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फाइब्रोमायल्जिया की है शिकायत, तो प्रेग्नेंसी के दौरान ध्यान रखनी चाहिए ये बातें!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/12/2021

    फाइब्रोमायल्जिया की है शिकायत, तो प्रेग्नेंसी के दौरान ध्यान रखनी चाहिए ये बातें!

    प्रेग्नेंसी या फिर कंसीव करने से पहले अगर कोई बीमारी न हो, तो प्रेग्नेंसी को एंजॉय किया जा सकता है। अगर महिला को किसी तरह की बीमारी या फिर हेल्थ कंडीशन हो, तो फिर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर किसी हेल्थ कंडीशन के दौरान महिला कंसीव करने के बारे में सोच रही है, तो अधिक सावधानी रखने की जरूरत होती है।अगर आपको फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) की समस्या है और आप प्रेग्नेंट होने की सोच रहे हैं, तो आपको इस कंडीशन के बारे में पता होना चाहिए। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको प्रेग्नेंसी और फाइब्रोमायल्जिया (Pregnancy and fibromyalgia) के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही उन सावधानियों के बारे में भी बताएंगे, जो आपको प्रेग्नेंसी के दौरान रखनी चाहिए।

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    प्रेग्नेंसी और फाइब्रोमायल्जिया (Pregnancy aur fibromyalgia)

    फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) एक प्रकार का डिसऑर्डर है, जो 30 से 50 वर्ष की उम्र में अधिक देखने को मिलती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह बीमारी अधिक देखने को मिलता है। ये बीमारी मसल्स पेन (Muscle pain) और बोंस की समस्या से जुड़ी हुई है। मस्क्युलोस्केलेटल पेन (Musculoskeletal pain) के साथ ही थकान का एहसास, नींद अधिक आना, मूड संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) ब्रेन से मिलने वाले दर्द के संकेतों या पेन सिग्नल को प्रभावित करता है।

    गर्भावस्था के दौरान फाइब्रोमायल्जिया को मैनज किया जा सकता है लेकिन आपको इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम के लक्षण किस तरह से आपकी प्रेग्नेंसी को प्रभावित कर रहे हैं। कब बीमारी के लक्षण बढ़ सकते हैं, इसकी जानकारी होना भी बहुत जरूरी है। आपको प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीनेटल केयर विजिट (Prenatal care visit) करनी चाहिए। विजिट के दौरान आप बीमारी के लक्षणों का ट्रीटमेंट करा सकती हैं। जानिए कैसे फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) प्रेग्नेंसी में प्रभाव डालती है।

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    फाइब्रोमायल्जिया का प्रेग्नेंसी में प्रभाव क्या होता है(How Does Fibromyalgia Affect Pregnancy)?

    प्रेग्नेंसी और फाइब्रोमायल्जिया (Pregnancy and fibromyalgia) एक साथ आपकी मुसीबत बढ़ा सकते हैं। फाइब्रोमायल्जिया का प्रेग्नेंसी में प्रभाव सभी महिलाओं में एक जैसा दिखे, ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। गर्भावस्था के आखिरी महिनों में महिलाओं के अनुभव अलग-अलग हो सकते हैं। फाइब्रोमायल्जिया के कारण प्रेग्नेंट महिलाओं में समस्या बढ़ जाती है, जानिए ऐसा क्यों होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का वजन तेजी से बढ़ रहा होता है। इस कारण पीठ के निचले हिस्से पर दबाव बढ़ जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में रिलैक्सिन (Relaxin) कैमिकल रिलीज होते हैं। ये मसल्स को रिलेक्स पहुंचाने का काम करते हैं। प्रेग्नेंसी में फाइब्रोमायल्जिया होने के कारण महिला को अधिक दर्द महसूस हो सकता है। लो बैक और हिप एरिया में समय के साथ ही दर्द भी बढ़ता जाता है।

    प्रेग्नेंसी में फाइब्रोमायल्जिया को लेकर टेम्पल यूनिवर्सिटी (Temple University) में की गई स्टडी में ये बात सामने आई है कि प्रेग्नेंसी के दौरान जिन महिलाओं को फाइब्रोमायल्जिया की समस्या होती है, उन्हें अन्य प्रेग्नेंट महिलाओं के मुताबिक अधिक दर्द होता है और साथ ही थकान (Fatigue), सायकोलॉजिकल स्ट्रेस (Psychological stress) आदि का सामना प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने के दौरान करना पड़ता है।

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    प्रेग्नेंसी और फाइब्रोमायल्जिया (Pregnancy and fibromyalgia): क्या स्ट्रेस फाइब्रोमायल्जिया को करता है ट्रिगर

    अगर आप प्रेग्नेंट हैं या फिर नहीं, स्ट्रेस फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) को ट्रिगर करता है। आमतौर पर महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेस हो ही जाता है। स्ट्रेस के कारण महिला के साथ ही होने वाले बच्चे पर भी बुरा असर पड़ता है। लेबर (Labor) और डिलिवरी के दौरान अक्सर महिलाएं स्ट्रेस में आ जाती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान एस्ट्रोजन लेवल और प्रोजेस्ट्रॉन ( Progesterone)  हॉर्मोन लेवल में बदलाव होते हैं। आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए फाइब्रोमायल्जिया पर स्ट्रेस का क्या प्रभाव होता है और कैसे दर्द का सामना करना पड़ सकता है।

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    प्रेग्नेंसी और फाइब्रोमायल्जिया (Pregnancy and fibromyalgia): कैसे किया जाता है बीमारी का इलाज?

    प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी बीमारी का ट्रीटमेंट करने पर विशेष सावधानी रखने की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान फाइब्रोमायल्जिया की सभी दवाओं का सेवन सुरक्षित नहीं माना जाता है। अगर आप कंसीव करने के बारे में सोच रही हैं और आप फाइब्रोमायल्जिया की दवाओं जैसे कि पेन किलर या फिर एंटीडिप्रेसेंट ( Antidepressants ) ले रही हैं, तो बेहतर होगा कि एक बार डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। ऐसे में हो सकता है कि डॉक्टर आपको इन मेडिसिंस को न लेने की सलाह दें। बेहतर होगा कि आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लें।

    अगर प्रेग्नेंसी के दौरान फाइब्रोमायल्जिया से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर आपको मसाज, एक्सरसाइज (Excercise), योग, मेडिसिंस का सेवन और रेस्ट की सलाह दे सकते हैं। अगर आपको प्रेग्नेंसी में अधिक थकान का अनुभव हो रहा है, तो ऐसे में डॉक्टर आपको अधिक आराम की सलाह भी दे सकते हैं। दर्द से राहत के लिए आपको गुनगुने पानी से नहाने की सलाह भी दी जा सकती है। आपको अधिक गर्म पानी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। डॉक्टर द्वारा बताए गए उपाय अपनाने से आपको प्रेग्नेंसी में फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) के लक्षणों से राहत मिल सकती है।

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    फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) पर एक्सरसाइज का असर

    आप बीमार हो या फिर न हो, अगर आप एक्सरसाइज करेंगे, तो फिट रहेंगे। एक्साइज मसल्स की स्ट्रेंथ को बरकरार रखने का काम करती है और साथ ही ज्वाइंट्स को फ्लेक्सिबल भी बनाती है। शरीर में सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ने से मूड भी अच्छा रहता है। सेरोटोनिन (Serotonin) न्यूरोट्रांसमीटर में से एक है। न्यूरोट्रांसमीटर ऐसे रसायन होते हैं जो एक सेल से दूसरे सेल में मैसेज भेजने का काम करते हैं। ब्रेन में कम प्रतिशत में सेरोटोनिन (Serotonin) होता है, जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अधिक स्ट्रेस के कारण सेरोटोनिन का लेवल कम हो सकता है, जिस कारण से डिप्रेशन का खतरा (Risk of depression) बढ़ जाता है। अगर आप एक्सरसाइज नहीं करेंगे, तो सेरोटोनिन का लेवल कम हो सकता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि एक्सरसाइज एक नहीं बल्कि अनेक फायदे शरीर को पहुंचाती है।

    प्रेग्नेंसी के दौरान खुद का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि आपके साथ ही बच्चे के स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान फाइब्रोमायल्जिया की समस्या है, तो आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए कि इस बीमारी से पैदा होने वाले लक्षणों को कैसे कम किया जा सकता है। आप रोजाना हल्के व्यायाम भी कर सकती हैं। आप शुरुआत में वॉकिंग, जॉगिंग कर सकती हैं। अगर आपको किसी तरह की समस्या नहीं है, तो एक्सपर्ट से जानकारी लेने के बाद आप  स्ट्रेचिंग (Stretching), भी कर सकती हैं। रिलैक्सेशन टेक्निक के रूप में एक्सरसाइज आपको बहुत हेल्प करेगी लेकिन बिना एक्सपर्ट या डॉक्टर से जानकारी लिए कोई भी कदम न उठाएं।

    हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको प्रेग्नेंसी और फाइब्रोमायल्जिया (Pregnancy and fibromyalgia) के संबंध में जानकारी मिल गई होगी। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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