हेल्थ से संंबंधित अन्य अपडेट चाहिए, तो हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं।
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