अकसर लोग समझते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान थायराॅइड बहुत बड़ी समस्या है, लेकिन सही ट्रीटमेंट, समय-समय पर जांच और हायपोथायरॉइडिज्म डायट से थायराॅइड को नियंत्रण में रखा जा सकता है। थायराॅइड एक आम बीमारी है इसलिए गर्भवती महिला को हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो करना चाहिए। साथ ही हर गर्भवती महिला को थायराॅइड हॉर्मोन (Thyroid Stimulating Hormone या TSH) का परीक्षण भी कराते रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अक्सर सबक्लिनिकल हाइपोथायराॅयडिज्म होता है। इस स्थिति में थायराॅइड के लक्षण दिखते नहीं है, पर प्रेग्नेंसी के दौरान TSH का लेवल बहुत बढ़ जाता है। इसके लिए सही उपचार के साथ हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट से राहत मिल सकती है।
गर्भवती हैं तो हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट में शामिल करें 7 खाद्य पदार्थ
थायरॉइड (Thyroid) की समस्या सामान्य मानी जाती है। गर्भवती महिलाओं में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism) की समस्या देखने को मिलती है। इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म द्वारा किए गए रिसर्च के अनुसार भारत में गर्भवती महिलाओं में हायपोथायरॉइडिज्म की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। ऐसे में हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो करना सबसे ज्यादा जरूरी है। हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो नहीं करने से मिसकैरिज या समय से पहले शिशु का जन्म हो सकता है, जो शिशु की सेहत के लिए नुकसानदायक है।
गर्भवती महिलाओं को हायपोथायरॉइडिज्म की स्थिति में निम्नलिखित हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो करना चाहिए। इनमें शामिल है-
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1. हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट में अंडा शामिल करें
अंडे में आयोडीन और सिलेनियम की मौजूदगी शरीर में कम होने वाले प्रोटीन की मात्रा को बनाए रखने में मदद करता है।
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2. मीट
मीट या चिकन का सेवन करने से जिंक की कमी बॉडी में नहीं होती है। डॉक्टर की सलाह से हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट में चिकन की उचित मात्रा शामिल करें।
3. मछली
सेलमोन और टूना जैसे मछलियों का सेवन हायपोथायरॉइडिज्म की स्थिति में किया जा सकता है। मछली में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड इम्यून सिस्टम को ठीक रखने में मदद करती है।
4. हरी सब्जी हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट में होनी चाहिए
सभी तरह की हरी सब्जियों का सेवन किया जा सकता है सिर्फ वे सब्जियां पूरी तरह से पकी हुई हो। ध्यान रखें कि गोईट्रोजेन युक्त सब्जियां जैसे फूलगोभी, ब्रोकली, सरसों का साग या चाइनीज पत्ता गोभी का सेवन नहीं करना चाहिए।
5. हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट में फल अवश्य रखें
केला, संतरे और बेरीज जैसे अन्य फलों का सेवन किया जा सकता है। फलों में भी गोईट्रोजेन से भरपूर जैसे चेरी, पीच, स्ट्रॉबेरी या स्वीट पटैटो का सेवन न करें।
6. डेरी प्रोडक्ट्स
दूध, योगर्ट और चीज का सेवन किया जा सकता है क्योंकि इसमें मौजूद प्रोबायोटिक थायरॉइड पेशेंट के लिए लाभदायक होता है। डॉक्टर की सलाह से अपने हायपोथायरॉइडिज्म डाइट चार्ट में इसको शामिल करें।
7. ग्लूटन फ्री अनाज
चावल, चिया सीड्स और फ्लेक्स सीड्स को अपने हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट में शामिल किया जाना चाहिए।
गर्भवती हैं तो हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो करना आवश्यक है। ऊपर बताई गई 7 खाद्य पदार्थों को अपने आहार में नियमित रूप से सेवन करना जरूरी है, नहीं तो यह मां और शिशु दोनों को मुसीबत में डाल सकता है।
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गर्भवती हैं तो हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो नहीं करने के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
प्रेग्नेंट लेडी और शिशु को होने वाली परेशानी निम्नलिखित है
- गर्भावस्था के अंतिम स्टेज में ब्लड प्रेशर ज्यादा बढ़ सकता है।
- एनीमिया
- मिसकैरिज
- जन्म के समय शिशु के वजन मे कमी होना
- प्री-क्लेमप्सिया
- स्टिलबर्थ
- हार्ट फेलियर
थायराॅइड हार्मोन अधिक बनने के कारण, यह गर्भ में पल रहे शिशु के अंदर भी थायराॅइड हार्मोन अधिक मात्रा में स्त्रावित होने का कारण बनता है। हाइपरथायराॅइडिज्म की समस्या पर रेडियोएक्टिव आयोडिन ट्रीटमेंट से अपना इलाज करवा सकती हैं। इसमें सर्जरी के द्वारा आपके थायराॅइड कोशिकाओं को निकाल दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद आपका शरीर दोबारा से टीएसआई एंटीबॉडी बनाने लगता है। जब इनका स्तर बढ़ जाता है तो आपके टीएसआई आपके बच्चे के रक्त में भी पहुंच जाता है। टीएसआई के कारण आपकी थायराॅइड ग्रंथि अधिक मात्रा में थायराॅइड हार्मोन बनाती है। इस कारण आपके बच्चे के शरीर में भी थायराॅइड हार्मोन अधिक बनना शुरू हो जाता है।
इनको करें अनदेखा
गर्भवती महिला को अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इनमें आमतौर पर बहुत अधिक कैलोरी होती है। हाइपोथायराॅइडिज्म की वजह से आपका आसानी से वजन बढ़ सकता है। इसके साथ ही केल, पालक, गोभी, आड़ू, नाशपाती और स्ट्रॉबेरी, कॉफी, सोया मिल्क जैसे पदार्थों को भी बहुत सीमित कर देना चाहिए।
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अधिक मात्रा में थायराॅइड बनने से बच्चे में होने वाली परेशानियां
- दिल की धड़कने तेज होना
- बच्चे के सिर में नरम स्थान होना
- बच्चे का वजन कम होना
- जन्म के बाद चिड़चिड़ापन होना।
कई मामलों में थायराॅइड के बढ़ने से बच्चे की सांस नली पर दबाव पड़ता है। जिससे बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है। डॉक्टर इसके लिए जरूरी परीक्षण करते हैं।
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प्रेग्नेंट लेडी कैसे समझें कि वह हायपोथायरॉइडिज्म की शिकार है?
हायपोथायरॉइडिज्म के निम्नलिखित लक्षण गर्भवती महिला महसूस कर सकती हैं। इनमें शामिल हैं-
- रेस्टलेस महसूस करना
- इमोशनली हाइपर होना
- हृदय गति दर में तीव्रता और अनियमितता
- हाथों का कंपकंपाना
- वजन घटने का कारण न पता लगना
- गर्भावस्था में सामान्य वजन बनाए रखने में मुश्किल होना
- अत्यधिक पसीना आना
- अत्यधिक थकान होना
- अधिक ठंड लगना
- मांसपेशियों में ऐंठन होना
- कब्ज होना
- याददाश्त या एकाग्रता से जुड़ी समस्या होना
- डायरिया
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हायपोथायरॉइडिज्म होने की स्थिति में ऊपर बताए गए लक्षणों को महसूस कर सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि वह कोई और लक्षण महसूस करें लेकिन, अगर आप हायपोथायरॉइडिज्म या हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल के जवाब को जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
डॉक्टर थाइरॉयड के इलाज के लिए दवा लिख सकते हैं। हाइपोथाइरॉयड होने की स्थिति में गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए हाइपोथाइरॉयड की पुष्टि होने पर गर्भवती महिलाओं को अपने खानपान पर पूरा ध्यान रखना चाहिए। हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट की मदद लेनी चाहिए। थाइरॉयड ग्रस्त गर्भवती महिलाओं के नवजात शिशुओं को भी नियोनेटल हाइपोथाइरॉयड होने की संभावना होती है, इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही बरतने पर नुकसान हो सकता है। इसलिए, रेगुलर चेकअप कराने के साथ ही महिला को हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट फॉलो करना चाहिए। आशा करते हैं कि आपको हायपोथायरॉइडिज्म डाइट चार्ट पर यह लेख पसंद आया होगा। यदि ऊपर बताए गए किसी भी खाद्य पदार्थ से आपको एलर्जी है तो इनका सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करें।
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