मेनोपॉज एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें महिला के पहुंचने के बाद प्राकृतिक रूप से गर्भधारण होने की संभावना न के बराबर रह जाती है। कई मामलों में मेनोपॉज के बाद गर्भधारण नामुमकिन होता है जिसके कारण यह लोगों की बर्थ कंट्रोल दवाओं के सेवन और परिवार आगे बढ़ाने के निर्णयों में बाधा बनता है। आज के दौर में ज्यादा से ज्यादा लोग परिवार को जल्दी आगे बढ़ाने के बारे में नहीं सोचते हैं। सभी बच्चे की जिम्मेदारी उठाने से पहले जिंदगी में सैटल होना चाहते हैं और तब तक प्रेगनेंसी का इंतजार करते हैं। इस आर्टिकल में जानें मेनोपॉज के बाद गर्भधारण (Pregnancy after menopause) संभव है या नहीं।
मेनोपॉज के बाद गर्भधारण (Pregnancy after menopause) : क्या कहती है रिसर्च?
मेनोपॉज के बाद गर्भधारण (Pregnancy after menopause) की संभावना से पहले जान लें कि असिस्टेड रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट की मदद से कुछ महिलाओं में मेनोपॉज के बाद गर्भधारण की उम्र काफी विभिन्न होती हैं। भारत में ज्यादातर महिलाएं 47.5 की उम्र तक मेनोपॉज तक पहुंच जाती हैं। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2026 तक मेनोपॉज के बाद गर्भधारण न करने वाली महिलाओं की संख्या 10.3 करोड़ तक पहुंच जाएगी। हालांकि, महिलाएं इस उम्र से पहले या बाद में भी मेनोपॉज में जा सकती हैं।
विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधित स्थितियां से ग्रसित महिलाओं व सर्जरी और अन्य चिकित्सक इलाज से गुजरने पर मेनोपौज की कम उम्र में होने की संभावना बढ़ जाती है। कई लोगों को लगता है की पेरिमेनोपॉज के लक्षण जैसे असामान्य महामारी होने पर प्रेग्नेंट होना नामुमकिन होता है।
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मेनोपॉज के बाद गर्भधारण : मेनोपॉज और पेरिमेनोपॉज क्या हैं?
पेरिमेनोपॉज
मेनोपॉज के बाद गर्भधारण करने की क्षमता खोने से पहले होने वाली स्थिति यानि पेरिमेनोपॉज के बारे में जानना जरूरी होता है। पेरिमेनोपॉज बदलाव का समय होता है। इसे महिलाओं के जीवन का सबसे बड़ा बदलाव माना जाता है। इस स्थिति में महिलाओं के अंडाशय द्वारा एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन कम होने लगता है। अंडाशय का कम अनुक्रियाशील बनने पर ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) और फॉलिकल उत्तेजक हार्मोन (एफएसएच) का स्तर बढ़ने लगता है।
इस प्रकार के हॉर्मोनल बदलाव होने पर आपको हॉट फ्लैशेस (Hot flashes) और रात में पसीना आने जैसे लक्षण दिखाई देने लगेंगे। इसके अलावा अनियमित पीरियड्स भी मेनोपॉज के बाद गर्भधारण न करने का मुख्य लक्षण होता है। आपके अंडाशय पेरिमेनोपॉज की स्थिति में कुछ महीनों तक एक अंडे देते हैं और उसके बाद वह भी बंद हो जाता है।
फिर शुरू हो सकते हैं पीरियड्स
हालांकि, पेरिमेनोपॉज के दौरान आपकी गर्भधारण करने की क्षमता कम हो रही है लेकिन फिर भी आपके गर्भ धारण करने की संभावना है। अगर आप प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती हैं तो पेरिमेनोपॉज के समय भी आपको बर्थ कंट्रोल दवाएं लेनी पड़ सकती हैं।
पेरिमेनोपॉज के दौरान लगता है कि आपके पीरियड्स रुक गए हैं लेकिन कुछ समय बाद फिर से शुरू हो जाते हैं। ऐसा कई बार हो सकता है जो की आपको भ्रमित कर सकता है कि आप मेनोपॉज तक पहुंच गई हैं जबकि ऐसा नहीं होता है।
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मेनोपॉज के बाद गर्भधारण : कैसे पता करें कि मैनोपॉज हो गया है?
अगर आपको पीरियड्स आए हुए एक साल हो चूका है तो आप मेनोपॉज तक पहुंच चुकी हैं। ज्यादातर महिलाएं में यह 40 से 55 की उम्र के बीच होता है। भारत में महिलाओं की मेनोपॉज की औसत उम्र 47 है। जब आप एक बार मेनोपॉज तक पहुंच जाते हैं, तो आपके एलएच और एफएसएच का स्तर अधिक रहता है और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है। आप अब कभी ओव्यूलेट नहीं कर पाएंगी और कभी गर्भधारण नहीं कर सकेंगी। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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मेनोपॉज के बाद गर्भधारण किया जा सकता है?
अगर आपका सवाल है कि क्या मेनोपॉज के बाद गर्भधारण किया जा सकता है? तो बता दें कि मेनोपॉज तब होता है जब महिला 12 महीनों तक अंडाशय बनाना बंद कर चुकी होती हैं। पेरिमेनोपॉज में 7 से 14 साल का समय लगता है लेकिन यह आंकड़े सभी में विभिन्न होते हैं।
अधिकतर लोगो में 40 की उम्र से ही एस्ट्रोजन का स्तर लगातार गिरने लगता है। महिला इसके बावजूद भी ओव्यूलेट और मेंस्ट्रुएट (पीरियड्स) करती रहती हैं लेकिन इस स्थिति में पीरियड्स अनियमित और कम आते हैं। कुछ लोगों में पीरियड्स कई महीनों के लिए रुक जाते हैं और फिर से आ जाते हैं। इसका कारण होता है कि पीरियड्स आने तो रुक सकते हैं लेकिन फिर भी महिलाओं में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया जारी रहती है।
सेक्स हॉर्मोन में भी आ जाती है गिरावट
जैसे-जैसे बदलाव आगे बढ़ने लगता है वैसे ही दोनों सेक्स हॉर्मोन में गिरावट आने लगती है और अंडों की क्वालिटी व संख्या कम होने लगती है। इसके कारण महिला के गर्भधारण करने की संभावना कम हो जाती है। अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के मुताबिक प्रजनन क्षमता आमतौर मेनोपॉज के 5 से 10 पहले ही खत्म हो चुकी होती है। हालांकि, ऐसा सभी मामलों में मुमकिन नहीं होता है। कुछ महिलाएं मेनोपॉज तक गर्भधारण कर सकती हैं।
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क्या मेनोपॉज को गर्भधारण के लिए रोका जा सकता है?
इसका सीधा और सरल जवाब है न। हालांकि, शोधकर्ता अभी भी इस विषय पर अध्ययन कर रहे हैं। पेरिमेनोपॉज वाली महिलाओं में यदि शुरुआत में ही अंडाशय की प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जाए तो गर्भधारण करने की प्रक्रिया में सुधार लाया जा सकता है लेकिन केवल कुछ समय के लिए ही।
एक छोटे से अध्ययन में 27 में से 11 महिलाओं में ट्रीटमेंट की मदद से मेंस्ट्रुयल साइकिल (मासिक महामारी) को 3 महीनों के अंदर फिर से जारी करने में शोधकर्ता सक्षम रहे थे। शोधकर्ता महिलाओं में तैयार मौजूद अंडों को रिकवर कर पाए। एक महिला में आईवीएफ (निषेचन) की मदद से यह मुमकिन हो पाया था। हालांकि, फिलहाल महिलाओं पर बड़े पैमाने पर शोध करने की जरूरत है। आप इस बारे में डॉक्टर से भी जानकारी ले सकते हैं।
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मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति के बाद गर्भधारण का इलाज?
मेनोपॉज के बाद प्रजनन क्षमता को असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी जैसे आईवीएफ की मदद से पेरिमेनोपॉज के दौरान और मेनोपॉज के बाद भी गर्भधारण के लिए बढ़ाया जा सकता है। मेनोपॉज के बाद बचे हुए अंडों में जीवन की क्षमता नहीं होती है।
हालांकि, जो लोग मेनोपॉज से पहले ही अंडों को फ्रीज करवाने का निर्णय लेते हैं उन मामलों में आईवीएफ के लिए फ्रोजन अंडों का इस्तेमाल किया जा सकता है। फ्रेश या फ्रोजन अंडे भी एक अन्य विकल्प हो सकते हैं। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि अधिक उम्र में असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी की मदद स्वस्थ गर्भावस्था की संभावना भी कम हो जाती है।
मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति के बाद प्रेग्नेंसी के लिए आप आईवीएफ और हार्मोन थेरेपी की मदद से गर्भधारण कर सकती हैं, लेकिन यह न तो कोई सरल काम है और न ही खतरों से खाली। अगर आप आईवीएफ प्रक्रिया करवाने का निर्णय लेती हैं तो आपको विशेषज्ञ से परामर्श करने की आवश्यकता पड़ेगी। इसके अलावा अगर आपके मेनोपॉज को एक साल से अधिक समय हो गया है तो आईवीएफ की जगह आप समझें कि आपके प्रजनन का समय समाप्त हो चुका है।
कुछ महिलाओं के मन में ये सवाल आता है कि मेनोपॉज के बाद भी हल्की ब्लीडिंग के कारण क्या गर्भावस्था की संभावना रहती है। अगर आपको एक बार मोनोपॉज हो जाता है और फिर लंबे समय बाद या कुछ समय बाद फिर से ब्लीडिंग होती है तो ऐसे में प्रेग्नेंसी के चांसेज नहीं होते हैं। ब्लीडिंग का कारण कोई समस्या हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर से जांच कराना बहुत जरूर हो जाता है।
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ध्यान दें
उम्र बढ़ने के साथ ही प्रेग्नेंसी की संभावनाएं भी कम होने लगती हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि सही समय पर बच्चे की प्लानिंग कर ली जाए। अगर कोई महिला किन्हीं कारणों से बायोलॉजिक क्लॉक के अनुसार मां नहीं बन पाती है तो कुछ टेक्नोलॉजी का उपयोग करके मां बनने का सुख मिल जाता है। जिन महिलाओं को एक बार मोनोपॉज हो जाता है, उनके लिए मां बनना मुश्किल होता है। 30 साल की उम्र के बाद हेल्दी एग की संभावना भी कम होती जाती है। टेक्नोलॉजी का विस्तार भले ही महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया हो लेकिन नैचुरल तरीकों से कंसीव करना आपको कई प्रकार की समस्याओं से बचाने का काम कर सकता है।
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